हिमाचल प्रदेश के किसान और श्रमिक बुधवार को संयुक्त किसान मंच के आह्वान पर राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए. किसानों ने कृषि विरोधी और नव-उदारवादी आर्थिक नीतियों, केंद्र के व्यापार फैसलों और स्थानीय भूमि बेदखली अभियानों के खिलाफ अपना विरोध जताया. इस दौरान शिमला में चार निर्धारित स्थानों पर विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया और अधिकारियों को ज्ञापन सौंपे गए. शिमला में हो रहा ये विरोध प्रदर्शन एक बड़े आंदोलन का हिस्सा है, जिसमें भारत भर के किसान संगठन विदेशी आयात के खिलाफ मजबूत सुरक्षा, उचित मूल्य निर्धारण और जबरन भूमि अधिग्रहण की रोकथाम की मांग कर रहे हैं.
एएनआई से बात करते हुए, हिमाचल प्रदेश सेब उत्पादक संघ के अध्यक्ष सोहन सिंह ठाकुर ने कहा कि कृषि उत्पादों पर लगाए जाने वाले शुल्क के अलावा, भूमि बेदखली का मुद्दा भी है. उन्होंने कहा, "यह विरोध प्रदर्शन देश में लागू की जा रही किसान-विरोधी और बागवानी-विरोधी नीतियों के खिलाफ एक राष्ट्रीय आह्वान के तहत आयोजित किया गया है. हिमाचल प्रदेश में स्थानीय मुद्दों, खासकर भूमि अधिग्रहण के नाम पर किसानों की बेदखली ने भी हमें प्रदर्शन करने के लिए मजबूर किया है. इसी तरह के विरोध प्रदर्शन पूरे राज्य और देश भर में आयोजित किए जा रहे हैं."
इस विरोध प्रदर्शन में कृषि आयात पर केंद्र सरकार के रुख पर भी निशाना साधा गया. ठाकुर ने घरेलू उत्पादकों की सुरक्षा के लिए सभी कृषि उत्पादों पर 100 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने की मांग की.
ठाकुर ने आरोप लगाया कि भूमि विवादों से निपटने का राज्य सरकार का तरीका, विशेषकर उन मामलों में जहां हाई कोर्ट ने पेड़ों को काटने या निवासियों को बेदखल करने का आदेश नहीं दिया था, "लापरवाह और किसान विरोधी" है. सोहन सिंह ठाकुर ने कहा कि जनवरी में, उच्च न्यायालय ने एक फैसला दिया था जिसमें बेदखली या पेड़ काटने का कोई निर्देश नहीं था. फिर भी, बेदखली की जा रही है. मुख्यमंत्री में हमारे विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए थे और उन्होंने एक महीने के भीतर कार्रवाई का वादा किया था. लेकिन अब तक हमारी मांगों को नज़रअंदाज़ किया गया है. यहां तक कि महाधिवक्ता भी किसानों का पक्ष अदालत में ठीक से रखने में विफल रहे. यह राज्य सरकार की दोहरी नीति का स्पष्ट उदाहरण है, जिसमें विरोध प्रदर्शन के दौरान सहानुभूति दिखाई जाती है, लेकिन कार्यान्वयन के दौरान किसानों का विरोध किया जाता है."
सेब उत्पादक संघ ने हाल ही में बेदखली के कई मामलों को भी अन्याय का उदाहरण बताया, जिनमें एक युवा किसान नरेश का मामला भी शामिल है. इसके माता-पिता दो दशक पहले भूस्खलन में मारे गए थे. स्थानीय एसडीएम ने परिवार को घर बनाने के लिए ज़मीन आवंटित की थी, लेकिन अब उसे अतिक्रमण घोषित कर दिया गया है और नरेश को बेदखल कर दिया गया है. ठाकुर ने चेतावनी दी, "इस तरह की कार्रवाइयों से रोहड़ू और अन्य जगहों पर दलित और गरीब परिवार विस्थापित हो रहे हैं. सेब उत्पादक संघ और किसान सभा इन मामलों को कानूनी तौर पर लड़ेंगे और ज़रूरत पड़ने पर राज्य मशीनरी से सीधे भिड़ेंगे."
(सोर्स- ANI)
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