भारत आज लगभग पूरी दुनिया को धान निर्यात करता है. मगर अधिकतर देशों में भारत से बासमती चावल ही जाता है. मगर आज हम आपको एक ऐसे चावल के बारे में बता रहे हैं जिसे अंग्रेजों ने हिंदुस्तान से सोने की तरह लूटा, इसका नाम है काला नमक चावल. इसे गौतम बुद्ध के महाप्रसाद के रूप में प्रसिद्धि मिली. मगर काला नमक चावल को उस स्तर की ख्याति नहीं मिल पाई जो बासमती को मिली. मगर अब भारत में भी तेजी से काला नमक चावल का दायरा बढ़ रहा है. खास तौर पर यूपी के पूर्वांचल में इसकी खेती का रकबा इस साल 1 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया. मशहूर कृषि वैज्ञानिक प्रो. रामचेत चौधरी ने करीब 26 सालों तक काला नमक चावल की किस्म को बेहतर करने पर काम किया है. किसान तक के खास पॉडकास्ट 'अन्नगाथा' में प्रो. रामचेत ने काला नमक चावल को लेकर बेहद रोचक बातें बताई हैं.
प्रो. रामचेत चौधरी को काला नमक चावल पर काम करने के लिए पद्मश्री अवॉर्ड मिल चुका है. किसान तक से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि काला नमक चावल में बासमती चावल के मुकाबले कहीं ज्यादा आयरन, जिंक और प्रोटीन होता है. उन्होंने बताया कि बासमती में विटामिन ए नहीं होता, मगर काला नमक दुनिया का एक मात्रा चावल है जिसमें विटामिन ए होता है. काला नमक गुणवत्ता के पैमाने पर बासमती से कहीं बेहतर है. लेकिन, फिर भी इतनी अच्छी गुणवत्ता का चावल एक्सपोर्ट में बहुत पीछे है. उन्होंने बताया कि काला नमक में सबसे बढ़िया किस्म है काला नमक किरण. इसकी महक, स्वाद और न्यूट्रीशनल वैल्यू बहुत अधिक है.
प्रो. रामचेत बताते हैं कि काला नमक चावल के दाने का साइज बासमती के दाने से लगभग आधा है, मगर इसकी गुणवत्ता बासमती बहुत ज्यादा है. बासमती में 6 प्रतिशत प्रोटीन होता है, मगर काला नमक चावल में 11 प्रतिशत प्रोटीन है. काला नमक में बासमती चावल के मुकाबले 3 गुना ज्यादा आयरन पाया जाता है, जो शरीर में नया खून बनाने के लिए सबसे जरूरी चीज है. इसमें बासमती से 4 गुना ज्यादा जिंक है, जो शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए सबसे जरूरी चीज है. काला नमक चावल को जिंक का कैप्सूल कहें तो गलत नहीं होगा. प्रो. रामचेत बताते हैं कि जहां काला नमक में 43 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम विटामिन ए पाया जाता है, तो वहीं बासमती में इसकी मात्रा जीरो है.
इस दौरान प्रो. रामचेत बताते हैं कि सारे डॉक्टर डायबिटीज के मरीजों को चावल खाने की हमेशा मनाही करते हैं. मगर काला नमक ऐसा चावल है जो शुगर फ्री है. इसके अनपॉलिश्ड चावल का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 49 प्रतिशत है और पॉलिश्ड का 52 प्रतिशत ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है. जिस भी भोजन पदार्थ में ग्लाइसेमिक इंडेक्स 55 प्रतिशत से कम होता है, वह शुगर फ्री की कैटेगरी में आता है. मगर बासमती चावल शुगर फ्री नहीं होता है, इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स 85 प्रतिशत है. यही वजह है कि शुगर के सारे मरीज काला नमक चावल की ओर भाग रहे हैं. उन्होंने बताया कि अपने पोषक तत्वों की वजह से ही काला नमक चावल बाजार में करीब 160 रुपये प्रति किलो है और यही चावल विदेशों में 400 रुपये प्रति किलो पर निर्यात हो रहा है. रामचेत जी बताते हैं कि उन्होंने 50 देशों में चावल की किस्मों पर काम किया है. दुनियाभर में करीब 60-70 हजार किस्मों में ये विश्व का सर्वश्रेष्ठ चावल है.
रामचेत जी बताते हैं काला नमक चावल के लालच में अंग्रेज इतने पागल थे कि 1947 में आजादी मिलने के बाद भी इसकी खेती करवा रहे कुछ अंग्रेज भारत छोड़कर नहीं गए थे. आखिर में जब जमींदारी उन्मूलन हुआ तब मजबूरी में इसकी खेती करवा रहे अंग्रेजों ने अपने खेतों को मिट्टी के भाव बेचा और ब्रिटेन भाग गए. अब आज की तारीख में भारत ने बेहद ऊंचे दामों पर ब्रिटेन को फिर से एक्सपोर्ट करना शुरू कर दिया है.
काला नमक चावल पर ये पूरा पॉडकास्ट सुनने के लिए नीचे फुल एपिसोड पर क्लिक करें-