भारत में विदेशी फलों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है. उपभोगता की मांग और उत्पादन को पूरा करने के लिए हास्केलबर्ग और आईजी डेक्कन ने देश में एवोकाडो की खेती को बढ़ावा देने के लिए और इसके प्रचार-प्रसार के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हास्केलबर्ग और आईजी डेक्कन के बीच सहयोग का उद्देश्य भारतीय बाजार में सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले एवोकाडो (avocado) लाना है. इतना ही नहीं प्रचार-प्रसार के माध्यम से दोनों कंपनीयों का विकास करना भी है.
भारत में किए जा रहे इस प्रयास को लेकर दोनों कंपनीयों ने अपने-अपने बयानों में कहा कि यह कदम हास्केलबर्ग और आईजी डेक्कन दोनों के विकास में योगदान देगा. यह साझेदारी हास्केलबर्ग को आईजी डेक्कन के स्थानीय ज्ञान और विशेषज्ञता से लाभ उठाते हुए भारत में अपनी पहुंच का विस्तार करने में सक्षम बनाएगी. इस विषय पर आईजी डेक्कन के श्रीनिवास ने कहा कि यह साझेदारी आईजी डेक्कन को इजराइल से सर्वश्रेष्ठ जेनेटिक्स भारत में लाने और एवोकाडो (avocado) के स्थानीय उत्पादन में मदद करने में सक्षम बनाएगी. आईजी डेक्कन एक एवोकाडो नर्सरी (avocado nursery) है जो उत्पादकों और किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले एवोकाडो पौधे प्रदान करने में माहिर है.
एवोकाडो (avocado) एक ऐसा फल है जिसका इस्तेमाल सेहत के साथ-साथ खूबसूरती के लिए भी किया जाता है. Avocado को Alligator Pears के नाम से भी जाना जाता है. एवोकाडो को ज्यादातर सलाद के रूप में कच्चा खाया जाता है. वहीं कुछ लोग एवोकाडो का जूस भी पीना पसंद करते हैं. एवोकाडो में कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, पोटैशियम, जिंक, मैंगनीज, फॉस्फोरस और कॉपर जैसे गुण पाए जाते हैं, जो शरीर को कई तरह के लाभ पहुंचाने में मदद कर सकते हैं. एवोकाडो का सेवन करने से वजन भी कम होता है.
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एवोकाडो एक बड़े आकार वाला गूदेदार फल है. इसका गुदा मक्खन कि तरह मुलायम होता है जिस वजह से भारत में इसे रूचिरा या मक्खनफल कहते हैं. भारत में इसकी मांग समय के साथ लगातार बढ़ती जा रही है. लोग सेहत को लेकर काफी जागरूक हो गए हैं जिस वजह से यह बदलाव देखने को मिल रहा है.
भारत में, एवोकाडो एक व्यावसायिक फल या फसल के रूप में अब तक नहीं उगाया जाता है. यह सबसे पहले श्रीलंका से खेती के लिए लाया गया था. Tab se तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक और पूर्वी हिमालयी राज्य सिक्किम में दक्षिण-मध्य भारत में बहुत सीमित पैमाने पर अलग-अलग तरीकों से उगाया जाता है. आपको बता दें इसकी खेती गरम और शुष्क जलवायु में नहीं की जा सकती है. जलवायु के हिसाब से अगर देखा जाए तो, यह उष्णकटिबंधीय या अर्ध-उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में में उगाया जाता है.