महाराष्ट्र की कई कृषि मंडियों में प्याज का दाम नीचे आ गया है. प्याज के गिरते हुए दामों ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. मौजूदा ताजा हालातों के अनुसार, सोलापुर मंडी में प्याज का न्यूनतम दाम सिर्फ 1 रुपये प्रति किलो रह गया है. ऐसे में किसानों के लिए खेती की लागत निकालना बहुत मुश्किल हो रहा है. इस स्थिति ने किसानों को गहरे आर्थिक संकट में डाल दिया है. हालत ऐसी है कि कई किसान अपनी फसल को मंडी तक ले जाने की बजाय खेत में ही छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं.
ऐसे में सवाल है कि आखिर इसका जिम्मेदार कौन है. वहीं, महाराष्ट्र के सोलापुर और धुले मंडी में प्याज के दाम लुढ़क कर ऐतिहासिक न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है. प्याज जैसी नकदी फसल के लिए यह स्थिति बेहद चिंताजनक है और इससे किसानों के मनोबल पर गहरा असर पड़ा है. ऐसे में आइए जानते हैं महाराष्ट्र सहित देश के अन्य मंडियों में प्याज का क्या हाल है.
मंडी | आवक | न्यूनतम दाम | अधिकतम दाम | औसत दाम |
जुत्रर- नारायणगांव | 64 | 300 | 1450 | 1000 |
सोलापूर | 14113 | 100 | 1600 | 900 |
धुले | 1830 | 200 | 1060 | 1000 |
जलगांव | 2790 | 350 | 1037 | 675 |
सूत्र: msamb/15/05/2025
मंडी | न्यूनतम दाम | अधिकतम दाम | औसत दाम |
शादाबाद (यूपी) | 1500 | 1600 | 1550 |
थालास्सेरी (केरल) | 1700 | 2000 | 1800 |
मैगलगंज (यूपी) | 2500 | 2570 | 2530 |
कालापीपल (मध्य प्रदेश) | 300 | 1260 | 920 |
कोपागंज (यूपी) | 1100 | 1200 | 1150 |
आज़ादपुर (दिल्ली) | 500 | 1625 | 1125 |
सोयतकलां (मध्य प्रदेश) | 400 | 410 | 410 |
केशोपुर (दिल्ली) | 600 | 1200 | 950 |
एक तरफ मंडियों में किसानों को जहां प्याज के दाम नहीं मिल रहे, वहीं, दूसरी ओर बाजार में लोगों को प्याज 20 से 30 रुपये किलो मिल रहा है. ऐसे में सवाल ये है कि महाराष्ट्र में किसानों के इस हालत का जिम्मेदार कौन है. दरअसल, सरकार की ओर से प्याज की निर्यात शुल्क दो देर से हटाने को किसान जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. किसानों का कहना है कि उनकी मांग बहुत पहले से थी कि प्याज का निर्यात शुल्क हटाया जाए. इसके अलावा प्याज की बंपर उपज और मंडी में बड़ी मात्रा में आवक होने से भी किसानों को उनकी उपज का दाम नहीं मिल रहा और प्याज अपने ऐतिहासिक गिरावट की ओर है.