सोयाबीन के खाद्य उपयोग और कीटनाशकों के उपयोग पर दी गई ट्रेनिंग, 70 से अधिक एफपीओ हुए शामिल

सोयाबीन के खाद्य उपयोग और कीटनाशकों के उपयोग पर दी गई ट्रेनिंग, 70 से अधिक एफपीओ हुए शामिल

इंदौर में आयोजित ट्रेनिंग कार्यक्रम में किसानों को सोयाबीन के खाद्य उपयोग और कीटनाशकों के सुरक्षित उपयोग के बारे में जानकारी दी गई. महिला किसानों की भागीदारी और विशेषज्ञों की मौजूदगी ने कार्यक्रम को सफल बनाया.

किसानों को सोयाबीन के खाद्य उपयोग और कीटनाशकों के सुरक्षित उपयोग पर दी गई ट्रेनिंगकिसानों को सोयाबीन के खाद्य उपयोग और कीटनाशकों के सुरक्षित उपयोग पर दी गई ट्रेनिंग
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Aug 04, 2025,
  • Updated Aug 04, 2025, 12:38 PM IST

हाल ही में इंदौर में सोपा (SOPA) और एचआईएल (भारत) लिमिटेड द्वारा एक विशेष ट्रेनिंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किसानों को सोयाबीन के खाद्य उपयोग और कीटनाशकों के सुरक्षित और विवेकपूर्ण उपयोग के प्रति जागरूक करना था. इसमें 70 से अधिक एफपीओ (FPOs) और किसान शामिल हुए.

कार्यक्रम में ये लोग हुए शामिल

कार्यक्रम में कई वरिष्ठ अधिकारी और विशेषज्ञ मौजूद थे, जिनमें शामिल थे:

  • मनींदर कौर द्विवेदी, अतिरिक्त सचिव, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय
  • नीरज कुमार, कृषि मंत्रालय, भारत सरकार
  • डी.एन. पाठक, कार्यकारी निदेशक, सोपा
  • डॉ. सुरेश इतापु, खाद्य पोषण विशेषज्ञ
  • सी.एल. केवड़ा, उप निदेशक कृषि, इंदौर
  • राजेन्द्र थापर, एजीएम, एचआईएल (भारत) लिमिटेड

सोयाबीन का इस्तेमाल

डॉ. सुरेश इतापु ने बताया कि भारत में प्रोटीन की कमी एक गंभीर समस्या है और सोयाबीन इसका एक उत्तम समाधान हो सकता है. उन्होंने किसानों को यह भी बताया कि सोयाबीन से मूल्यवर्धन (Value Addition) कर वे अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकते हैं. इससे उद्योग और उपभोक्ता दोनों को लाभ होगा.

कीटनाशकों का सुरक्षित और विवेकपूर्ण उपयोग

डॉ. राजेन्द्र थापर ने किसानों को समझाया कि कीटनाशकों का सही मात्रा और सही समय पर उपयोग करना बेहद जरूरी है. इससे न केवल पैदावार में बढ़ोतरी होगी, बल्कि कीटनाशकों के अवशेष (Residues) की समस्या भी दूर होगी, जिससे निर्यात में भी लाभ मिलेगा.

IPM तकनीकों को अपनाने पर जोर

कार्यक्रम में समेकित कीट प्रबंधन (Integrated Pest Management - IPM) को अपनाने की सलाह दी गई, जो सतत कृषि (Sustainable Agriculture) के लिए अत्यंत आवश्यक है. इससे पर्यावरण की रक्षा के साथ-साथ किसानों की लागत में भी कमी आती है.

महिला किसानों की भागीदारी

इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी विशेषता रही महिला किसानों की सक्रिय भागीदारी. यह दर्शाता है कि महिलाएं भी अब खेती-किसानी में नई तकनीकों और ज्ञान को अपनाने के लिए आगे आ रही हैं.

किसानों को समर्थन और उम्मीद

मनींदर कौर द्विवेदी ने किसानों से बातचीत करते हुए कहा कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि सोयाबीन का खाद्य उपयोग बढ़ाना एक सशक्त कदम है, जिससे किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को फायदा होगा.

किसानों को दी गईं सुरक्षा किट

एचआईएल (भारत) लिमिटेड द्वारा किसानों को सुरक्षा किट भी वितरित की गईं, ताकि वे कीटनाशकों के इस्तेमाल के दौरान खुद की सुरक्षा कर सकें.

यह कार्यक्रम किसानों के लिए जानकारी, सुरक्षा और आयवर्धन के नजरिए से बेहद उपयोगी रहा. इससे उन्हें आधुनिक कृषि तकनीकों और पोषण से भरपूर फसलों के उपयोग के प्रति प्रेरणा मिली. ऐसे कार्यक्रम भविष्य में भी निरंतर आयोजित होने चाहिए ताकि भारतीय कृषि और किसान दोनों का विकास हो सके.

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