अमेरिका की एक कोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) की तरफ से उठाए गए कदम के बाद तीन खरपतवार नाशकों (Weed killers) पर बैन लगा दिया है. कोर्ट ने उनके वितरण की अनुमति देने में कानूनी प्रोटोकॉल के उल्लंघन का हवाला दिया है. इस फैसले के बाद जिन तीन रसायनों को बैन किया गया है, उन्हें अमेरिका में खेती में बड़े स्तर पर प्रयोग किया जाता है. कोर्ट का फैसला खासतौर पर बायर, बीएएसएफ और सिंजेंटा की तरफ से तैयार किए जाने वाले तीन डिकाम्बा पर आधारित कीटनाशक है.
इन तीनों उत्पादों पर बड़े स्तर पर फसलों को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया है. कोर्ट के फैसले की चर्चा यूरोप के बाजार में भी हो रही है. कोर्ट का कहना है कि इन रसायनों की वजह से न सिर्फ फसलों को नुकसान पहुंचा है बल्कि मध्य-पश्चिम और दक्षिणी क्षेत्रों में लुप्त होने वाली प्रजातियों और प्राकृतिक आवासों के लिए भी खतरा पैदा हो गया है. प्रतिबंधित खरपतवार नाशकों ने बार-बार कानूनी लड़ाई लड़ी है.
यह दूसरा मौका है जब किसी कोर्ट ने ऐसा फैसला लिया है. साल 2017 में भी कोर्ट ने इसी तरह से इन खरपतवार नाशकों को बैन कर दिया था. शुरुआत में साल 2020 में नौवीं सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स ने प्रतिबंध लगाया था. हालांकि, ट्रंप प्रशासन ने बाद में राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले विवाद खड़ा करते हुए उनका उपयोग बहाल कर दिया था. एरिजोना में मामले की सुनवाई कर रहे जज डेविड बरी ने डिकाम्बा को फिर से मंजूरी देने में ईपीए की एक बड़ी गलती को उजागर किया.
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बरी ने इस बात पर जोर दिया कि एजेंसी सार्वजनिक नोटिस और टिप्पणी के लिए कानूनी जरूरतों का पालन नहीं कर रही है. जज बरी का कहना था कि यह एक गंभीर उल्लंघन का संकेत है. उन्होंने जोर देकर कहा कि एक व्यापक विश्लेषण से संभवतः एक अलग निर्णय हो सकता है.
सन् 1967 में अमेरिकी कृषि में पेश किया गया डिकम्बा ऐतिहासिक रूप से विवादों में रहा था. उस समय यह खरपतवार नाशक अस्थिरता की वजह से गर्म महीनों में सीमित रहा है. कहा गया था कि तापमान बढ़ने पर इससे बड़े स्तर पर नुकसान होने की बात कही गई थी. रसायन के बहने की वजह से और इसके अस्थिर होने की वजह से करीब के क्षेत्रों और पानी के स्त्रोतों जैसे तालाबों में खतरा पैदा होने की बात कही गई थी. इससे फसलें और पर्यावरण दोनों प्रभावित होते हैं.
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