Kisan Andolan ने नई करवट ले ली है. किसान मुद्दों और समस्याओं के समाधान के लिए सड़क से शुरू हुआ संंग्राम अब संसद तक पहुंच गया है, जिसके तहत बीते दिनों MSP गारंटी कानून की मांग को लेकर SKM गैरराजनीतिक के किसान नेताओं ने संसद के अंदर ही कांग्रेस नेता और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की है.
इस मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने भी MSP गारंटी कानून को लेकर अपनी संवेदनशीलता दिखाई है और MSP गांरटी पर विपक्ष यानी इंडी गठबंधन को एकजुट करने की बात कही है, लेकिन सच ये है कि MSP गारंटी कानून के मुद्दे पर विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश पहली बार नहीं हो रही है.
बेशक सच ये है कि MSP गारंटी कानून के मुद्दे पर विपक्ष पहले भी एकजुट हो चुका है, जिसमें तत्कालीन कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की सक्रियता भी थी तो वहीं उस दौरान MSP गारंटी कानून पर विपक्षी दलों के बीच सफल रायशुमारी भी बनी थी.
अब राहुल गांधी फिर से MSP गारंटी कानून पर विपक्ष से रायशुमारी बनाने की बात कह रहे हैं तो ऐसे में राहुल गांधी से ये अपील ही की जा सकती है कि वह इस बार किसानों के साथ राजनीति ना करें. बल्कि मुद्दे का वाजिब समाधान तलाशने के लिए सच्चा संघर्ष करें.
आइए आज MSP गारंटी कानून पर विपक्षी दलों का पूर्व में हुए जुटान की कहानी समझते हैं. ये जुटान कितना सफल रहा, इसके नायक कौन थे और इसमें कितने राजनीतिक दलों की हिस्सेदारी थी. इस पर विस्तार से बात करते हैं.
इस कहानी को समझने से पहले राहुल गांधी के MSP गारंटी कानून पर ताजे बयान को जानना होगा. नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बुधवार 24 जुलाई 2024 को किसान नेताओं के साथ मुलाकात के बाद कहा कि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में MSP गारंटी कानून देने की बात की है. हमने उसका मूल्यांकन किया है, वह किया जा सकता है. अभी हमने बैठक की है, जिसमें हमने ये निर्णय लिया है कि इंडी गठबंधन के बाकी नेताओं से इस पर चर्चा करेंगे और फिर सरकार पर दबाब डालने की कोशिश करेंगे कि MSP लीगल गांरटी किसानों को मिले. प्राइवेट बिल काे लेकर चर्चा चल रही है, आंतरिक चर्चा करने के बाद उसे करेंगे.''
लोकसभा में किसान नेताओं से मुलाकात के बाद नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी MSP गारंटी पर इंडी गठबंधन के साथियों यानी विपक्ष से चर्चा करने की बात कह रहे हैं, लेकिन सच ये है कि सरदार वीएम सिंह की अगुवाई में ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोर्डिनेशन कमेटी (AIKSCC) MSP गारंटी कानून के मुद्दे पर विपक्ष को 2018 में ही एकजुट कर चुकी है. असल में 2017 मंंदसाैर किसान गोली कांड के बाद सरदार वीएम सिंंह की अगुवाई में AIKSCC बना था, उन्हें इसका संयोजक बनाया गया था.
इसके बाद देश में MSP गारंटी कानून लागू करने की मांग, इसमें विपक्ष की भूमिका सुनि
श्चित करते हुए AIKSCC ने मार्च 2018 में कान्स्टीट्यूट क्लब में एक कार्यक्रम आयोजित किया था. जिसमें विपक्ष के साथ ही मौजूदा समय में सत्ता पक्ष में शामिल कई राजनीतिक दल के नेता शामिल हुए थे.
विपक्षी दलों की इस बैठक में क्या हुआ, उस पर बातचीत से पहले ये जानते हैं कि इस बैठक में कौन-कौन मौजूदा था. AIKSCC के दस्तावेजों के मुताबिक उस बैठक में कांग्रेस के वर्तमान अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, NCP से शरद पवार, JDU से शरद यादव, TMC से दिनेश त्रिवेदी, नेशनल कांफ्रेंस फारूक अब्दुल्ला, शिवसेना से अरविंंद सांवत, सपा से धर्मेंद यादव, रालोद, टीडीपी समेत सभी विपक्षी दलों के नेता मौजूद रहे, जबकि इस बैठक में राहुल गांधी भी शामिल हुए थे.
नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद राहुल गांधी भले ही MSP गारंटी बिल पर प्राइवेट बिल को लेकर चर्चा की बात कह रहे हैं, लेकिन लोकसभा में साल 2018 में ही MSP गारंटी पर प्राइवेट बिल आ चुका है, जिसे विपक्ष की तरफ से AIKSCC की मार्च 2018 में कान्स्टीट्यूट क्लब में हुई बैठक में अंतिम रूप दिया गया था. असल में इसी बैठक में विपक्षी दल के नेताओं की मौजूदगी में AIKSCC ने MSP गारंटी कानून का ड्राफ्ट रखा था, जिससे विपक्षी नेताओं की तरफ से आए संशोधन के बाद अंतिम रूप दिया गया था.
MSP गारंटी कानून प्राइवेट बिल ड्राफ्ट के बारे में जानकारी देते हुए AIKSCC के पूर्व संयोजक सरदार वीएम सिंह कहते हैं कि इस ड्राफ्ट को 21 जुलाई 2018 महाराष्ट्र के हातकणंगले से तत्कालीन सांसद और किसान नेता राजू शेट्टी की तरफ से लोकसभा के पटल पर रखा गया था, लेकिन 2019 में 17वीं लोकसभा का कार्यकाल खत्म हो जाने के बाद वह बिल निष्प्रभावी हो गया.
किसान नेताओं से MSP गारंटी के मुद्दे पर राहुल गांधी ने बात की है. इस दौरान उन्हाेंने MSP गारंटी को कांग्रेस के घोषणा पत्र में जगह देने और MSP गारंटी के मुद्दे पर विपक्ष से रायशुमारी की बात कही है. राहुल गांधी की इन बातों का AIKSCC के पूर्व संयोजक सरदार वीएम सिंह खारिज करते हैं.
सरदार वीएम सिंंह कहते हैं कि 2018 में विपक्षी दलों के नेता MSP गांरटी कानून पर एकमत हो चुके हैं, ऐसे में इस मामले पर विपक्ष दलों से चर्चा की बात करने की बात पूरी तरह लीपापोती की तरह है, जबकि सच ये है कि 2018 से ही MSP गारंटी कानून का प्राइवेट बिल लोकसभा में है, जिस पर अभी तक किसी ने सुध नहीं ली है.
साथ ही सरदार वीएम सिंह कहते हैं कि AIKSCC की 2018 की बैठक में ही किसान नेताओं के दबाब में विपक्षी दलों के नेताओं ने वादा किया था कि वह अपने राजनीतिक दलाें के घोषणा पत्रों में MSP गारंटी कानून को जगह देंगे, लेकिन 2019 में किसी भी राजनीतिक दल ने जगह नहीं दी. अब 6 साल बाद कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में MSP गांरटी कानून को जगह दी है. ऐसे में कांग्रेस को MSP गारंटी के मुद्दे पर तेजी से अपना स्टैंड साफ करना होगा.
किसान आंदोलन की बदली हुई चाल के बाद देशभर के किसान MSP गारंटी कानून की मांग के समाधान के लिए राहुल गांधी की तरफ देख रहे हैं, लेकिन ये भी सच है कि जिस राजनीतिक दल यानी कांग्रेस का राहुल गांधी आत्मा से लेकर चेहरा तक हैं,उसका किसानों के मुद्दे पर ट्रैक रिकॉर्ड साफ नहीं है. अगर आजादी के 76 साल बीतने के बाद भी अगर किसानों की फसलों के दाम तय नहीं है तो उसके लिए देश में लंंबे समय तक शासन करने वाली कांग्रेस की जिम्मेदारी अधिक है.
वहीं कांग्रेस ने ही किसानाें के लिए स्वामीनाथन आयोग बनाया. उनकी 201 सिफारिशों में से 175 लागू भी की, लेकिन 26 सिफारिशों पर कांग्रेस सत्ता में रहते हुए कु्ंडली मार कर बैठी रही, इन्हीं 26 सिफारिशों में ही C2+50% के फार्मूले से MSP तय करने की सिफारिश शामिल थी. अब फिर से किसानाें की उम्मीदें राहुल गांधी और कांग्रेस पर टिकी हैं तो राहुल गांधी से इस बार किसानों के साथ राजनीति ना करने की अपील करना लाजिमी बनता है.