Tur Dal: सरकार इस साल 2024-25 की खरीफ सीजन में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर करीब 0.6 मिलियन टन (6 लाख टन) तूर दाल खरीदने जा रही है. यह खरीद वित्त वर्ष 2020 (FY20) के बाद अब तक की सबसे बड़ी खरीद मानी जा रही है.
यह कदम इसलिए अहम है क्योंकि आने वाले त्योहारों के मौसम में जब तूर दाल की खुदरा कीमतें बढ़ने लगेंगी, तब सरकार अपने स्टॉक से बाजार में दाल उतार कर दाम को कंट्रोल में रख सकेगी.
तूर की यह खरीद मुख्य रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और आंध्र प्रदेश जैसे बड़े उत्पादक राज्यों से की जा रही है. यह काम NAFED (नेफेड) और NCCF (नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर फेडरेशन) जैसी सरकारी एजेंसियां कर रही हैं. अब तक करीब 0.57 मिलियन टन की खरीद हो चुकी है और जून के मध्य तक यह काम जारी रहेगा.
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इससे पहले, 2019-20 में सरकार ने करीब 0.54 मिलियन टन तूर की खरीद की थी. इस साल यह आंकड़ा पार हो चुका है, जो किसानों और आम जनता दोनों के लिए राहत की खबर है.
पिछले दो सालों में तूर उत्पादन में गिरावट आई थी, जिससे मंडियों में दाम 9,000 से 10,000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए थे, जबकि सरकार का MSP उससे काफी कम था. ऐसे हालात में सरकार स्टॉक नहीं बना पाई.
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लेकिन इस बार मंडियों में दाम MSP से नीचे हैं. महाराष्ट्र के लातूर में सोमवार को तूर की कीमतें 6,800 से 6,900 रुपये प्रति क्विंटल के बीच थीं, जबकि सरकार ने 2024-25 के लिए MSP 7,550 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है.
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के प्राइस मॉनिटरिंग सेल के अनुसार, फरवरी 2025 में जहां तूर की खुदरा कीमतें 160 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई थीं, वहीं अब यह घटकर 120 रुपये प्रति किलो पर आ गई हैं – यानी 25% की गिरावट.
सरकार की यह खरीद योजना एक तरफ जहां किसानों को MSP की गारंटी देती है, वहीं दूसरी ओर आम उपभोक्ताओं को भी महंगाई से राहत देती है. इससे बाजार में संतुलन बना रहता है और त्योहारों में जरूरी चीज़ों की कीमतें काबू में रहती हैं.