बिहार के भागलपुर जिले के किशनपुर अमखोरिया गांव के रहने वाले उत्तम कुमार जैविक (रसायन मुक्त) खेती को बढ़ावा देने में जुटे हैं. सिर्फ 28 वर्ष की उम्र में उन्होंने ऐसा काम शुरू किया है, जो न केवल किसानों को एक नई दिशा दे रहा है, बल्कि समाज में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता भी बढ़ा रहा है. आज वे अपने कृषि स्टार्टअप "एयू बायोटेक" के माध्यम से करीब 1000 किसानों के साथ मिलकर पांच गांवों में 130 से 140 बीघा ज़मीन पर जैविक खेती करवा रहे हैं.
उत्तम कुमार ने बायोटेक्नोलॉजी से बीएससी और एमएससी की पढ़ाई की है. पढ़ाई के दौरान 2017 में जब वे पटना के महावीर कैंसर अस्पताल में इंटर्नशिप करने गए, तो उन्होंने देखा कि ग्रामीण इलाकों से बड़ी संख्या में लोग कैंसर के इलाज के लिए आ रहे हैं. बातचीत में पता चला कि इनमें से अधिकतर की बीमारी का एक बड़ा कारण रसायनयुक्त भोजन, सहित जीवन यापन का गलत तरीका है. इसके बाद 2018 में नोएडा में दूसरी इंटर्नशिप के दौरान उन्होंने शहरी जीवनशैली और खानपान का गहन अध्ययन किया और तय किया कि अब वे रसायन मुक्त खेती के जरिए समाज में बदलाव लाएंगे.
2019 में गांव लौटकर उत्तम कुमार ने अपने दो एकड़ खेत में जैविक सब्जी की खेती शुरू की. शुरुआत में उन्होंने अकेले काम किया, लेकिन कोविड के बाद उन्होंने आसपास के किसानों को जोड़ना शुरू किया. आज उनके साथ भागलपुर के शाहकुंड प्रखंड के किशनपुर अमखोरिया, जगरनाथपुर, नारायणपुर, करहरिया, हाजीपुर, चांदपुर और मोहनपुर गांवों के किसान जैविक खेती कर रहे हैं. उत्तम बताते हैं कि जैविक खेती में उत्पादन भले ही शुरुआत में थोड़ा कम हो, लेकिन समय के साथ बढ़ता है, जबकि रसायनयुक्त खेती में उतार-चढ़ाव के साथ रोगों का खतरा अधिक बना रहता है.
वहीं, वह किसानों को जैविक खाद, बीज सहित अन्य संसाधन उपलब्ध कराते हैं. हाल के समय में करीब सालाना टर्नओवर करीब 7 लाख रुपये तक पहुंच गया है. वे न केवल खेती कर रहे हैं, बल्कि किसानों को जैविक उत्पादों का उचित मूल्य और बेहतर बाजार दिलाने की दिशा में भी काम कर रहे हैं.
उत्तम कुमार का सपना है कि उनका स्टार्टअप "एयू बायोटेक" एक ऐसा मंच बने जो किसानों को सटीक तकनीकी सहायता, उचित बाजार और रोजगार के अवसर दे सके. वे चाहते हैं कि ग्रामीण इलाकों में खेती को आधुनिक तकनीकों के माध्यम से लाभदायक और आसान बनाया जाए. हालांकि वे यह भी मानते हैं कि अभी भी किसानों के बीच जैविक खेती को लेकर पर्याप्त जागरूकता नहीं है, जिस पर सतत प्रयास की आवश्यकता है. वहीं, अगर उत्तम कुमार की बात करें तो वे न सिर्फ रसायन मुक्त कृषि की राह खोल रहे हैं, बल्कि गांव के युवाओं को रोजगार और समाज को स्वास्थ्य के प्रति सजग जीवनशैली की दिशा में प्रेरित कर रहे हैं.