Climate Change: जलवायु परिर्वतन का असर! भारत में आलू-प्‍याज की कीमतों में कई गुना इजाफा 

Climate Change: जलवायु परिर्वतन का असर! भारत में आलू-प्‍याज की कीमतों में कई गुना इजाफा 

स्‍टडी के अनुसार भारत में, मई में पड़ी भीषण गर्मी के बाद 2024 की दूसरी तिमाही में प्याज और आलू की कीमतों में 80 प्रतिशत से ज्‍यादा की बढ़ोतरी हुई. यह एक 'काफी अनोखी घटना' थी जिससे जलवायु परिवर्तन के कारण कम से कम 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ा. साल वर्ष 2024 अब तक का सबसे गर्म वर्ष रहा. ऐसा पहला ऐसा साल था जब ग्‍लोबल स्‍तर पर औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस ज्‍यादा था. 

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क‍िसान तक
  • New Delhi,
  • Jul 27, 2025,
  • Updated Jul 27, 2025, 11:49 AM IST

जलवायु परिवर्तन या क्‍लाइमेट चेंज का असर अब फसलों पर नजर आने लगा है. एक नई स्‍टडी पर अगर यकीन करें तो भारत में साल 2024 में असामान्य तौर पर भीषण गर्मी पड़ी और इसकी वजह से खाद्य पदार्थों की कीमतों में भारी वृद्धि देखी गई. साथ ही साल की दूसरी तिमाही में प्याज और आलू की कीमतों में 80 प्रतिशत से ज्‍यादा का इजाफा हुआ. बार्सिलोना सुपरकंप्यूटिंग सेंटर के मैक्सिमिलियन कोज के नेतृत्व में और यूरोपीय सेंट्रल बैंक, पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च और यूके के फूड फाउंडेशन के रिसर्चर्स को इस स्‍टडी में शामिल किया गया था. स्‍टडी में 2022 और 2024 के बीच 18 देशों में मौसम की वजह से 16 खाद्य कीमतों में हुए इजाफे के बारे में पता लगाया गया. 

दुनिया का तापमान बढ़ा 

इसमें पाया गया कि इनमें से कई घटनाएं 2020 से पहले के सभी ऐतिहासिक उदाहरणों से कहीं ज्‍यादा थीं और ग्लोबल वार्मिंग से काफी प्रभावित थीं.  रिसर्चर्स ने कहा, 'भारत में, मई में आई भीषण गर्मी के बाद 2024 की दूसरी तिमाही में प्याज और आलू की कीमतों में 80 प्रतिशत से ज्‍यादा की बढ़ोतरी हुई. यह एक 'काफी अनोखी घटना' थी जिससे जलवायु परिवर्तन के कारण कम से कम 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ा. साल वर्ष 2024 अब तक का सबसे गर्म वर्ष रहा. ऐसा पहला ऐसा साल था जब ग्‍लोबल स्‍तर पर औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस ज्‍यादा था. 

फसलों की पैदावार पर भी असर 

भारत में, मई में अत्यधिक गर्मी ने फसलों की पैदावार और आपूर्ति श्रृंखलाओं को बुरी तरह प्रभावित किया, जिससे आवश्यक सब्जियों की कीमतों में भारी वृद्धि हुई. स्‍टडी में चेतावनी दी गई है कि खाद्य पदार्थों की कीमतों में इस तरह के उतार-चढ़ाव से कुपोषण और पुरानी बीमारियों सहित स्वास्थ्य संबंधी परिणाम और बिगड़ सकते हैं और आर्थिक असमानता बढ़ सकती है.  

कोट्ज ने कहा, 'खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों का खाद्य सुरक्षा पर सीधा प्रभाव पड़ता है, खासकर कम आय वाले परिवारों पर. जब खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ती हैं, तो कम आय वाले परिवारों को अक्सर कम पौष्टिक और सस्ते खाद्य पदार्थों का सहारा लेना पड़ता है. इस तरह के आहार कैंसर, मधुमेह और हृदय रोग जैसी कई स्वास्थ्य स्थितियों से जुड़े हुए हैं.'  

रिसर्चर्स ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण खाद्य महंगाई भी बढ़ सकती है. इससे केंद्रीय बैंकों के लिए मूल्य स्थिरता बनाए रखना मुश्किल हो जाता है, खासकर विकासशील देशों में जहां घरेलू बजट में खाद्य उत्पादों का बड़ा हिस्सा होता है. रिसर्च के अनुसार घाना और आइवरी कोस्ट में, फरवरी में आई भीषण गर्मी के बाद अप्रैल 2024 तक ग्‍लोबल कोको की कीमतों में करीब 280 प्रतिशत की वृद्धि हुई. 

और कहां पर क्‍या-क्‍या हुआ महंगा 

ब्राजील और वियतनाम में, भीषण गर्मी और सूखे के कारण अरेबिका कॉफी की कीमतों में 55 प्रतिशत और रोबस्टा की कीमतों में 100 प्रतिशत की वृद्धि हुई. यूरोपियन यूनियन स्पेन और इटली में सूखे के बाद जनवरी 2024 तक ऑलिव ऑयल की कीमतों में साल-दर-साल 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई. अमेरिका में, कैलिफोर्निया और एरिजोना में सूखे के कारण नवंबर 2022 में सब्जियों की कीमतों में 80 प्रतिशत की वृद्धि हुई. 

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