दुनिया के लिए इस वक्त सबसे बड़ी जरूरत और मजबूरी बन गई है कि नए तरह की ऊर्जा का स्रोत खोजा जाए. इसकी पहली शर्त यही है कि ये ऊर्जा पर्यावरण के अनुकूल हो. अब लगता है कि शायद इंसानों ने इस दिशा में कदम बढ़ा दिया है. हाल ही में एक रिसर्च टीम ने एक पौधे से प्रेरित अणु बनाया है जो सूर्य के प्रकाश का उपयोग करके चार चार्जों (Charge) को स्टोर कर सकता है. इस चीज को कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया जा रहा है. इसको लेकर पहले भी प्रयास हुए हैं मगर यह कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण कम रोशनी में काम करता है और वास्तविकता नें विश्व को सौर ईंधन उत्पादन के करीब पहुंचता है.
दरअसल, स्विट्जरलैंड के बासेल विश्वविद्यालय की एक रिसर्च टीम ने पौधों के प्रकाश संश्लेषण पर आधारित एक नया अणु विकसित किया है. ये अणु प्रकाश के प्रभाव में एक ही समय में दो धनात्मक (positive) और दो ऋणात्मक (negative) आवेशों को संग्रहित करता है. इसका मकसद सूरज के प्रकाश को कार्बन-न्यूट्रल ईंधन में परिवर्तित करना है.
होता ये है कि पौधे सूर्य के प्रकाश की ऊर्जा का उपयोग करके CO2 को ऊर्जा-समृद्ध शुगर अणुओं में बदलने का काम करते हैं. इस प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहा जाता है. यही प्रक्रिया लगभग सभी तरह के जीवन का आधार है, जानवर और मनुष्य इस प्रक्रिया से बने कार्बोहाइड्रेट को फिर "पचाकर या शरीर में बर्न" करके उनमें संग्रहीत ऊर्जा का उपयोग करते हैं. फिर जब ऊर्जा का ये चक्र बंद या अंतिम स्टेज में जाता है तो दोबारा कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) उत्पन्न होती है.
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह मॉडल पर्यावरण अनुकूल ईंधन का रास्ता निकाल सकता है, क्योंकि शोधकर्ता प्राकृतिक प्रकाश संश्लेषण की नकल करने और सूर्य के प्रकाश का उपयोग करके उच्च ऊर्जा यौगिक बनाने पर काम कर रहे हैं. जैसे- हाइड्रोजन, मेथनॉल और सिंथेटिक पेट्रोल जैसे सौर ईंधन.
खास बात ये है कि हाइड्रोजन, मेथनॉल और सिंथेटिक पेट्रोल जैसे सौर ईंधन को जब ऊर्जा के लिए जलाया जाता है, तो ये केवल उतनी ही कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न करेंगे जितनी पौधे के लिए ये ईंधन बनाते वक्त आवश्यक है. सरल शब्दों में ये कार्बन-न्यूट्रल माने जाएंगे. इसको लेकर वैज्ञानिक पत्रिका, 'नेचर केमिस्ट्री' में प्रोफेसर ओलिवर वेंगर और उनके डॉक्टरेट छात्र मैथिस ब्रैंडलिन ने कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण के इस दृष्टिकोण को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण अंतरिम कदम की रिपोर्ट दी है.
उन्होंने एक विशेष अणु विकसित किया है जो प्रकाश विकिरण के तहत एक साथ चार आवेशों को संग्रहीत कर सकता है, जिसमें दो धनात्मक और दो ऋणात्मक होते हैं. सूर्य के प्रकाश को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिए अनेक आवेशों (चार्ज) का मध्यवर्ती भंडारण एक महत्वपूर्ण शर्त है, इन आवेशों का उपयोग प्रतिक्रियाओं को संचालित करने के लिए किया जा सकता है - उदाहरण के लिए, पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित करने के लिए.
इस अणु में 5 भाग होते हैं जो एक सीरीज में जुड़े होते हैं और हर एक विशिष्ट कार्य करता है. अणु के एक तरफ दो भाग होते हैं जो इलेक्ट्रॉन छोड़ते हैं और इस प्रक्रिया में धनात्मक आवेशित (+ चार्ज) होते हैं. दूसरी तरफ दो भाग इलेक्ट्रॉनों को ग्रहण करते हैं, जिससे वे ऋणात्मक आवेशित (- चार्ज) हो जाते हैं. बीच में, रसायनज्ञों ने एक घटक रखा जो सूर्य के प्रकाश को ग्रहण करता है और अभिक्रिया (इलेक्ट्रॉन स्थानांतरण) शुरू करता है.
4 आवेश उत्पन्न करने के लिए, शोधकर्ताओं ने प्रकाश की दो तरह की फ्लैश का उपयोग करके एक चरणबद्ध प्रक्रिया अपनाई. लाइट की पहली फ्लैश अणु से टकराती है, जिससे एक रिएक्शन शुरू होता है जिसमें एक धनात्मक और एक ऋणात्मक आवेश उत्पन्न होता है. ये आवेश अणु के विपरीत सिरों की ओर बाहर की ओर गति करते हैं. प्रकाश की दूसरी फ्लैश के साथ, वही अभिक्रिया फिर से होती है, जिससे अणु में दो धनात्मक और दो ऋणात्मक आवेश होते हैं. ब्रैंडलिन ने बताया कि यह चरणबद्ध रिएक्शन काफी मंद प्रकाश का उपयोग में भी संभव है.
इसके परिणामस्वरूप, हम पहले से ही सूर्य के प्रकाश की तीव्रता के करीब पहुंच रहे हैं. इससे पहले के अनुसंधान के लिए अत्यंत शक्तिशाली लेजर प्रकाश की आवश्यकता होती थी, जो कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण की परिकल्पना से बहुत दूर था. ब्रैंडलिन ने कहा कि इसके अलावा, अणु में आवेश इतने लंबे समय तक स्थिर रहते हैं कि उन्हें आगे की रासायनिक प्रतिक्रियाओं के लिए आराम से उपयोग किया जा सकता है. हालांकि, नए अणु ने अभी तक एक कार्यशील कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण प्रणाली नहीं बनाई है. इस अध्ययन के नए निष्कर्ष कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक इलेक्ट्रॉन स्थानांतरण की हमारी समझ को बेहतर बनाने में मदद करते हैं.
(सोर्स- ANI)
ये भी पढ़ें-
मछली के तालाब पर क्यों जरूरी होती है सूरज की सीधी धूप, नहीं तो होगा ये नुकसान
यमुना के बाढ़ में सबकुछ जलमग्न: फसलें डूबीं और चारा भी चौपट, भूखे-प्यासे मवेशियों की मौत