दुनिया के सबसे महंगे मसाले का जिक्र करते ही नाम आता है केसर का. और दूसरे मसालों की तरह से केसर की भी बहुत सारी खूबियां हैं. दवा बनाने वाली कंपनियां भी केसर का खूब इस्तेमाल करती हैं. लेकिन दूसरे मसालों की तरह से मिलावटखोरों ने केसर को भी नहीं बख्शा है. केसर के फूल में उसी से मिलते-जुलते एक खास तरह के फूल की मिलावट की जाती है. हालांकि एक आम इंसान के लिए मिलावट के इस खेल को पकड़ना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन थोड़ी सी कोशिश की जाए तो दोनों के फूल से निकले धागे (स्टेन) को पहचाना जा सकता है.
इस बारे में किसान तक ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बॉयो रिसोर्स टेक्नोलॉजी (आईएचबीटी), पालमपुर, हिमाचल प्रदेश के सीनियर साइंटिस्ट से इस मिलावट के बारे में बात की. साथ ही महंगी केसर में मिलाए जा रहे उस खास फूल की कुछ पहचान करने के टिप्स भी जाने.
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आईएचबीटी के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. राकेश कुमार ने किसान तक को बताया कि केसर के पौधे के पत्ते चीड़ के पेड़ पर लगने वाले पत्तें के जैसे दिखते हैं. इसके साथ ही केसर का पौधा ज्यादा से ज्यादा से एक फीट की हाइट तक ही जाता है. वहीं अगर केसर में मिलाए जा रहे से फ्लावर के पौधे की बात करें तो इसकी लम्बाई ढाई फीट तक होती है. से फ्लावर का पौधा मैदानी इलाकों में भी आसानी से उग जाता है. जबकि केसर का पौधा सिर्फ ठंडे क्लाइमेट में ही होता है. जबकि केसर मैदानी इलाकों में सिर्फ पॉली हाउस में कंट्रोल कंडीशन के साथ ही बड़ा होगा. जैसे की कुछ लोग मैदानी इलाकों में कोशिश करते रहते हैं.
डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि से फ्लावर के पौधे में जब फूल आते हैं तो उसके अंदर से भी केसर के तरह का धागे (स्टेन) जैसे ही तीन धागे निकलते हैं. लेकिन से फ्लावर से निकले धागे में न तो केसर जैसे गुण होते हैं और ना ही उसके रेट केसर के आसपास के होते हैं. बाजार में केसर 1.5 से तीन लाख रुपये किलो तक आसानी से मिल जाती है. जबकि से फ्लावर से निकले स्टेन बाजार में 10 से 20 हजार रुपये किलो तक ही बिकते हैं.
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डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि अगर आप बड़ी मात्रा में केसर खरीद रहे हैं तो उसे चेक करने का एक तरीका ये भी है कि उसे लैब में टेस्ट करा लिया जाए. क्योंकि केसर में क्रोसिन, पीक्रोसिन और सैफरानाल नाम के तत्व होते हैं. इन तीनों तत्वों से ही केसर में स्वाद और रंग आता है. जबकि से फ्लावर में ये तीनों ही तत्व नहीं होते हैं.
इसके अलावा केसर खरीदते वक्त उसे पानी में भिगोकर भी चेक किया जा सकता है. केसर अगर असली है तो पानी और दूध में डालते ही वो हल्का पीले रंग का हो जाएगा. जबकि से फ्लावर से ऐसा नहीं होता है. सै फ्लावर का इस्तेमाल पेटिंग के लिए ऑयल पेंट में किया जाता है.
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