इस साल जून में देश के कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सामान्य से कहीं ज़्यादा बारिश दर्ज की गई, जिसने किसानों को राहत पहुंचाई. इस बार मॉनसून ने अपनी शुरुआती चाल में ही कुछ क्षेत्रों में सामान्य से दोगुनी से भी अधिक वर्षा दर्ज कराई है. पूरे देश में इस साल जून महीने में 10 फीसदी अधिक बारिश हुई, जो मॉनसून की अच्छी शुरुआत का संकेत है और कृषि अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक कदम है. हालांकि, अधिक वर्षा से कुछ राज्यों में जल-जमाव और बाढ़ जैसी स्थिति भी उत्पन्न हो गई थी. कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 27 जून तक पिछले साल के 235.44 लाख हेक्टेयर के मुकाबले इस साल 262.12 लाख हेक्टेयर में खेती की गई, जो लगभग 26.71 फीसदी की वृद्धि दर्शाता है. इसमें धान का रकबा बारिश के कारण ज्यादा कवर हुआ है.
1 जून से 1 जुलाई के बीच में सर्वाधिक वर्षा वृद्धि दर्ज करने वाले क्षेत्रों में राजस्थान में सामान्य से 122 फीसदी अधिक, गुजरात में सामान्य से 114 फीसदी अधिक और केंद्रशासित प्रदेश दादरा नगर हवेली और दमन दीव में सामान्य से 127 फीसदी अधिक बारिश दर्ज की है. इन क्षेत्रों में हुई बंपर बारिश से खरीफ की फसलों की बुवाई के लिए भी अनुकूल परिस्थितियां बनीं. झारखंड में सामान्य से 88 फीसदी अधिक बारिश के साथ अच्छी वर्षा हुई, जबकि ओडिशा में सामान्य से 21 फीसदी अधिक वर्षा ने किसानों के लिए उम्मीदें जगाईं, जिससे कृषि गतिविधियों को बढ़ावा मिला.
जून महीने में उत्तर प्रदेश में सामान्य से 22 फीसदी अधिक वर्षा दर्ज की गई, जहां 1 जून से 1 जुलाई के बीच 123.1 मिमी बारिश हुई, जबकि सामान्य 101.3 मिमी होती है. हरियाणा ने भी इस मॉनसून में शानदार प्रदर्शन किया, जून में 82.3 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य 57.8 मिमी से 42 फीसदी अधिक है. खास बात यह रही कि 1 जुलाई को ही हरियाणा में 254 फीसदी अधिक वर्षा दर्ज की गई. पंजाब में भी मॉनसून मेहरबान रहा, जून महीने में कुल 77.4 मिमी बारिश हुई, जबकि सामान्य आंकड़ा 58.1 मिमी है. यानी यहां 33 फीसदी अधिक वर्षा दर्ज हुई. हिमाचल प्रदेश में भी सामान्य से 58 फीसदी अधिक वर्षा दर्ज की गई है.
मध्य प्रदेश सामान्य से 47 फीसदी अधिक बारिश के साथ उन राज्यों में शामिल रहा जहां अच्छी वर्षा हुई. महाराष्ट्र में जून 2025 के दौरान कुल 229.0 मिमी बारिश दर्ज की गई, जबकि सामान्य आंकड़ा 219.4 मिमी है. यानी यहां 4 फीसदी अधिक वर्षा हुई है. दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में औसत के बराबर या उससे कम वर्षा दर्ज की गई. केरल में सामान्य से 7 फीसदी कम, कर्नाटक में सामान्य से 5 फीसदी अधिक जबकि तेलंगाना में 17 फीसदी कम बारिश रही.
मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, जून महीने में छत्तीसगढ़ में कुल 169.5 मिमी बारिश दर्ज की गई, जबकि सामान्य बारिश 197.8 मिमी होती है. यानी यहां 14 फीसदी कम वर्षा हुई है. बिहार में इस बार मॉनसून कमजोर रहा, जून महीने में कुल 113.6 मिमी बारिश हुई, जबकि सामान्य बारिश 174.8 मिमी होती है, यानी यहां 35 फीसदी कम वर्षा दर्ज की गई. इससे धान की नर्सरी और खरीफ फसलों की बुवाई पर असर पड़ सकता है. पूर्वोत्तर भारत के अधिकांश राज्यों में भी इस बार मॉनसून कमजोर रहा. अरुणाचल प्रदेश में 40 फीसदी की कमी, असम में 34 फीसदी, मेघालय में 47 फीसदी, नागालैंड में 6 फीसदी, मणिपुर में 20 फीसदी और त्रिपुरा में 14 फीसदी कम वर्षा दर्ज की गई.
जून में अच्छी बारिश के कारण किसानों ने धान के रकबे में ज्यादा कवरेज किया है. धान के रकबे में पिछले साल के मुकाबले 11.24 लाख हेक्टेयर की तेजी है. इस साल जून अंत तक 35 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में धान की खेती हो चुकी है. यह 11.24 फीसदी है जबकि पिछले साल इसी अवधि में 23 लाख हेक्टेयर का आंकड़ा था. वही अच्छी बारिश की वजह से इस बार तिलहन फसल सोयाबीन और मूंगफली की बुवाई में भी तेजी देखी गई है.