देश में गेहूं और आटे के भाव पर नियंत्रण पाने के मकसद से भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने 15 फरवरी को अपने स्टॉक से खुले बाजार में 3.85 लाख टन गेहूं बेचा जो दूसरे दौर की ई-नीलामी के दौरान दिए गए प्रस्ताव का 25 प्रतिशत है. वही, खाद्य मंत्रालय ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि दूसरे दौर में भाड़े के साथ गेहूं की औसत कीमत 2,338.01 रुपये प्रति क्विंटल थी. जो पहले दौर में औसत प्राप्त कीमत 2,474 रुपये प्रति क्विंटल थी.
बता दें कि सरकार ने पिछले हफ्ते पूरे देश में समान रूप से रिलैक्स्ड स्पेसिफिकेशंस कैटेगरी के तहत 23 रुपये प्रति किलोग्राम और फेयर एवरेज क्वालिटी (FAQ) क्वालिटी के तहत 23.50 रुपये प्रति किलो की घोषणा करके गेहूं के रिजर्व मूल्य में कटौती की थी. दरअसल, पहले भोपाल या लुधियाना से डिपो तक का भाड़ा रिजर्व प्राइस में जोड़ा जाता था.
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जारी आंकड़ों के अनुसार उठान कम हुआ है, क्योंकि पहले दौर में यह 42 प्रतिशत था जबकि दूसरे दौर में यह 25 प्रतिशत रहा है. वहीं दूसरे दौर की नीलामी में लगभग 1,060 व्यापारियों/मिलर्स ने भाग लिया था, जबकि पहले दौर में 1,150 से अधिक व्यापारियों/मिलर्स ने भाग लिया था.
द हिंदू बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, एफसीआई के पूर्व अध्यक्ष ने कहा “सरकार सहकारी समितियों के लिए बिक्री मूल्य में घोषित कम से कम दो रुपये प्रति किलो की कमी की उम्मीद कर रही थी. हालांकि, पहले दौर की तुलना में मौजूदा नीलामी में भारित औसत 1.36 रुपये प्रति किलोग्राम कम हो गया है, कुछ और कार्रवाई से सरकार को कीमतों को और कम करने में मदद मिल सकती है.”
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केंद्र सरकार इस साल गेहूं के बंपर उत्पादन की उम्मीद कर रही है. वहीं कृषि विशेषज्ञों ने चालू रबी सीजन में 112 मिलियन टन के रिकॉर्ड उत्पादन की भविष्यवाणी की है. हालांकि, अगले दो महीनों तक तापमान फसल के अनुकूल बना रहे. वहीं 27 जनवरी 2023 तक गेहूं का रकबा 0.37 प्रतिशत बढ़कर 341.85 लाख हेक्टेयर हो गया था, जो एक साल पहले की अवधि में 340.56 लाख हेक्टेयर था.