खेती में लगातार रासायनिक खादों के इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरा शक्ति लगातार कम होती जा रही है. जिसके कारण किसानों को न सिर्फ अधिक खाद का इस्तेमाल करना पड़ रहा है बल्कि इसका बुरा असर हमारे और आपके स्वास्थ्य पर भी दिखाई दे रहा है. ऐसे में सरकार रासायनिक खादों के इस्तेमाल को कम करने और कम्पोस्ट व अन्य खादों को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाती नजर आ रही है. किसान जैविक या प्राकृतिक खादों का इस्तेमाल कर न सिर्फ मिट्टी की रक्षा कर सकते हैं बल्कि मानव स्वास्थ्य को भी बेहतर बना सकते हैं. इन दिनों न सिर्फ सरकार बल्कि लोगों की बढ़ती जागरूकता के कारण इन दिनों जैविक फल और सब्जियों की मांग बढ़ रही है. लेकिन अब सवाल यह उठता है कि किसान जैविक खाद कहां से खरीदें या उन्हें कैसे तैयार करें.
आपको बता दें कि आप कम लागत में आसानी से कम्पोस्ट यूनिट लगा सकते हैं. इतना ही नहीं सरकार भी इस काम में आपकी मदद करती है और आपसे कम्पोस्ट खाद भी खरीदती है. जिससे आप एक साथ दोगुना मुनाफा कमा सकते हैं. तो आइए जानते हैं कि कम्पोस्ट यूनिट कैसे लगाएं, कम्पोस्ट खाद कैसे तैयार होती है और इसकी लागत कितनी है.
रासायनिक खादों के लंबे समय तक इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरता धीरे-धीरे कम होती जाती है. इससे बचने के लिए कम्पोस्ट खाद एक बेहतर विकल्प है. कम्पोस्ट खाद कार्बनिक पदार्थों के अपघटन से प्राप्त होती है. पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण, इसके इस्तेमाल से पौधों की वृद्धि होती है और फसलों की पैदावार और गुणवत्ता में भी वृद्धि होती है. कंपोस्ट खाद में हम अक्सर किचन वेस्ट यानी किचन में जो फल और सब्जी के कचरे जमा होते हैं उसका इस्तेमाल करते हैं. कम्पोस्ट खाद को जमीन पर कूड़े का ढेर बनाकर भी तैयार किया जा सकता है. लेकिन कम्पोस्ट खाद बनाने की सबसे आसान और प्रचलित विधि गड्ढा विधि है.
कम्पोस्ट खाद तैयार करने के लिए आपको किसी मशीन की जरूरत नहीं है. इसके लिए आपको ऐसी जगह चुननी चाहिए जो छायादार हो और जहां हवा अच्छी आती हो. साथ ही, ध्यान रखें कि जगह पर पानी न भरा हो.
आपको बता दें कि कम्पोस्ट यूनिट लगाने के लिए आपको किसी भी तरह के खर्च की ज़रूरत नहीं है. आप इसे अपनी खाली ज़मीन पर आसानी से कर सकते हैं. हालांकि, अगर आप इसे बड़े पैमाने पर शुरू करना चाहते हैं, तो आपको खाली ज़मीन की ज़रूरत पड़ सकती है. इसके लिए आपको लागत चुकानी पड़ सकती है. साथ ही, इसके फायदे भी बहुत ज़्यादा हैं. जैविक खाद्य पदार्थों की बढ़ती मांग के कारण जैविक खाद की मांग भी बढ़ी है.