देश में इस साल नारियल और नारियल तेल की कीमतें सरपट दौड़ रही हैं और कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. वहीं, अब त्योहारी सीजन के बीच मांग और बढ़ने से कीमतों में और बढ़ोतरी होने की आशंका है. बढ़ती कीमतों के ट्रेंड के चलते देश के दक्षिणी राज्यों में खाने में इस्तेमाल होने वाले नारियल तेल ने आम लोगों की रसोई का बजट बिगाड़ दिया है. इसका असर सीधा लोगों की जेब पर पड़ रहा है. आने वाले दिनों में हालात और भी बिगड़ सकते हैं.
अनुमान है कि अगस्त के अंत में जब केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में ओणम का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा, नारियल तेल की खुदरा कीमत 575 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच सकती है. वहीं, इससे पहले देशभर में रक्षाबंधन और जन्माष्टमी जैसे त्योहारों पर भी नारियल की अच्छी मांग रहने वाली है, ऐसे में तब भी कीमतें लोगों की जेब पर भारी असर डाल सकती हैं.
अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री शंकर ठक्कर के मुताबिक, फरवरी 2025 के बाद से नारियल तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिली है. वर्तमान में देशभर में सिर्फ 2 लाख लीटर नारियल तेल की ही उपलब्ध है, जो अगले तीन महीनों की मांग को पूरा करने के लिहाज से कम है. ऐसे में कीमतें और ज्यादा बढ़ने की आशंका है.
इस साल नारियल उत्पादन पर संकट के कई कारण हैं. एक ओर नारियल के पेड़ों पर कीड़ों के प्रकोप ने खोपरा (सूखे नारियल) की पैदावार को भारी नुकसान पहुंचाया है तो दूसरी ओर दक्षिण-पूर्व एशिया में भी उत्पादन घटने से अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति प्रभावित हुई है. इस दोहरी मार के चलते नारियल तेल का उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ है.
स्थिति यह है कि दक्षिण भारत के कई घरों में अब लोग मजबूरी में पाम ऑयल या अन्य सस्ते विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं. लेकिन यह बदलाव सिर्फ रसोई तक सीमित नहीं है. मंदिरों और धार्मिक आयोजनों में भी नारियल और नारियल तेल का उपयोग होता है, जहां अब इसकी बढ़ती कीमत ने आयोजकों को परेशान कर दिया है.
जानकारों के मुताबिक, अब तक जो नारियल 15 से 25 रुपये में मिलता था, उसकी कीमत बढ़कर 40 से 60 रुपये तक पहुंच गई है. इससे खासकर मंदिरों में प्रसाद के रूप में नारियल बांटने वाले भक्तों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ा है. यही नहीं, नारियल तेल का इस्तेमाल चटनी जैसे पारंपरिक व्यंजनों में भी होता है, जिससे स्थानीय खानपान की लागत में भी इजाफा हो रहा है. अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो आने वाले महीनों में नारियल तेल की कीमतें और भी ऊपर जा सकती हैं.