Bakrid 2023: कश्मीर से कन्याकुमारी तक बिक रहे हैं 37 नस्ल के बकरे, जानें खासियत

Bakrid 2023: कश्मीर से कन्याकुमारी तक बिक रहे हैं 37 नस्ल के बकरे, जानें खासियत

पशु जनगणना 2019 के मुताबिक देश में 15 करोड़ बकरे और बकरियां हैं. हर साल इनकी संख्या में 1.5 से दो फीसद तक का इजाफा हो रहा है. दूध के साथ ही बकरे के मीट की डिमांड भी खूब बढ़ रही है. साल 2021-22 में करीब 12 लाख मीट्रिक टन बकरे के मीट का उत्पादन हुआ था.

चांगथाई नस्ल का बकरा. फोटो क्रेडिट-सीआईआरजीचांगथाई नस्ल का बकरा. फोटो क्रेडिट-सीआईआरजी
नासि‍र हुसैन
  • नई दिल्ली,
  • Jun 22, 2023,
  • Updated Jun 22, 2023, 2:34 PM IST

बकरीद के लिए बकरों का बाजार तेज हो चुका है. बकरों की खरीदारी में भी तेजी आ गई है. आज यानि गुरुवार को चांद की तीन तारीख हो चुकी है. बकरीद में अब सिर्फ छह दिन बाकी रह गए हैं. इसलिए बकरों की रोजाना लगने वाली मंडियों में भी खूब भीड़ उमड़ रही है. लोग नस्ल के हिसाब से बकरा खरीद रहे हैं. देश में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक बकरों की 37 नस्ल के बकरे बिक रहे हैं. बकरे के वजन, बकरे की खूबसूरती और उसकी तंदरुस्ती के हिसाब से बकरों की नस्ल पसंद की जा रही हैं. 

गौरतलब रहे कि बकरे-बकरियों की जो नस्ल जिस इलाके में फलती-फूलती है उसी के हिसाब से उस इलाके में उसका पालन किया जाता है. जैसे उत्तर भारत में बरबरी, जमनापरी, तोतापरी, सिरोही और जखराना नस्ल के बकरे बहुत पसंद किए जाते हैं. इसी तरह से पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड में ब्लैक बंगाल की डिमांड रहती है. 

भारत के मैदानी इलाकों की खास नस्ल हैं ये

वैसे तो यूपी, राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश में बकरों की दर्जनों नस्ल पाई जाती हैं. लेकिन जो खास नस्ल सबसे ज्यादा डिमांड में रहती हैं उसमे सिरोही की संख्या् (19.50 लाख), मारवाड़ी (50 लाख), जखराना (6.5 लाख), बीटल (12 लाख), बारबरी (47 लाख), तोतापरी, जमनापरी (25.50 लाख), मेहसाणा (4.25 लाख), सुरती, कच्छी, गोहिलवाणी (2.90 लाख) और झालावाणी (4 लाख) नस्ल के बकरे और बकरी हैं. यह सभी नस्ल, खासतौर पर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और गुजरात के सूखे इलाकों में पाई जाती हैं. यह वो इलाके हैं जहां इस नस्ल की बकरियों के हिसाब से झाड़ियां और घास इन्हें चरने के लिए मिल जाती हैं.

केसर में हो रही है इस खास फूल की मिलावट, जानें कैसे कर सकते हैं पहचान

पहाड़ी इलाकों की खास नस्ल  हैं गद्दी, चांगथांगी और चेगू 

जानकारों की मानें तो पहाड़ी इलाकों में पाए जाने वाले बकरे बहुत ही ताकतवर होते हैं. ये बोझा ढोने का काम भी करते हैं. अगर इनकी नस्ल और संख्यां की बात करें तो वो कुछ इस तरह है, गद्दी (4.25 लाख), चांगथांगी (2 लाख) और चेगू (2350) नस्ल के बकरे पहाड़ी और ठंडे इलाकों में पाले जाते हैं. इन्हें खासतौर से मीट और पश्मीना रेशे के लिए पाला जाता है. हिमाचल प्रदेश, लद्दाख और जम्मूा-कश्मीर में इन्हें बहुत पाला जाता है. 

ये भी पढ़ें- बकरीद पर देश ही नहीं विदेशों में भी सबसे ज्यादा डिमांड में रहते हैं इस नस्ल के बकरे

चार खास नस्ल हैं दक्षिण भारत की 

महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, आंध्रा प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु में खासतौर पर चार नस्ल के बकरे सबसे ज्या‍दा पाए जाते हैं. यह नस्ल हैं संगलनेरी, मालाबारी (11 लाख हैं), उस्मानाबादी (36 लाख हैं) और कन्नीआड़ू (14.40 लाख) हैं. एक्सपर्ट का मानना है कि यह सभी नस्ल खासतौर से मीट के लिए पाली जाती हैं. इनके अंदर फैट की मात्रा बहुत ज्यादा होती है. इसलिए इनके मीट को बिरायानी के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है.

देश के चार राज्यों में नाम से बिकता है ब्लैक बंगाल बकरा  

पूर्व और उत्तर पूर्व में मुख्य तौर पर तीन नस्ल सबसे ज्यादा पाली जाती हैं. इसमे से ब्लैक बंगाल नस्ल  का बकरा अपने नाम से बिकता है. ब्लैक बंगाल नस्ल के बकरे-बकरियों की संख्या करीब 3.75 करोड़ है. जैसा की नाम से ही मालूम हो जाता है कि यह पश्चिम बंगाल की खास नस्ल है. दूध के साथ ही इसे मीट के लिए बहुत पंसद किया जाता है. 

पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और आसाम में ब्लैक बंगाल बकरे को बहुत पसंद किया जाता है. हाल ही में कतर में हुए फीफा वर्ल्डग कप के दौरान ब्लैाक बंगाल का मीट ही परोसा गया था. इसके अलावा आसाम की आसाम हिल्स भी बहुत पसंद की जाती है. गंजम भी इन इलाकों की एक खास नस्ल है. इनकी संख्या करीब 2.10 लाख है. 

 

MORE NEWS

Read more!