आलू, प्याज और टमाटर के बिना कोई भी सब्जी अधूरी मानी जाती है. लेकिन अगर बाजारों में इसके दाम बढ़ जाएं तो ये किचन को छोड़कर राजनीति की अखाड़े में आ जाती है. दाम बढ़ने पर सरकार जहां लोगों को राहत दिलाने के लिए कई तरह की व्यवस्थाएं करती है. वहीं, किसानों को लागत तक का दाम ना मिलने पर सरकार किसानों के लिए कुछ खास सुविधा नहीं दे पाती है. सरकारी बयानों और प्रचारों में खूब दावे होते हैं कि किसानों को उनकी फसलों के उचित दाम मिल रहे हैं. लेकिन आंकड़े कुछ और ही गवाही देती हैं. इस बीच कृषि मंत्रालय की एक रिपोर्ट में ये सामने आया कि पिछले साल जून के आखिरी सप्ताह के मुकाबले इस साल आलू, प्याज और टमाटर की कीमतों में भारी गिरावट हुई है. इस गिरावट से इन फसलों की खेती करने वाले किसानों के लिए ये समय मुश्किल से भरा हुआ है. ऐसे में आइए जानते हैं कितनी फीसदी हुई है कीमतों में गिरावट.
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक साल में आलू के दाम में 41.24 फीसदी, प्याज के भाव में 52.06 फीसदी और टमाटर के रेट में 41.61 फीसदी की गिरावट आई है. इस गिरावट से आम आदमी को महंगाई से थोड़ी राहत तो मिली है, लेकिन किसानों के लिए दाम में लगातार गिरावट परेशानी का सबब बनता जा रहा है, क्योंकि किसानों को लागत से भी कम भाव मिल रहे हैं.
आलू में उत्तर प्रदेश, प्याज में महाराष्ट्र और टमाटर के उत्पादन में आंध्र प्रदेश सबसे अग्रणी राज्य है. लेकिन यहां के किसानों के लिए ये आंकड़े किसी दुखती रग पर हाथ रखने जैसा है. हर साल इन सभी राज्यों के किसान बड़े स्तर पर आलू, प्याज और टमाटर की खेती करते तो हैं लेकिन जब इन फसलों को मंडियों में बेचने की बारी आती है तो किसानों को मंडियों में लागत से आधी कीमत मिलती है, जिससे उनकी परेशानी बढ़ जाती है. बता दें कि दाम में गिरावट का एक कारण रबी सीजन में प्याज का बंपर उत्पादन भी है, जिसकी वजह से किसानों को उनके मेहनत का दाम नहीं मिल पाया. ऐसे में किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार इस हालात पर तुरंत ध्यान दे.