हरियाणा में गन्ने की ऐसी प्रजाति विकसित की जाएगी जिस पर नमक (लवण) या क्षार (salt tolerant sugarcane) का कोई असर नहीं पड़ेगा. जमीन में अगर नमक या क्षार की मात्रा अधिक हो तो गन्ने की फसल प्रभावित होती है. इससे गन्ने की पैदावार भी गिर जाती है. इस समस्या के समाधान के लिए आईसीएआर-शुगरकेन ब्रीडिंग इंस्टीट्यूट, रीजनल सेंटर, करनाल (icar sugarcane breeding institute karnal) के वैज्ञानिक कड़ी मेहनत कर रहे हैं. यहां के वैज्ञानिक लवणीय (नमकीन)-क्षारीय जमीन में पैदा होने वाले गन्ने की वेरायटी विकसित करने में लगे हैं.
देश के उत्तर-पश्चिम जोन में कई राज्य हैं जहां का पानी नमकीन होने के साथ उसमें क्षार की अधिक मात्रा पाई जाती है. इन राज्यों में हरियाणा, पंजाब, यूपी, राजस्थान और बिहार शामिल हैं. इन राज्यों में गन्ने की उपज अधिक लेनी है, तो उसके लिए लवण और क्षारीय जमीन में पैदा होने वाले गन्ने लगाने होंगे. इसी बात को ध्यान में रखते हुए करनाल शुगरकेन ब्रीडिंग इंस्टीट्यूट (icar sugarcane breeding institute karnal) के वैज्ञानिक लवण की मात्रा झेल सकने वाले गन्ने की वेरायटी (salt tolerant sugarcane) विकसित कर रहे हैं.
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वैज्ञानिक इसके लिए करनाल शुगरकेन ब्रीडिंग इंस्टीट्यूट के परिसर में माइक्रो चैंबर बना रहे हैं. इस माइक्रो चैंबर में गन्ने की अलग-अलग वेरायटी में लवण की मात्रा डालकर टेस्टिंग की जाएगी. इसके बाद गन्ने की ऐसी किस्म तैयार की जाएगी जो उन स्थानों पर भी उगाई जा सके जहां की जमीन में लवण और क्षार की मात्रा अधिक हो. देश के उत्तर-पश्चिम हिस्से में कई राज्य हैं जहां इस तरह की जमीन है.
करनाल स्थित शुगरकेन ब्रीडिंग इंस्टीट्यूट (icar sugarcane breeding institute karnal) ने अभी तक गन्ने की 20 वेरायटी ऐसी जारी की है जो खास तरह से देश के उत्तर-पश्चिम जोन के लिए बनाई गई है. इस क्षेत्र के किसानों में ये वेरायटी (salt tolerant sugarcane) बहुत मशहूर हैं और कई दशकों से इन किस्मों की खेती की जा रही है. किसान इन किस्मों से अच्छी उपज और फायदा ले रहे हैं.
करनाल रीजनल सेंटर के प्रमुख डॉ. एसके पांडेय गन्ने की नई वेरायटी के बारे में बताते हैं, शुगरकेन ब्रीडिंग इंस्टीट्यूट ने जिन किस्मों का इजाद किया है, उनसे किसानों को बड़ी मदद मिल रही है. शुगर इंडस्ट्री को भी बहुत फायदा है. किसानों को ये लाभ है कि उन्हें गन्ने की अधिक उपज मिल रही है जबकि शुगर इंडस्ट्री इसलिए फायदे में है क्योंकि उसे अच्छी क्वालिटी की चीनी मिल रही है.
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डॉ. एसके पांडेय कहते हैं, गन्ना किसानों के लिए क्षार की अधिक मात्रा बड़ी परेशानी है. इसे देखते हुए रीजनल इंस्टीट्यूट (icar sugarcane breeding institute karnal) ऐसी वेरायटी विकसित करने पर काम कर रहा है जो लवण की मात्रा को भी बर्दाश्त कर सके. हरियाणा, पंजाब, यूपी, बिहार और राजस्थान के कई जिलों के किसान लवण और क्षार की समस्या से जूझ रहे हैं और गन्ने की उपज मारी जाती है. लवण और क्षार की मात्रा बढ़ने से जमीन में गन्ना नहीं उग पाता. किसानों को इससे निजात दिलाने के लिए गन्ने के अलग-अलग क्लोन पर काम चल रहा है. इसके लिए लवण को झेलने वाली प्रजाति (salt tolerant sugarcane) विकसित की जाएगी.