फसल बेचने का झंझट खत्म, बिहार की 20 मंडी जुड़ेंगी ई-नाम से, किसान सीधे पाएंगे बेहतर बाजार

फसल बेचने का झंझट खत्म, बिहार की 20 मंडी जुड़ेंगी ई-नाम से, किसान सीधे पाएंगे बेहतर बाजार

बिहार के किसानों को मिलेगा राष्ट्रीय बाजार से जुड़ने का मौका. राज्य के 20 बाजार प्रांगणों को राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) से जोड़ा जाएगा जिसको लेकर केंद्र सरकार की ओर से 6 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराई गई है.

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अंक‍ित कुमार स‍िंह
  • Patna,
  • Aug 20, 2025,
  • Updated Aug 20, 2025, 1:53 PM IST

बिहार राज्य के किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या हमेशा से उनकी फसलों को बेचने के लिए बेहतर बाजार की रही है. हालांकि, जिस तरह से डिजिटल और तकनीकी युग ने खेती को आसान बना दिया है. उसी तरह सरकार राज्य के 20 बाजार प्रांगणों को राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) से जोड़ने जा रही है. इसके लिए केंद्र सरकार से 6 करोड़ रुपये की राशि वन-टाइम ग्रांट के रूप में उपलब्ध कराई गई है. इस प्रोजेक्ट को कृषोन्नति योजना के अंतर्गत मंजूरी दी गई है. इसके तहत 20 बाजार प्रांगणों में डीपीआर आधारित कार्यान्वयन किया जाएगा.

किसानों को मिलेगी देशभर के बाजारों तक पहुंच

अब तक बिहार के किसान स्थानीय बाजारों तक ही सीमित थे. लेकिन 20 बाजार प्रांगणों के ई-नाम से जुड़ने के बाद किसान देश के किसी भी बाजार में अपनी फसल बेच सकेंगे. कृषि विभाग के प्रधान सचिव पंकज कुमार ने कहा कि ई-नाम से जुड़ी मंडियों की प्रक्रियाएं अधिक सरल और सुव्यवस्थित होंगी. वहीं, खरीदारों और विक्रेताओं के बीच सूचना की असमानता समाप्त होगी और वास्तविक मांग एवं आपूर्ति के आधार पर रियल-टाइम  मूल्य तय हो सकेगा. साथ ही उपज की गुणवत्ता के आधार पर पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया से किसानों को बेहतर दाम मिलेगा और समय पर ऑनलाइन भुगतान से उनकी आय सुरक्षा सुनिश्चित हो पाएगी.

डिजिटल कृषि निदेशालय को मिली जिम्मेदारी

विभाग के प्रधान सचिव ने बताया कि बिहार में देश का पहला डिजिटल कृषि निदेशालय पहले ही गठित हो चुका है. ई-नाम योजना को इससे जोड़ने के बाद राज्य के बाजार प्रांगणों की निगरानी अधिक पारदर्शी और प्रभावी तरीके से की जा सकेगी. बात दें  कि राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) भारत सरकार का एक महत्वाकांक्षी अखिल भारतीय इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल है. इसका संचालन लघु किसान कृषि व्यवसाय संघ द्वारा, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तत्वावधान में किया जाता है. यह मंच एपीएमसी मंडियों को आपस में जोड़कर किसानों और व्यापारियों को राष्ट्रीय स्तर पर एकीकृत बाजार उपलब्ध कराता है.

राज्य के किसानों और व्यापारियों को मिलेगा लाभ

इस योजना के तहत कृषि वस्तुओं के व्यापार के लिए एकीकृत बाजार उपलब्ध कराया जाएगा. इसमें कृषि उत्पादों के आगमन, गुणवत्ता और मूल्य, खरीद-बिक्री प्रस्ताव तथा व्यापार संचालन की सुविधा होगी. साथ ही इलेक्ट्रॉनिक भुगतान जैसी सेवाएं भी मिलेंगी. राज्य के किसान, व्यापारी और किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) अपनी उपज देश के किसी भी बाजार में बेच सकेंगे और समय पर उचित मूल्य प्राप्त कर सकेंगे. सबसे अहम बात यह है कि योजना के सफल कार्यान्वयन से किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा.

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