Paddy Crop: आफत की बारिश से धान की फसल पर फंगल इनफेक्‍शन का खतरा, जानें कैसे करें बचाव 

Paddy Crop: आफत की बारिश से धान की फसल पर फंगल इनफेक्‍शन का खतरा, जानें कैसे करें बचाव 

मॉनसून के मौसम में या फिर तब जब बारिश बहुत ज्‍यादा होती है तो धान की फसल पर फंगल अटैक का खतरा सबसे ज्‍यादा रहता है. विशेषज्ञों का कहना है कि किसान धान की फसल की नियमित निगरानी करें और रोग के शुरुआती लक्षण दिखते ही कृषि विभाग से सलाह लें.

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क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Aug 28, 2025,
  • Updated Aug 28, 2025, 7:00 AM IST

जम्‍मू, पंजाब और हरियाणा में भारी बारिश का कहर जारी है. जहां जम्‍मू में इतनी बारिश 100 साल के बाद हुई है तो वहीं पंजाब और हरियाणा में भी 24 घंटों में हजार गुना से ज्‍यादा बारिश ने चिंताएं बढ़ा दी हैं. किसानों के खेतों में पानी घुस गया है और खड़ी फसलें पूरी तरह से चौपट हो गई हैं. इन तीनों ही राज्‍यों में खासतौर पर पंजाब और हरियाणा में किसान धान की खेती प्रमुखता से करते हैं.  विशेषज्ञों के साथ-साथ अब किसानों को भी धान की फसल के खराब होने का खतरा सता रहा है. मॉनसून के मौसम में या फिर तब जब बारिश बहुत ज्‍यादा होती है तो धान की फसल पर फंगल अटैक का खतरा सबसे ज्‍यादा रहता है. 

क्‍या कहा कृषि विभाग ने 

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के विशेषज्ञों ने एक एडवाइजरी जारी की है. इसमें किसानों से खेतों में, खासकर धान उगाने वाले क्षेत्रों में, पानी जमा होने से रोकने को कहा गया है. पीएयू में निदेशक डॉ. एमएस भुल्लर के हवाले से अखबार ट्रिब्‍यून ने लिखा, 'जमा हुआ पानी जड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है और फंगल संक्रमण का खतरा बढ़ा सकता है.' ऐसे में किसानों को उचित जल निकासी सुनिश्चित करनी चाहिए और 24 घंटे से ज्‍यादा पानी जमा नहीं होने देना चाहिए. 

किसान बचा सकते हैं फसल 

विशेषज्ञों का कहना है कि किसान धान की फसल की नियमित निगरानी करें और रोग के शुरुआती लक्षण दिखते ही कृषि विभाग से सलाह लें. समय पर दवा का प्रयोग करने से फसल को बड़े नुकसान से बचाया जा सकता है. धान की खेती पर फंगल अटैक एक गंभीर समस्या है, लेकिन जागरूकता और वैज्ञानिक पद्धतियों के प्रयोग से किसान अपनी मेहनत और फसल दोनों को सुरक्षित रख सकते हैं. 

फंगल अटैक से बचाव 

  • पानी का जमाव फंगस के फैलाव को तेज करता है, इसलिए खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था रखें. 
  • धान की फसल में नाइट्रोजन की अधिकता फंगस को बढ़ावा देती है, इसलिए संतुलित मात्रा में खाद डालें. 
  • प्रतिरोधी किस्मों का चुनाव करें यानी धान की ऐसी किस्में लगाएं जो फंगस-प्रतिरोधी हों. 

समय पर छिड़काव

ब्लास्ट रोग के नियंत्रण के लिए ट्राइसायक्लाजोल (Tricyclazole) का छिड़काव करें. 
शीथ ब्लाइट के लिए कार्बेन्डाजिम (Carbendazim) या हेक्साकोनाजोल (Hexaconazole) का प्रयोग करें. 
ब्राउन स्पॉट के लिए मैनेकोजेब (Mancozeb) या अन्य फफूंदनाशक का छिड़काव प्रभावी रहता है. 

प्रमुख फंगल रोग

ब्लास्ट 
इसमें पत्तियों पर भूरे या सफेद धब्बे बन जाते हैं, जो बाद में तनों और बालियों तक फैल जाते हैं. 

शीथ ब्लाइट 
इस रोग में पत्तियों के निचले हिस्से से संक्रमण शुरू होता है और धीरे-धीरे पूरी पत्ती सूखने लगती है. 

झुलसा रोग 
पत्तियों पर भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं और पौधा कमजोर हो जाता है. 

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