मॉनसून के दस्तक के साथ जहां खेतों को राहत मिली थी वहीं अब वही बारिश राजधानी पटना के सब्जी बाजार पर कहर बनकर टूट रही है. अंटाघाट मंडी से लेकर मोहल्लों की ठेलियों तक सब्जियों की कीमतें तेजी से चढ़ रही हैं. हरी मिर्च ने सबसे ज्यादा जलन पैदा की है जो 50 रुपये से बढ़कर अब 100 से 120 रुपये प्रति किलो बिक रही है. यानी महज तीन दिन में दाम दोगुना हो गए हैं.
टमाटर भी अब आम नहीं रहा. जून में 10 रुपये किलो बिकने वाला टमाटर अब 40 से 50 रुपये किलो में बिक रहा है. बारिश के कारण खेतों में पानी भर गया है और नदियों के किनारे की खेती प्रभावित हो रही है. इससे स्थानीय आपूर्ति में भारी कमी आई है. नतीजा यह है कि पटना में अब सब्जियां हैदराबाद और अन्य जिलों से मंगाई जा रही हैं जिससे ट्रांसपोर्ट का खर्च भी जुड़ गया है.
सब्जी विक्रेताओं की मानें तो महंगाई अभी थमी नहीं है. परवल 20 से बढ़कर 30 रुपये किलो. करेला 30 से 40 रुपये किलो और बैंगन 40 रुपये किलो बिक रहा है. साग भी अब जेब काट रहा है. पहले जो पालक और लाल साग 20 रुपये में मिल जाता था वह अब 40 से 50 रुपये किलो में बिक रहा है. व्यापारी कहते हैं कि ग्राहक मोलभाव तो कर रहे हैं लेकिन जब माल महंगे में आ रहा है तो वे सस्ते में कैसे बेचें. सब्ज़ी विक्रेताओं के अनुसार, यह महंगाई अभी और चढ़ सकती है. कारण है बारिश के चलते नदियों का जो जलस्तर बढ़ रहा है, उसकी वजह से नदियों के किनारे की सब्ज़ी खेती बुरी तरह प्रभावित हो रही है. नतीजतन, स्थानीय उत्पादन घटा है और अब राजधानी में दूसरे जिलों से सब्ज़ियां मंगाई जा रही हैं, जिससे कीमतों में और इज़ाफा हो रहा है.
हरी मिर्च की तासीर तेज हो चुकी है. सब्जी खरीदने आईं रिचा सिंह कहती हैं कि पहले 100 रुपये में चार सब्जियां आ जाती थीं अब उतने में सिर्फ मिर्च ही आती है. टमाटर और धनिया की बात तो करना ही मुश्किल हो गया है. सब्जी की खेती करने वाले किसान बताते हैं कि बारिश के कारण खेतों में पानी भर गया है जिससे फसलें बर्बाद हो गई हैं. ट्रकों और पिकअप से दूर जिलों से माल लाना अब महंगा पड़ रहा है. यही वजह है कि सब्जी महंगी हो रही है. अगर मौसम का यही मिजाज बना रहा तो अगले हफ्ते तक भिंडी. टिंडा. लौकी जैसी अन्य हरी सब्जियों के दाम भी आसमान छू सकते हैं. खरीदार भी परेशान हैं और विक्रेता भी लेकिन फिलहाल राहत की कोई उम्मीद नहीं दिख रही.