पिछले दस दिनों से राज्य की मंडी समितियों में प्याज की कीमतों में भारी गिरावट आई है. कीमतों में दस से पंद्रह रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट से किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. सोलापुर कृषि उपज मंडी समिति में मंगलवार को प्याज की कीमतें दो रुपये से लेकर 14 रुपये प्रति किलोग्राम तक रहीं. मंडी समिति में लगभग 100 गाड़ियां प्याज पहुंच चुकी हैं. प्याज को उचित दाम न मिलने से किसान नाखुश हैं. सरकार की पिछली निर्यात प्रतिबंध नीति के कारण प्याज की कीमतों में भारी गिरावट आई है.
किसान इस उम्मीद में बड़ी मात्रा में प्याज जमा कर रहे हैं कि कीमतें बढ़ेंगी, लेकिन कीमतें नहीं बढ़ रही हैं. अगर भंडारित प्याज कुछ दिन और रखा रहा तो सड़ जाएगा. इसलिए किसान इसे बेचने के लिए बाजार समिति में ला रहे हैं, लेकिन मौजूदा दाम बहुत कम हैं. इस दाम पर प्याज तो बिक गया, लेकिन उत्पादन लागत भी नहीं निकल पाई. इसलिए किसान अब सरकार से इस ओर ध्यान देने की मांग कर रहे हैं.
सरकार ने 1 अप्रैल से प्याज पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क हटा दिया तो किसानों ने इस उम्मीद में प्याज का स्टॉक जमा कर लिया कि निर्यात शुरू होगा और प्याज के दाम बढ़ेंगे. हालांकि, प्याज का अपेक्षित निर्यात अभी तक शुरू नहीं हुआ है. इसके अलावा, बाजार में प्याज की आवक बढ़ने से प्याज की कीमतों में गिरावट आई है. दो दिन पहले की तुलना में आज प्याज की कीमतों में 200 रुपये की गिरावट आई है.
व्यापारियों ने कीमतों में और गिरावट की संभावना जताई है. फिलहाल प्याज 2 रुपये प्रति किलो से लेकर 14 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है. प्याज मौसम के हिसाब से बिक रहा है और किसानों को औसतन 6 से 7 रुपये प्रति किलो का दाम मिल रहा है.
उत्पादन लागत को देखते हुए अगर किसान को कम से कम 20 से 30 रुपये प्रति किलो का दाम मिले तो यह उसके लिए फायदेमंद हो सकता है. हालांकि, वर्तमान में प्याज उत्पादक किसान घाटे में हैं और अपनी उत्पादन लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं.
वहीं, एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव में भी प्याज की कीमतें काफी नीचे चल रही हैं. ऐसे में किसान संगठनों और निर्यातकों ने सरकार से राहत देन की मांग की है. किसानों ने चेतावनी दी है कि कीमतें ऐसी ही रही तो वे आगामी सीजन में प्याज की खेती नहीं करेंगे और फिर अगले साल आम उपभोक्ता को महंगे दाम पर प्याज खरीदना पड़ेगा.
(विजय कुमार बाबर की रिपोर्ट)