अब तक हमने कॉटन, जूट, नायलॉन आदि से बने कपड़ों के बारे में सुना या देखा है. इन उत्पादों का उपयोग बड़े पैमाने पर कपड़े बनाने के लिए किया जाता है. जिसके चलते इनकी डिमांड भी लगातार बढ़ती जा रही है. जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ रही है, मांग भी बढ़ती जा रही है. ऐसे में बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए नई-नई चीजों का आविष्कार किया जा रहा है. उनमें से एक है बनाना कॉटन. अब इसका उपयोग कपड़े बनाने में भी किया जाता है. तो आइये जानते हैं क्या है बनाना कॉटन और इसकी उपयोगिता.
केले का फ़ाइबर जिसे बनाना कॉटन भी कहा जाता है वो केले के पौधों के तने से निकाला गया एक प्राकृतिक फाइबर है. फाइबर उत्पादन के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले केले के पौधे अबाका (मूसा टेक्स्टिलिस) और मनीला हेम्प (एक प्रकार का केला पौधा) हैं, जो मुसैसी परिवार से आते हैं. केले के रेशे को निकालने की प्रक्रिया में केले के पौधे की बाहरी त्वचा को अलग-अलग रेशों में निकाला जाता है. जिन्हें फिर साफ किया जाता है और सूत या सुतली में पिरोया जाता है.
बनाना कॉटन से जुड़ी जानकारी
- केले के पौधे तेजी से बढ़ने वाले और नवीकरणीय (renewable) होते हैं, जो केले के रेशे को पर्यावरण-अनुकूल और टिकाऊ बनाते हैं.
- केले का फाइबर बायोडिग्रेडेबल है, जिसका मतलब है कि यह समय के साथ प्राकृतिक रूप से गल सकता है, जिससे वातावरण पर प्रभाव कम हो सकता है.
- फाइबर उत्पादन के लिए केले के पौधों की खेती से अतिरिक्त लाभ हो सकते हैं, जैसे मिट्टी के कटाव को रोकना और जैव उत्पादों को बढ़ावा देना.
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केले के रेशों का उपयोग
- केले के रेशे का उपयोग पारंपरिक रूप से कपड़ा, कागज और हस्तशिल्प सहित विभिन्न उत्पाद बनाने के लिए किया जाता रहा है. कुछ क्षेत्रों में इसका उपयोग रस्सियां और चटाइयां बनाने के लिए भी किया जाता है.
- केले के रेशे को इसके गुणों को बढ़ाने के लिए अक्सर कपास या रेशम जैसे अन्य रेशों के साथ मिलाया जाता है. जिससे कपड़ा टिकाऊ बनता है.
- केले के रेशे का उपयोग आमतौर पर हस्तशिल्प, जैसे बैग, टोपी और घरेलू सजावट की वस्तुओं के उत्पादन में किया जाता है.
- सिंथेटिक फाइबर के टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों में केले के फाइबर ने ध्यान आकर्षित किया है. यह कुछ सिंथेटिक सामग्रियों की तुलना में पर्यावरण के प्रति सही होते हुए इसके उत्पादन में शामिल किसानों के लिए आर्थिक अवसर प्रदान करता है.
कैसे तैयार किया जाता है केले का रेशा?
- सबसे पहले केले के तने और छिलके के रेशों को अलग किया जाता है. इन रेशों को अलग करने के लिए अलग-अलग तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है. जिसमें रेशों को नरम करने और अलग करने के लिए छिलकों को रासायनिक पदार्थ या पानी में भिगोया जाता है.
- एक बार जब रेशे अलग हो जाते हैं, तो उन्हें एक साथ जोड़ दिया जाता है और सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है. इसके बाद, बाहरी और भीतरी रेशों को एक साथ रखा जाता है, क्योंकि गीले होने पर उन्हें अलग करना कठिन होता है.
- एक बार जब रेशे सूख जाते हैं, तो इसे गुणवत्ता के आधार पर अलग कर लिया जाता है. अच्छे रेशों को एक साथ रखा जाता है उससे नीचे वालों को अलग-अलग बांट दिया जाता है.
- अंत में, अलग किए गए रेशों को सूत में पिरोया जाता है. इसे रंगा जाता है, और फिर सामान, कपड़े, सजावट की वस्तुओं या औद्योगिक उत्पादों में बुना जाता है. यह प्रक्रिया पहले हाथों से किया जाता था, जिससे इसे बड़े पैमाने पर करना कठिन हो गया था. जिसके बाद अब इन कामों को मशीनों से किया जाता है.