राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. पीएम 2.5 का लेवल खराब स्थिति में है, तो वहीं दिल्ली के कई इलाके ऐसे हैं जहां पर प्रदूषण का स्तर बेहद खराब स्थिति में पहुंच गया है. प्रदूषण की स्थिति को बेहतर करने के लिए दिल्ली सरकार की तरफ से लगाया गया स्मॉग टावर धूल फांक रहा है. बाबा खड़क सिंह मार्ग पर 2021 में दिल्ली सरकार ने जो स्मॉग टावर लगाया था, वह पिछले 07 महीने से बंद पड़ा है.
मिली जानकारी के मुताबिक कनॉट प्लेस में लगे स्मॉग टावर में 14 लोगों की टीम थी. इसमें इंजीनियर्स, ऑपरेटर्स और हेल्पर थे. इन्हें वहां से सात महीने पहले ही हटा लिया गया है. 20 अक्टूबर को इसका टेंडर खत्म हो गया जिसके बाद इसको 25 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दिया गया. आलम ये है कि अब इस टावर के न पंखे चल रहे हैं, न ही प्रदूषण का स्तर बताने वाली स्क्रीन चल रही है. इस स्मॉग टावर में 40 पंखे हैं, जो ऊपर से हवा खींचते हैं और उसे साफ कर नीचे से बाहर छोड़ते हैं.
टावर से प्रदूषण के स्तर में कमी आती है या नहीं, इसको लेकर दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की तरफ से एक स्टडी की गई. इस स्टडी में DPCC ने एनवायरमेंट डिपार्टमेंट को रिपोर्ट दी है. रिपोर्ट में सामने आया है कि दो साल से चल रहे इस टॉवर ने इतने समय में 100 मीटर के दायरे में पर्टिक्युलेट मैटर में महज 13 प्रतिशत की कमी आई है. लगभग 22 करोड़ की कीमत से बना ये स्मॉग टावर आईआईटी मुंबई की सुपरविजन में तैयार हुआ था. टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेट और एनबीसीसी भी इस प्रोजक्ट का हिस्सा हैं.
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आनंद विहार इलाके में भी सीपीसीबी द्वारा स्मॉक टावर लगाया गया है, जो अभी काम कर रहा है. आनंद विहार दिल्ली का वह इलाका है जो सबसे ज्यादा प्रदूषित है. दिल्ली में आज ओवरऑल प्रदूषण का स्तर पीएम 2.5 और एक्यूआई 249 दर्ज किया गया, तो वहीं आनंद विहार इलाके में प्रदूषण का स्तर पीएम 2.5 और एक्यूआई 340 था. आनंद विहार इलाके में प्रदूषण का स्तर बेहद खराब स्थिति में है और ये तब है जब यहां पर स्मॉग टावर काम कर रहा है. अब सवाल यह उठता है कि लगभग 24 करोड़ की लागत से लगाए गए ये स्मॉग टावर जब आसपास की हवा को बेहतर नहीं कर पा रहे तो पूरी दिल्ली का क्या होगा.
(रिपोर्ट, सुशांत मेहरा)