रबर बोर्ड ने इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, कोट्टायम द्वारा बनाए गए 26 किलोग्राम वजन वाले रबर स्प्रे ऑयल का छोटा पैक लाॅच किया है. अब तक स्प्रे ऑयल 210 किलो के बड़े बैरल में उपलब्ध था. जिससे छोटे किसानों ने कम मात्रा में स्प्रे तेल प्राप्त करने की मांग रखी थी. क्योंकि बड़े बैरल को संभालना किसानों के मुश्किल होता था और सीमांत उत्पादकों को अपनी छोटी जोत के लिए बड़ी मात्रा में स्प्रे तेल की आवश्यकता नहीं होती है. असज में रबर स्प्रे ऑयल का प्रयोग यह रबर के पेड़ों की असामान्य पत्ती गिरने की बीमारी को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है. इसमें कॉपर ऑक्सीक्लोराइड, स्प्रे तेल के साथ मिलाया जाता है.
रबर बोर्ड के कार्यकारी निदेशक के एन राघवन ने कहा कि असामान्य पत्ती गिरना केरल के रबर एस्टेट में व्यापक रूप से देखी जाने वाली एक बीमारी है और इससे रबर के पेड़ से होने वाले उत्पादन में काफी नुकसान होता है. उन्होंने कहा कि यदि रबर का पेड़ रोगमुक्त हों तो उत्पादन में होने वाली हानि से बचा जा सकता है और इसके मूल्य अधिक होने पर किसान को अधिक से अधिक लाभ मिल सकता है.
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आईओसी के मुख्य महाप्रबंधक और केरल प्रमुख संजीव कुमार बेहरा ने कहा कि किसानों को सस्ती कीमत पर स्प्रे तेल उपलब्ध कराने और रबड़ क्षेत्र में सीएसआर फंड खर्च करने का प्रयास किया जाएगा.
रबर स्प्रे तेल एक कम चिपचिपाहट वाला उत्पाद है, जिसे रबर के बागानों में उपयोग के लिए विकसित किया गया है.अब इस तेल के छोटे पैकेट किसानों को आसानी से मिल जाएंगे. यह तेल रबर में लगने वाले फंगस फाइटोफ्थोरा जैसे गंभीर हमले से निपटने के लिए रबर के बागानों पर स्प्रे के लिए इस तेल का इस्तेमाल किया जाएगा. जिससे पेड़ों की जीवन शक्ति को प्रभावित करने वाली पत्तियां गिर जाती हैं. तेल और कॉपर ऑक्सीक्लोराइड के मिश्रण को या तो मिनी माइक्रोन स्प्रेयर या हवाई छिड़काव द्वारा लगाया जाता है. यह तेल काफी आसानी से पेड़ के पत्तों पर फैल जाती है. जिससे रबर का पेड़ रोग मुक्त हो जाता है.