दिल्ली में लगातार छठवें दिन खराब रहा AQI, पढ़ें बचाव में क्या है सरकार की तैयारी

दिल्ली में लगातार छठवें दिन खराब रहा AQI, पढ़ें बचाव में क्या है सरकार की तैयारी

दिल्ली का 24 घंटे का औसत AQI  गुरुवार शाम 4 बजे 256, बुधवार को 243 और मंगलवार को 220 था. दिल्ली के लिए केंद्र की वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के अनुसार, शनिवार को शहर की वायु गुणवत्ता खराब होकर 'बहुत खराब' श्रेणी में पहुंचने की संभावना जतायी गई थी.

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दिल्ली में लगातार छठवें दिन खराब रहा AQI, पढ़ें बचाव में क्या है सरकार की तैयारीदिल्ली में बढ़ रहा प्रदूषण सांकेतिक तस्वीर

दिल्ली में हवा की गुणवत्ता दिन खराब होती जा रही है. प्रदूषण करने वाली निगरानी एजेसियों के अनुसार दिल्ली की वायु गुणवत्ता शनिवार को लगातार छठे दिन 'खराब' श्रेणी में दर्ज की गई और प्रतिकूल मौसम संबंधी परिस्थितियों के कारण आने वाले दिनों में इसके और खराब होने की संभावना है. शनिवार सुबह को दिल्ली का एक्यूआई 203 रहा, खराब की श्रेणी में आता है. वहीं शुक्रवार को यह 256 रहा. कई इलाकों में एक्यूआई 'बहुत खराब' श्रेणी में दर्ज किया गया. दिल्ली का 24 घंटे का औसत AQI  गुरुवार शाम 4 बजे 256, बुधवार को 243 और मंगलवार को 220 था. दिल्ली के लिए केंद्र की वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के अनुसार, शनिवार को शहर की वायु गुणवत्ता खराब होकर 'बहुत खराब' श्रेणी में पहुंचने की संभावना जतायी गई थी.

गौरतलब है कि शून्य और 50 के बीच एक AQI को 'अच्छा', 51 और 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 और 200 के बीच 'मध्यम', 201 और 300 के बीच 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 और 500 के बीच 'गंभीर' माना जाता है. वहीं दिल्ली सरकार ने वाहन प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए गुरुवार को एक अभियान शुरू किया है. हालांकि इसकी प्रभावशीलता पर उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सवाल उठाए थे. पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा किए गए 2019 के एक अध्ययन से पता चला है कि ट्रैफिक सिग्नल पर इंजन चालू रखने से प्रदूषण का स्तर 9 प्रतिशत से अधिक बढ़ सकता है.   

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प्रदूषण में धुएं की बड़ी हिस्सेदारी

पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली के प्रदूषण पर किए गए अध्ययन से पता चला है कि राजधानी में पीएम 2.5 उत्सर्जन में सड़क पर वाहनों से निकलने वाले धुएं का हिस्सा 9 प्रतिशत से 38 प्रतिशत तक है. तापमान और हवा की गति धीमी होने के कारण दिल्ली की हवा की गुणवत्ता मई के बाद पहली बार रविवार को 'बहुत खराब' हो गई थी. प्रतिकूल मौसम संबंधी स्थितियां और प्रदूषण के स्थानीय स्रोतों के अलावा, पटाखों और धान की पराली जलाने से होने वाले उत्सर्जन का मिश्रण, हर साल दिवाली के आसपास दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता को खतरनाक स्तर पर पहुंचा देता है.

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1 से 15 नवंबर तक होता है अधिक प्रदूषण

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति द्वारा किए गए एक विश्लेषण के अनुसार, राजधानी में 1 नवंबर से 15 नवंबर तक प्रदूषण चरम पर होता है.  जब पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं चरम पर होती हैं. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि सरकार ने दिल्ली में मौजूदा 13 प्रदूषण हॉटस्पॉट के अलावा आठ और प्रदूषण हॉटस्पॉट की पहचान की है और प्रदूषण स्रोतों की जांच के लिए वहां विशेष टीमें तैनात की जाएंगी. उन्होंने कहा कि सरकार ने शहर में धूल प्रदूषण को रोकने के लिए इसे दबानेवावे पाउडर का उपयोग करने का भी निर्णय लिया है.धूल दबाने वालों में कैल्शियम क्लोराइड, मैग्नीशियम क्लोराइड, लिग्नोसल्फोनेट्स और विभिन्न पॉलिमर जैसे रासायनिक एजेंट शामिल हो सकते हैं.  दिल्ली सरकार ने पिछले महीने सर्दियों के मौसम के दौरान राजधानी में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए 15-सूत्रीय कार्य योजना शुरू की थी, जिसमें धूल प्रदूषण, वाहनों के उत्सर्जन और खुले में कचरा जलाने पर जोर दिया गया था. 
 

 

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