Explainer: Petrol Pump Strike के पीछे क्या है राजनीति? आसान भाषा में इन पॉइन्ट्स से समझें

Explainer: Petrol Pump Strike के पीछे क्या है राजनीति? आसान भाषा में इन पॉइन्ट्स से समझें

दरअसल, कांग्रेस पार्टी और खासकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत केन्द्र की भाजपा सरकार को महंगाई के मुद्दे पर घेरते रहते हैं. राजस्थान में विधानसभा चुनाव बेहद नजदीक हैं. ऐसे में राजस्थान भाजपा के पास गहलोत सरकार को महंगाई जैसे मुद्दे पर घेरने के लिए कोई नैतिक कारण नहीं था.... पढ़िए ये खास एक्प्लेनर.

Petrol Pump Strike के पीछे क्या है राजनीति? GFX- Sandeep BhardwajPetrol Pump Strike के पीछे क्या है राजनीति? GFX- Sandeep Bhardwaj
माधव शर्मा
  • Jaipur,
  • Sep 14, 2023,
  • Updated Sep 14, 2023, 5:43 PM IST

राजस्थान में 13 सितंबर से पेट्रोल डीलर्स का राज्यव्यापी बंद चल रहा है. मांग है कि प्रदेश में पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले वैट को कम किया जाए. क्योंकि राजस्थान के पड़ोसी राज्यों की तुलना में काफी ज्यादा वैट है. इससे जनता को पेट्रोल-डीजल महंगा मिल रहा है. वहीं, सीमावर्ती जिलों में लोग दूसरे राज्यों से पेट्रोल-डीजल भरा लेते हैं. इससे पेट्रोल डीलर्स को घाटा हो रहा है. साथ ही सरकार को भी राजस्व का घाटा हो रहा है. इन सब चर्चाओं के बीच यह जानना काफी दिलचस्प है कि जब राजस्थान में चुनाव एकदम नजदीक है. ऐसे में पेट्रोल डीलर्स का राज्यव्यापी बंद क्या कांग्रेस के लिए नुकसानदेय हो सकता है? क्या भाजपा इस बंद का कोई चुनावी फायदा लेना चाहती है? ये सब जानने से पहले आपको यह बताते हैं कि कल एक दिन के बंद से राजस्थान सरकार को क्या नुकसान हुआ? 

राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन की ओर से बुलाए गए इस बंद से 13 सितंबर को ही राज्य सरकार को पेट्रोलियम बिक्री से मिलने वाले राजस्व में करीब 44 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. प्रदेश के लगभग सभी 6712 पेट्रोल पंप सुबह 10 से शाम छह बजे तक बंद रहे. डीलर्स की हड़ताल से डीजल की कुल 15231 किलोलीटर और डीजल की 68, 859 किलोलीटर बिक्री प्रभावित हुई.

डीलर्स ने चेतावनी दी है कि अगर गुरुवार को भी सरकार का हड़ताल को लेकर रवैया उदासीन रहता है तो 15 सितंबर से प्रदेश के सभी डीलर्स अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे. 

बीजेपी ने समर्थन में किए ट्वीट, क्या मिल पाएगा फायदा?

बंद के समर्थन में राजस्थान बीजेपी ने समर्थन किया. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने एक्स/ट्वीट कर राजस्थान सरकार पर महंगाई को लेकर हमला किया. राजे ने लिखा, “राजस्थान में पेट्रोल-डीजल पड़ोसी राज्यों से 8 से 12 रुपये महंगा बिक रहा है. जो महंगाई का एक बड़ा कारण है. इसका असर पम्प संचालकों के साथ-साथ आमजन की जेब पर भी पड़ रहा है. यह हो रहा है अन्य राज्यों की तुलना में वैट की अत्यधिक वसूली की वजह से. गहलोत जी, महंगाई राहत का ढोंग करने की बजाय अन्य राज्यों की तुलना से अत्यधिक वैट वसूली बंद करिए. ताकि पेट्रोल-डीजल के दाम कम हों और जनता को वास्तव में राहत मिल सके!”

 

वहीं, बीजेपी राजस्थान के ऑफिशियल ट्विटर/एक्स पर कांग्रेस सरकार से सवाल किया. बीजेपी ने लिखा, “महंगाई पर ढोंग करने वाली कांग्रेस राजस्थान में पेट्रोल के दाम पर क्यों है चुप?”

क्या है बंद के पीछे की राजनीति?

अब बात करते हैं कि पेट्रोलियम डीलर्स के बंद के पीछे क्या राजनीतिक कारण हो सकते हैं. दरअसल, कांग्रेस पार्टी और खासकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत केन्द्र की भाजपा सरकार को महंगाई के मुद्दे पर घेरते रहते हैं. राजस्थान में विधानसभा चुनाव बेहद नजदीक हैं. ऐसे में राजस्थान भाजपा के पास गहलोत सरकार को महंगाई जैसे मुद्दे पर घेरने के लिए कोई नैतिक कारण नहीं था.

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क्योंकि जब भाजपा कांग्रेस सरकार से सवाल करती है तो गहलोत सहित पूरा मंत्रिमंडल महंगाई के मुद्दे पर पीएम मोदी को घेरने लगता है. भाजपा के पास महंगाई को लेकर महंगे पेट्रोल का ही मुद्दा बचता है. क्योंकि प्रदेश में पेट्रोल-डीजल पर लगने वाला वैट पड़ोसी राज्यों से काफी ज्यादा है. इन राज्यों में से अधिकतर में बीजेपी की सरकार है. पंजाब और दिल्ली को छोड़कर  हरियाणा, यूपी, एमपी, गुजरात में बीजेपी सरकार है और इन राज्यों में राजस्थान की तुलना में वैट कम है. 

GFX- Sandeep Bhardwaj

कांग्रेस के महंगाई राहत कैंपों को बेअसर करने में जुटी बीजेपी

केन्द्र की ओर से महंगाई बढ़ने के विरोध कहिए या राजस्थान कांग्रेस की अपनी महंगाई से निपटने की नीति, राज्य सरकार ने अप्रेल और मई महीने में महंगाई राहत कैंप लगाए थे. इसमें राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने अपनी 10 फ्लैगशिप योजनाओं के लिए जनता के रजिस्ट्रेशन किए थे.

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इसमें पशुओं का बीमा, इंदिरा गांधी गैस सिलेंडर योजना, चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना, किसानों को दो हजार यूनिट बिजली, प्रत्येक घर में सौ यूनिट मुफ्त बिजली, अन्नपूर्णा फ्री राशन योजना, मनरेगा में 125 दिन काम, इंदिरा गांधी शहरी रोजगार योजना, न्यूनतम एक हजार रुपये पेंशन और चिरंजीवी दुर्घटना बीमा योजना शामिल थी. 

पेट्रोल-डीजल पर वैट कम करने की डीलर्स की मांग का समर्थन कर राजस्थान बीजेपी कांग्रेस के इन महंगाई राहत कैंपों को बेअसर करने में जुटी है. क्योंकि कांग्रेस इन्हीं योजनाओं के दम पर ही वोट मांगने के लिए जनता के पास जा रही है. वहीं, भाजपा ने भी प्रदेशभर में परिवर्तन यात्रा शुरू की हुई है. इस यात्रा में पार्टी कांग्रेस को महंगे पेट्रोल-डीजल के लिए घेरने में लगी है. 


 

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