मौसम से लेकर धरती की हर छोटी-बड़ी हरकत पर होगी नजर, किसानों के लिए वरदान बनेगी NISAR सैटेलाइट

मौसम से लेकर धरती की हर छोटी-बड़ी हरकत पर होगी नजर, किसानों के लिए वरदान बनेगी NISAR सैटेलाइट

NISAR धरती की निगरानी का सुपरहीरो है. ये फसलों, भूकंप, बाढ़ और हिमनद पिघलने पर नजर रखेगा. किसानों को फसल की जानकारी, वैज्ञानिकों को डेटा और आपदा राहतकों को अलर्ट देगा. ISRO और NASA की साझेदारी भारत की अंतरिक्ष ताकत और वैश्विक सहयोग का प्रतीक है. 

NISAR सैटेलाइटNISAR सैटेलाइट
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jul 26, 2025,
  • Updated Jul 26, 2025, 11:48 AM IST

30 जुलाई 2025 को भारत एक बार फिर अंतरिक्ष में इतिहास रचने जा रहा है. NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) सैटेलाइट, जिसे ISRO और NASA ने मिलकर बनाया है. GSLV-F16 रॉकेट से श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च होगा. ये सैटेलाइट धरती की हर छोटी-बड़ी हरकत पर नजर रखेगा-चाहे बादल हों, अंधेरा हो या जंगल ये सैटेलाइट भारत को आपदा प्रबंधन, कृषि और जलवायु परिवर्तन में नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा. साथ ही किसान, वैज्ञानिक और आपदा राहत टीमें सबके लिए ये सैटेलाइट गेम-चेंजर है.

NISAR क्या है?

NISAR एक पृथ्वी पर नजर रखने वाली सैटेलाइट है, जो NASA (अमेरिका) और ISRO (भारत) की साझेदारी का नतीजा है. इसका पूरा नाम है NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar. ये दुनिया का पहला ऐसा सैटेलाइट है, जो दोहरी फ्रीक्वेंसी रडार (L-बैंड और S-बैंड) का इस्तेमाल करेगा. इसका मतलब है कि ये धरती की सतह को दो अलग-अलग तरह की रेडियो तरंगों से स्कैन करता है, जिससे बेहद सटीक तस्वीरें मिलती हैं. 

NISAR का 12 मीटर का मेश एंटीना (जैसे बड़ा छाता) और SweepSAR तकनीक इसे 242 किमी चौड़े क्षेत्र को स्कैन करने की ताकत देता है. ये 5-10 मीटर की सटीकता से तस्वीरें ले सकता है. 1 सेंटीमीटर जितनी छोटी हरकत को भी पकड़ लेता है.

NISAR कैसे काम करता है?

NISAR में Synthetic Aperture Radar (SAR) तकनीक है, जो रेडियो तरंगों से तस्वीरें बनाता है. ये सामान्य कैमरों से अलग है, क्योंकि... बादल, धुंध या रात का असर नहीं: ये बादलों और अंधेरे के पार देख सकता है. इसके अलावा ये 24/7 काम करेगा और दिन-रात, हर मौसम में डेटा जमा करता है.

दोहरा रडार

L-बैंड (NASA): घने जंगलों और मिट्टी के नीचे तक देखता है. भूकंप, ज्वालामुखी और बर्फ की निगरानी के लिए बेस्ट है.
S-बैंड (ISRO): मिट्टी की नमी और फसलों की जानकारी देता है.

NISAR क्या-क्या करेगा?

  • प्राकृतिक आपदाओं की निगरानी
  • भूकंप: टेक्टोनिक प्लेट्स की हलचल को सेंटीमीटर स्तर पर ट्रैक करेगा.
  • ज्वालामुखी: लावा की हरकत को पहले ही भांप लेगा.
  • भूस्खलन और सुनामी: हिमालय या तटीय इलाकों में खतरे की पहले से चेतावनी देगा.

जलवायु परिवर्तन

  • हिमनद और बर्फ: हिमालय और अंटार्कटिका की बर्फ पिघलने की रफ्तार बताएगा, जिससे समुद्र स्तर बढ़ने की भविष्यवाणी होगी.
  • जंगल: वनों की कटाई और वनस्पति की स्थिति पर नजर रखेगा.
  • मौसम: मिट्टी की नमी और पानी के स्रोतों की जानकारी देगा.

कृषि और पानी प्रबंधन

फसलें: फसलों की स्थिति, मिट्टी की नमी और खेती के पैटर्न की जानकारी देगा.
पानी: भूजल और नदियों की स्थिति पर नजर रखेगा, जिससे सूखे की भविष्यवाणी होगी.

आपदा राहत

बाढ़, तूफान या जंगल की आग जैसी घटनाओं में रियल-टाइम डेटा देकर राहत कार्यों में मदद करेगा. उदाहरण: 2023 हिमाचल बाढ़ में रेस्क्यू ऑपरेशन तेज हो सकते थे.

तटीय निगरानी: समुद्र तटों की कटाई और समुद्री बर्फ की स्थिति पर नजर रखेगा.

खास बात: NISAR का डेटा मुफ्त होगा. वैज्ञानिक, सरकारें और आम लोग इसे इस्तेमाल कर सकते हैं. हर दिन ये 85 टेराबाइट डेटा (लाखों फोन तस्वीरों जितना) भेजेगा.

भारत के लिए क्यों अहम?

आपदा प्रबंधन

हिमालय में भूकंप, हिमाचल में भूस्खलन या ओडिशा में तूफान—NISAR पहले अलर्ट देगा.

कृषि और पानी

भारत में मॉनसून पर निर्भर खेती है. NISAR मिट्टी की नमी बताएगा, जिससे किसान बेहतर योजना बनाएंगे. भूजल की कमी वाले इलाकों (जैसे पंजाब, हरियाणा) में पानी प्रबंधन आसान होगा.

जलवायु परिवर्तन

हिमालयी हिमनद: गंगा-यमुना जैसी नदियों का स्रोत पिघल रहा है. NISAR इसकी निगरानी करेगा. तटीय शहरों (जैसे चेन्नई, मुंबई) में समुद्र स्तर बढ़ने की चेतावनी देगा.

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