साल 2023 का आखिरी चंद्र ग्रहण 28 अक्टूबर को लगने जा रहा है. हालांकि चंद्र ग्रहण एक भौगोलिक घटना है, लेकिन ज्योतिष शास्त्र में इस घटना को शुभ नहीं माना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पूर्णिमा की रात जब राहु और केतु चंद्रमा को निगलने का प्रयास करते हैं, तो चंद्रमा पर ग्रहण लग जाता है. वहीं चंद्र ग्रहण से कुछ घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है. ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से भी सूतक काल को अच्छा समय नहीं माना जाता है.
ग्रहण का सूतक काल शुरू होते ही किसी भी तरह के धार्मिक अनुष्ठान, मंदिर को छूने या खाने-पीने पर रोक लग जाती है. ग्रहण का खेती किसानी और जीव-जंतुओं पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. ऐसे में आइए जानते हैं खेती और किसानी पर चंद्र ग्रहण का क्या होगा असर?
'किसान तक' से बात करते हुए आचार्य डॉ. शेष नारायण वाजपेयी ने बताया कि इस साल का ये अंतिम चंद्र ग्रहण शनिवार 28 अक्टूबर को मध्य रात्रि को 1.05 बजे पर शुरू होकर 2.24 बजे तक चलेगा.
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खेती और किसान से जुड़े सवाल पर डॉ. शेष नारायण वाजपेयी ने बताया कि जब भी कोई भौगोलिक घटना होती है, तो प्रकृति उससे प्रभावित होती है. इन घटनाओं से फसलों पर भी काफी असर पड़ता है. इस बार लगने वाला चंद्र ग्रहण वायुमंडल को काफी प्रभावित करेगा, क्योंकि ये चंद्र ग्रहण वायु के प्रभाव से भी घटित होगा. इस चंद्र ग्रहण से अभी बोई जाने वाली फसलों के नमी पर असर पड़ेगा. वहीं तैयार फसलों में एक बार अधिक पानी देना पड़ेगा. यानी फसलों की कटाई या तुड़ाई से पहले उसकी एक बार सिंचाई करनी पड़ेगी क्योंकि फसलों पर इस ग्रहण का प्रभाव 45 दिनों तक रहेगा.
वहीं आलू की बुवाई करने वाले किसानों को जल्द ही बुवाई कर लेनी चाहिए, नहीं तो बीज के खराब होने की आशंका अधिक होगी. रबी सीजन की फसल चना, मटर, सरसों और राई की फसल पर इस ग्रहण का प्रभाव देखने को नहीं मिलेगा. साथ ही गेहूं और आलू की फसलों को नुकसान होने की आशंका है.
विज्ञान के अनुसार चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है. इस दौरान पृथ्वी की छाया चंद्रमा की रोशनी को ढक लेती है. दूसरी ओर, सूर्य की रोशनी पृथ्वी के वायुमंडल से टकराकर चंद्रमा पर पड़ती है. इससे चंद्रमा चमकीला हो जाता है.
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