दरकते जोशीमठ के किसानों का दर्द... इंसानों की फिक्र सबको है, पर खेतों की सुध कौन लेगा

दरकते जोशीमठ के किसानों का दर्द... इंसानों की फिक्र सबको है, पर खेतों की सुध कौन लेगा

पहाड़ों में आप देखें तो बसंत पंचमी के साथ ही खेतों में हल जोतने का काम शुरू हो जाता है. लेकिन जोशीमठ (joshimath sinking) के खेतों में अभी तक हल तो दूर की बात, यहां कोई कुदाल तक नहीं लगा रहा है. वजह है खेतों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ना. किसान बताते हैं कि इन खेतों की सुध भी ली जानी चाहिए.

जोशीमठ के मरवाड़ी क्षेत्र में खेतों में आई चौड़ी दरारेंजोशीमठ के मरवाड़ी क्षेत्र में खेतों में आई चौड़ी दरारें
क‍िसान तक
  • JOSHIMATH,
  • Jan 28, 2023,
  • Updated Jan 28, 2023, 4:39 PM IST

उत्तराखंड का जोशीमठ भारी आपदा (joshimath sinking) से जूझ रहा है. यहां के गांव पूरी तरह से खाली हो रहे हैं. जोशीमठ अभी अपने अस्तित्व को बचाए रखने की लड़ाई लड़ रहा है. बच्चे, जवान और बूढ़े सभी दरकते जोशीमठ को देखकर सहमे हुए हैं. किसान हताश-परेशान हैं कि जब घर-बार ही नहीं रहेंगे तो खेत-खलिहान का क्या होगा. किसान अपने दरकते खेतों को देखकर मायूस हैं, जिसे बचाने के लिए उनके वश में कुछ नहीं है. यहां के मारवाड़ी वार्ड के चुनार के खेतों में आई बड़ी-बड़ी दरारों के बाद अब लोग खेतों में काम करने से कतरा रहे हैं. इसी महीने की तीन तारीख को मारवाड़ी क्षेत्र में सबसे बड़ा नुकसान देखा गया था जब खेतों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गईं. इस घटना के बाद से किसान खेतों में जाने से कतरा रहे हैं. उन्हें अभी अपनी जान बचाने की फिक्र बड़ी लग रही है. 

खेतों के साथ रिहायशी क्षेत्रों में पड़ी चौड़ी दरारों ने प्रशासन को चिंता में डाल दिया जिसके बाद कुछ फौरी कदम उठाए गए. जोशीमठ के ऊपरी हिस्से में, खासकर रिहायशी इलाके की सभी दरारों को प्रशासन ने मिट्टी और अन्य माध्यमों से भरवा दिया है, लेकिन खेतों को यह सुविधा अभी नसीब नहीं हो सकी है. खेत और किसान अब भी प्रशासन की बाट जोह रहे हैं कि उनकी परेशानी का कुछ हल निकलेगा. खेतों की दरारें यूं ही पड़े रहना किसानों के साथ-साथ आम लोगों के लिए भी किसी बड़े खतरे का बुलावा है.

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किसानों की चिंता इसको लेकर है कि आने वाले दिनों में बारिश होगी और इन दरारों में पानी भर जाएगा. इससे मवेशियों के साथ आमजन की जिंदगी भी खतरे में पड़ सकती है. दरारों में पानी भरने से अभी जो कुछ भी खेती हो रही है, वह भी जलभराव के चलते तबाह हो जाएगी. पहाड़ों में आप देखें तो बसंत पंचमी के साथ ही खेतों में हल जोतने का काम शुरू हो जाता है. लेकिन जोशीमठ (joshimath sinking) के खेतों में अभी तक हल तो दूर की बात, यहां कोई कुदाल तक नहीं लगा रहा है. वजह है खेतों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ना.

जोशीमठ (joshimath sinking) के किसानों को डर है कि इन खेतों का अब क्या होगा. यह हलचल इसी तरह शांत हो जाएगी या फिर दरारें आने वाले समय में और बढ़ेंगी. अगर दरारें यूं ही बढ़ती गईं तो खेतों को भारी नुकसान हो सकता है. ऐसे में यहां की पूरी खेती समय के साथ बंजर पड़ती हुई दिखाई दे रही है. इन दरारों के डर से न कोई किसान खेतों में आएगा और न ही कोई मजदूर. कुदरत का नियम है कि खेत का किसान से नाता टूटते ही खेत बंजर होते चले जाते हैं. हरियाली उससे कोसों दूर हो जाती है. किसानों को यही चिंता खाए जा रही है.

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मारवाड़ी वार्ड के चुनाव क्षेत्र में इस समय खेतों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ने के कारण लोगों ने खेती का काम फिलहाल रोक दिया है. लोगों को डर है कहीं ये दरारें और बढ़ीं या फिर खेतों में बड़ा नुकसान हुआ तो उनकी मेहनत पर पानी फिर जाएगा. एक किसान (joshimath farmers) बताते हैं कि पहले दरारें कम थीं लेकिन अब 10-12 खेतों में ऐसी स्थिति देखने को मिल रही है. यह संख्या तेजी से बढ़ रही है. किसानों का कहना है कि खेती का काम शुरू होने वाला था. अब वे सोचने पर मजबूर हो गए हैं कि खेती करें या न करें. आगे उन्हें भारी जोखिम दिखाई दे रहा है.(कमल नयन सिलोड़ी का इनपुट)

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