Yamuna River: हथिनी कुंड से क्यों डरती है दिल्ली, क्या है इस बैराज का इतिहास, जानें डिटेल

Yamuna River: हथिनी कुंड से क्यों डरती है दिल्ली, क्या है इस बैराज का इतिहास, जानें डिटेल

हिमाचल प्रदेश में एक बार फिर से आसमानी आफत ने अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है. बादल फटने की घटनाएं भी सामने आई हैं. इसी को देखते हुए हथिनी कुंड बैराज के सभी 18 फ्लड गेट खोल दिए गए हैं. परेशान करने वाली बात ये है कि दिल्ली में यमुना का पानी भरता तो है ही साथ में पीने के पानी की सप्लाई भी बाधित हो जाती है. 

उफान पर आ रही है यमुना नदी. प्रतीकात्मक फोटो उफान पर आ रही है यमुना नदी. प्रतीकात्मक फोटो
नासि‍र हुसैन
  • नई दिल्ली,
  • Jul 24, 2023,
  • Updated Jul 24, 2023, 10:40 AM IST

अभी करीब 10 दिन पहले ही दिल्ली वालों की जान हलक में अटक गई थी. वजह थी दिल्ली के कई इलाकों में भरने वाला यमुना नदी का पानी. दिल्ली का खास और व्यास्त रहने वाला आईटीओ चौराहा भी पानी में डूब गया था. अब एक बार फिर यमुना का पानी डराने लगा है. हथिनी कुंड बैराज नाम से ही रोंगटे खड़े होने लगते हैं. लेकिन हकीकत ये है कि 22 जुलाई तक इस बैराज से एक बार फिर दो लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी दिल्ली  की तरफ छोड़ दिया गया है. फिर से यमुना नदी खतरे के निशान को छूने लगी है. हथिनी कुंड के सभी 18 फ्लड गेट खोल दिए गए हैं. 
 
यमुना के किनारे बसे उन इलाकों में फिर से जगार होने लगी है जहां हाल ही में पानी ने अपना ट्रेलर दिखाया था. हाल ये है कि अब तो खबरों में भी लोग हथिनी कुंड का नाम सुनकर सहम जाते हैं. यमुना खादर के इलाकों में रहने वालों के लिए ये नाम तो ऐसा हो गया है कि मानों ये तबाही लाने के लिए ही बना है. आइए जानते हैं क्या है दिल्ली को डराने वाले इस हथिनी कुंड बैराज का इतिहास. 

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21 साल पहले शुरू हुआ था हरियाणा का हथिनी कुंड बैराज 

हरियाणा सिंचाई विभाग से रिटायर्ड इंजीनियर एमपी सिरोही ने किसान तक को बताया कि हरियाणा के यमुनानगर जिले में हथिनी कुंड बैराज बना है. यमुना नदी पर इस बैराज का निर्माण कार्य साल 1996 में हरियाणा को ज्यादा से ज्सादा सिंचाई के लिए पानी देने के मकसद से शुरू किया गया था. हालांकि 1999 में हरियाणा के तत्कालीन सीएम बंसीलाल ने इसका उद्घाटन किया था, लेकिन इस बैराज ने काम करना 2002 से ही किया था.

अगर इस बैराज के काम पर नजर डालें तो इसका काम हिमाचल प्रदेश के ऊपरी इलाकों से आने वाले पानी को कंट्रोल करना है. हथिनी कुंड बैराज की लंबाई 360 मीटर है. जब इस बैराज को बनाया गया था तो इसमे 10 फ्लड गेट लगाए गए थे. लेकिन बाद में इसे 18 गेट का कर दिया गया. उस वक्त इस बैराज को बनाने पर 168 करोड़ रुपये का खर्च आया था. अगर इस बैराज की क्षमता की बात करें तो ये 10 लाख क्यूसेक पानी को रोक सकता है.

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डराता ही नहीं दिल्ली को पानी भी पिलाता है हथिनी कुंड बैराज  

जानकारों की मानें तो दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) दिल्ली को हर रोज करीब 900 मिलियन गैलन पर डे (एमजीडी) पानी सप्लाई करता है. पानी की ये सप्लाई दिल्ली में बने अलग-अलग पाइंट से की जाती है. दिल्ली के अलग-अलग क्षेत्रों में चंद्रावल पाइंट से 90 एमजीडी, वजीराबाद से 120 एमजीडी और ओखला से 20 एमजीडी पानी सप्लाई किया जाता है. डीजेबी के अनुसार हरियाणा की तरफ से मुनक नहर में पानी छोड़ा जाता है, उसके बाद उसे ट्रीट कर पीने लायक बनाकर सप्लाई किया जाता है. 
 

 

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