गेहूं की कीमत कम, आटा क्‍यों है महंगा? अनाज के दाम गिराकर कंज्‍यूमर को भूली सरकार!

गेहूं की कीमत कम, आटा क्‍यों है महंगा? अनाज के दाम गिराकर कंज्‍यूमर को भूली सरकार!

बीते कुछ महीनों में गेहूं महंगा होने का मुद्दा बना हुआ था. लेकिन सरकार ने आम उपभोक्‍ता तक इसकी पहुंच सस्‍ती रखने के लिए दाम में गिरावट के लिए ठोस कदम उठाए, लेकिन अब दाम कम होने के बाद भी आटा खरीदने वाले कंज्‍यूमर को इसका फायदा नहीं मिल रहा है.

Wheat and Wheat Price DifferenceWheat and Wheat Price Difference
प्रतीक जैन
  • Noida,
  • Apr 11, 2025,
  • Updated Apr 11, 2025, 4:41 PM IST

पिछले कुछ महीनों से थोक बाजार में गेहूं के दाम MSP से काफी ऊंचे चल रहे थे, जिस वजह से आम उपभोक्‍ता को इसके लिए और भी ज्‍यादा कीमत चुकानी पड़ रही थी और आटा भी महंगी कीमत पर खरीदना पड़ रहा था. लेकिन अब गेहूं के दाम कम होने के बाद भी आटा महंगा है, दोनों की कीमतों में बहुत बड़ा अंतर बना हुआ है. मार्च तक गेहूं का MSP 2275 रुपये प्रति क्विंटल था. सरकार ने कीमतों को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार ने कई कदम उठाए और गेहूं के दाम में कमी लाने की कोशि‍श की. बाजार में नई फसल की आवक तेज होने से भी काफी हद तक कीमतों में कमी भी आई है, लेकिन आम उपभोक्‍ता को इसका लाभ नहीं मिल रहा है. 

उपभोक्‍ता मामले विभाग की रिपोर्ट में इतना भाव

उपभोक्‍ता मामले विभाग के प्राइस मॉनिटरिंग डिवीजन की 10 अप्रैल की रिपोर्ट की रिटेल/होलसेल रिपोर्ट के मु‍ताबिक, गेहूं का आटा 38 रुपये किलोग्राम से लेकर 71 रुपये प्रति किलोग्राम तक बिक रहा है. वहीं, गेहूं की औसत कीमत 25 रुपये प्रति किलोग्राम चल रही है. हालांकि, अधि‍कतम कीमत 58 रुपये प्रतिकिलो दर्ज की गई, लेकिन बाजवूद इसके कीमत में बहुत बड़ा अंतर बना हुआ है, जिससे उपभोक्‍ता को ज्‍यादा कीमत चुकाना पड़ रही है. 

सरकार ने गेहूं कीमत गिराने के लिए उठाए ये कदम

केंद्र सरकार ने गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए ओपन मार्केट सेल स्‍कीम  यानी OMSS के तहत गेहूं की नीलामी के जरिए बिक्री की, ताकि बाजार में इसकी आवक हो और दाम में अंतर आए. वहीं, दूसरी ओर सरकार ने गेहूं के भंडारण को लेकर भी नई लिमिट सेट की और कीमतों को कंट्रोल करने की कोशि‍शिों के क्रम में 31 मार्च 2025 तक लागू गेहूं स्टॉक लिमिट को संशोधित किया था.

गेहूं का कम भंडारण कर रहे व्‍यापारी

हालांकि, प्रोसेसर्स को स्‍टॉक लिम‍िट में पहले जैसे भंडारण की छूट दी गई. केंद्र के फैसले के बाद  बाद ट्रेडर्स और होलसेलर्स सिर्फ 250 मीट्रिक टन गेहूं का भंडारण कर सकते हैं, जो पहले एक हजार मीट्रिक टन गेहूं रख सकते थे. इसी तरह रिटेलर्स अपने हर आउटलेट पर सिर्फ 4 मीट्रिक टन गेहूं रख सकते हैं, पहले वे 5 मीट्रिक टन गेहूं रख सकते थे. भंडारण की लिमिट घटने से व्‍यापारी ज्‍यादा अनाज स्‍टोर कर कीमतें नहीं बढ़ा

इन प्रयासों के बाद गेहूं की कीमतें जो आमतौर पर 2800 रुपये प्रति क्विंटल या इससे ज्‍यादा थीं, वो अब 2200 से 2500 के बीच पहुंच गई हैं. लेकिन फुटकर खरीद में उपभोक्‍ता को आटा पहले की तरह ही ऊंचे दाम पर खरीदना पड़ रहा है. ऐसे में लग रहा है कि सरकार गेहूं के दाम गिराकर आम उपभोक्‍ता को भूल गई है. 

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