सोयाबीन का एमएसपी 4892 रुपये प्रति क्विंटल है. जबकि इस समय किसानों को 3500 से 4300 रुपये तक का ही भाव मिल रहा है. सोयाबीन के कम दाम से केंद्र सरकार की भी चिंता बढ़ी हुई है, क्योंकि यह एक प्रमुख तिलहन फसल है. अगर इसके दाम का यही हाल रहा तो अगले सीजन में किसान इसकी खेती कम कर देंगे. ऐसा हुआ तो खाद्य तेलों का आयात और बढ़ जाएगा. ऐसे में आइए महाराष्ट्र की कुछ प्रमुख मंडियों में सोयाबीन का भाव देख लेते हैं.
मंडी का नाम | आवक (क्विंटल) | न्यूनतम कीमत (रुपये प्रति क्विंटल) | अधिकत कीमत (रुपये प्रति क्विंटल) | औसत कीमत (रुपये प्रति क्विंटल) |
करंजा | 5000 | 3550 | 4075 | 3850 |
तुलजापुर | 145 | 4000 | 4000 | 4000 |
सोलापुर | 247 | 3750 | 4110 | 4000 |
अमरावती | 4752 | 3850 | 4041 | 3945 |
मेहकर | 1000 | 3400 | 4175 | 4000 |
लातूर | 10330 | 3791 | 4124 | 4000 |
पालम | 130 | 4300 | 4300 | 4300 |
कटोल | 195 | 3500 | 4000 | 3800 |
भारत ने 2024 में 1.67 लाख करोड़ रुपये के खाद्य तेलों का आयात किया है. इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री ने सोयाबीन किसानों को राहत देने का प्लान बनाया है. इसके तहत उन्होंने 2024-25 के खरीफ सीजन के लिए महाराष्ट्र, राजस्थान, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और गुजरात में सोयाबीन की खरीद को मंजूरी दी है.
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के अनुसार 9 फरवरी 2025 तक 19.99 लाख मीट्रिक टन सोयाबीन की खरीद की गई है, जिससे 8,46,251 किसान लाभान्वित हुए हैं. महाराष्ट्र में किसान सोयाबीन के कम दाम से परेशान हैं. ऐसे में वहां पर सरकार ने सोयाबीन की 90 दिनों की सामान्य खरीद अवधि को 24 दिनों के लिए और तेलंगाना में 15 दिनों के लिए बढ़ा दिया है. इससे किसानों को एमएसपी पर फसल बेचने के लिए अधिक समय मिलेगा, जिससे दाम में तेजी आ सकती है.
महा विकास अघाड़ी गठबंधन के सांसदों (सांसदों) के एक समूह ने मंगलवार को दिल्ली में संसद परिसर में सोयाबीन खरीद की समय सीमा बढ़ाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कांग्रेस सांसद वर्षा गायकवाड़ और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की सांसद सुप्रिया सुले ने किया. दोनों ने महाराष्ट्र में सोयाबीन किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में अपनी चिंता जाहिर की.
विरोध प्रदर्शन करने वाले सांसदों को सोयाबीन खरीद की समय सीमा बढ़ाने की मांग करते हुए नारे लगाते हुए देखा गया. साथ ही "सोयाबीन खरीद की समय सीमा बढ़ाई जाए" के नारे भी लगाए गए. उनका प्रदर्शन ऐसे समय में हुआ है जब सरकार पर यह दबाव बढ़ रहा है कि सोयाबीन के प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में किसानों को उनकी फसल बेचने में सही दाम और सरकारी सहायता मिले.