महाराष्ट्र में लाडकी बहिण योजना फिर से चर्चा में है और इस बार यह लाभार्थियों को मिलने वाली राशि में कटौती के चलते राजनीतिक विवाद के घेरे में है. राज्य की करीब आठ लाख महिला लाभार्थी, जिन्हें प्यार से 'लाडली बहन' कहा जाता है, को अब इस योजना के तहत केवल सिर्फ 500 प्रति माह मिलेंगे जबकि पहले यह राशि 1500 रुपये थी. हैरान करने वाली बात यह है कि इसी योजना को साल 2024 में महायुति गठबंधन को मिली एतिहासिक जीत का श्रेय दिया जाता है. इस नए घटनाक्रम के साथ ही अब सबकी नजरें उन राज्यों पर हैं जहां पर इसी तरह की योजनाओं का संचालन किया जा रहा है.
हाल के कुछ सालों में देश के कई राज्यों में महिलाओं को सशक्त बनाने और चुनावों में उनका समर्थन हासिल करने के मकसद से महिला आधारित डायरेक्ट कैश ट्रांसफर योजनाएं शुरू की हैं. इन योजनाओं या इन पहल के माध्यम से महिलाओं को सीधी आर्थिक मदद मुहैया कराई जा रही है. राजनीतिक दलों का मानना है कि इन योजनाओं के जरिये महिलाओं के सामने आने वाली आर्थिक चुनौतियों का समाधान होता है और उन्हें मजबूती मिलती है. वहीं आलोचक इन योजनाओं पर अब सवालिया निशान भी उठाने लगे हैं. एक नजर डालिए कि कौन से राज्यों में ऐसी कौन सी योजनाएं हैं जो महिलाओं को ध्यान में रखकर शुरू की गई हैं.
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दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक प्रमुख चुनावी वादे के तहत महिला समृद्धि योजना की शुरुआत का ऐलान किया. इस योजना के तहत, राष्ट्रीय राजधानी में आर्थिक तौर पर कमजोर वर्गों की महिलाओं को 2,500 रुपये का मासिक भत्ता दिया जाएगा. इस योजना के लिए पिछले दिनों हुई एक कैबिनेट मीटिंग में 5100 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है. वहीं इस योजना को लेकर अभी से बहस शुरू हो गई हैं. आलोचकों का कहना है कि योजना से राज्य के खजाने पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर, 2024 को ओडिशा में सुभद्रा योजना की शुरुआत की थी. इस योजना का मकसद राज्य में 21 से 60 वर्ष की आयु की महिलाओं को सीधी आर्थिक सहायता प्रदान करना है. योग्य लाभार्थियों को साल भर में 10,000 रुपये मिलते हैं. इस राशिक को रक्षा बंधन और अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर 5,000 रुपये की दो समान किस्तों में बांटा जाता है. पांच सालों में यानी 2024 से 2029 तक हर महिला को कुल 50,000 रुपये मिलेंगे. इस योजना से राज्य भर में एक करोड़ से ज्यादा महिलाओं को फायदा मिलने की उम्मीद है.
मार्च 2023 में, मध्य प्रदेश सरकार ने महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए लाडली बहना योजना शुरू की. इस योजना के तहत योग्य महिलाओं को उनके आधार से जुड़े, DBT-सक्षम बैंक खातों में सीधे 1,250 रुपये का मासिक भत्ता मिलता है. इस पहल ने बाद के राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. साथ ही योजना की वजह से पार्टी को सत्ता विरोधी भावनाओं पर काबू पाने और पर्याप्त बहुमत हासिल करने में मदद मिली.
फरवरी 2024 में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने विवाहित महिलाओं के लिए इस योजना का ऐलान किया था. और एक मार्च 2024 से यह लागू हो गई. इसके तहत पात्र लाभार्थियों को हर साल 12,000 रुपये मिलते हैं, जो 1,000 रुपये की मासिक किस्तों में उनके बैंक खातों में ट्रांसफर किए जाते हैं.
गृह लक्ष्मी योजना को कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने साल 2023 में अपने चुनावी वादों के तहत शुरू किया था. यह योजना गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) परिवारों की महिला मुखिया को हर महीने 2,000 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करती है. इस योजना का मकसद आर्थिक स्तर पर लैंगिक अंतर को कम करना और गृहणियों का समर्थन करना है. फरवरी 2025 तक, इस योजना से 1.33 करोड़ से अधिक महिलाओं को लाभ मिला है. इसमें से 2024-25 वित्तीय वर्ष में वितरण के लिए 28,608 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि आवंटित की गई है.
24 जुलाई 2024 को महाराष्ट्र सरकार ने 21 से 65 वर्ष की आयु की महिलाओं को सहायता देने के लिए मुख्यमंत्री माझी लड़की बहिन योजना शुरू की. लाभार्थियों को शुरुआत में 1,500 रुपये की आर्थिक मदद हर महीने दी जाती थी. नकद भत्ते के अलावा, इस योजना में सालाना तीन मुफ्त एलपीजी सिलेंडर और स्किल डेवलपमेंट और स्वास्थ्य सेवा जैसी अतिरिक्त सुविधाएं भी दी जाती हैं.
पश्चिम बंगाल सरकार ने साल 2021 में विधानसभा चुनावों के बाद चुनावी वादे के तहत लक्ष्मी भंडार योजना को शुरू किया. इस योजना के तहत 25 से 60 साल की योग्य महिलाओं को आर्थिक मदद दी जाती है. योजना में सरकार की तरफ से महिलाओं को हर महीने 1,000 रुपये दिए जाते हैं. जबकि एससी/एसटी श्रेणियों की महिलाओं को 1,200 रुपये दिए जाते हैं. योग्य होने के लिए, महिलाओं को 'स्वास्थ्यसाथी' योजना के तहत नामांकित होना चाहिए.
अगस्त 2024 में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 21 से 50 वर्ष की आयु की महिलाओं को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री मैय्या सम्मान योजना शुरू की. इस योजना के तहत हर महीने की 15 तारीख को लाभार्थी महिलाओं के खाते में 1,000 रुपये ट्रांसफर किए जाते हैं. योजना का मकसद आर्थिक तौर पर कमजोर वर्गों की महिलाओं को सहायता प्रदान करना है.
तमिलनाडु सरकार ने 21 साल और उससे ज्यादा की आयु वाली महिलाओं को आर्थिक मदद प्रदान करने के लिए सितंबर 2023 में कलैगनार मगलीर उरीमाई थिट्टम की शुरुआत की. इस योजना के तहत लाभार्थियों को हर महीने 1,000 रुपये मिलते हैं, बशर्ते वे आय, भूमि स्वामित्व और बिजली खपत मानदंडों को पूरा करते हों. इस योजना का मकसद आर्थिक आजादी को बढ़ावा देना है और 1.06 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को इसका फायदा मिल रहा है. हर महीन की एक निश्चित तारीख को राशि सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में ट्रांसफर कर दी जाती है.