Punjab Paddy: मंडी में पहुंचने से पहले ही धान की खरीद पर बवाल शुरू, क्‍या है सारा मामला 

Punjab Paddy: मंडी में पहुंचने से पहले ही धान की खरीद पर बवाल शुरू, क्‍या है सारा मामला 

Punjab Paddy: पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने मंगलवार को एक आदेश में धान की हाइब्रिड किस्मों पर लगाए गए प्रतिबंध को रद्द कर दिया है. राइस मिलर्स इस फैसले से खुश नहीं हैं और उनका कहना है कि इन धान की किस्मों की मिलिंग पर उन्‍हें काफी घाटा होता है. मिल मालिकों का कहना है कि एक महीने के अंदर मंडियों में धान आना शुरू हो जाएगा. भारी आर्थिक नुकसान के डर से वो हाइब्रिड धान से इनकार कर सकते हैं

Punjab Paddy procurementPunjab Paddy procurement
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Aug 20, 2025,
  • Updated Aug 20, 2025, 10:13 AM IST

पंजाब में एक बार फिर इस खरीफ सत्र में धान खरीद संकट के गहराने की आशंका है. पिछले साल की ही तरह एक बार फिर खरीद को लेकर मुश्किलें पैदा होने वाली हैं. राज्य के राइस मिलर्स ने संकेत दिया है कि वे हाइब्रिड धान की किस्मों की पिसाई नहीं कर पाएंगे. आपको बता दें कि यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने मंगलवार को ही ऐसी किस्मों पर लगाए गए प्रतिबंध को रद्द कर दिया है. माना जा रहा है कि राइस मिलर्स का फैसला परेशान वाला साबित हो सकता है. 

क्‍यों मिलर्स को है ऐतराज 

पंजाब राइस मिलर्स इंडस्ट्री के उपाध्यक्ष रंजीत सिंह जोसन के हवाले से अखबार द ट्रिब्यून ने लिखा, 'किसानों और राइस मिलर्स के बीच एक बार फिर टकराव जैसी स्थिति पैदा हो सकती है. इन धान की किस्मों की मिलिंग पर हमें घाटा क्यों उठाना चाहिए? मिल मालिकों को दिए जाने वाले धान से चावल का आउट-टर्न रेशियो (ओटीआर) 67 प्रतिशत है, लेकिन हाइब्रिड किस्मों में टूटे हुए चावल का प्रतिशत 43-45 प्रतिशत है. इसलिए, मिल मालिकों को बाजार से चावल खरीदना पड़ता है. 66 फीसदी पिसा हुआ चावल सरकार को देना पड़ता है.'  

मिल मालिकों का कहना है कि एक महीने के अंदर मंडियों में धान आना शुरू हो जाएगा. भारी आर्थिक नुकसान के डर से वो अपनी मिलों में हाइब्रिड धान रखने से इनकार कर सकते हैं. माना जा रहा है कि इससे किसानों में अशांति फैल सकती है और अगर उनका हाइब्रिड धान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर नहीं खरीदा गया, तो फिर वो आंदोलन कर सकते हैं. उन्‍होंने इस स्थिति में राज्य सरकार से तुरंत हस्तक्षेप करने और किसानों और मिल मालिकों के बीच टकराव से बचने के लिए एक सार्थक समाधान निकालने की अपील की है. 

अब क्‍या करेगी सरकार 

इस बात की भी जानकारी मिली है कि राज्य सरकार ने आने वाले संकट को भांप लिया है और आगे की तैयारी शुरू कर दी है. सरकार अब हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ लेटर्स पेटेंट अपील (एलपीए) दायर करने पर विचार कर रही है. राइस मिलर्स के दबाव के कारण ही राज्य सरकार ने नोटिफाइड और गैर-अधिसूचित, दोनों ही हाइब्रिड बीजों के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाया था. पिछले साल राइस मिलर्स ने हाइब्रिड और पूसा-44 किस्मों की मिलिंग करने से इनकार कर दिया था. उनका कहना था कि बाकी धान किस्मों की तुलना में इन किस्मों में मिलिंग के दौरान टूटे हुए दानों का प्रतिशत बहुत ज्‍यादा होता है. 

क्‍या हुआ था पिछले साल 

मिल मालिकों की तरफ से जब पिछले साल धान की पिसाई करने से इनकार कर दिया गया था तो केंद्र ने उनके दावों की पुष्टि के लिए आईआईटी-खड़गपुर से विशेषज्ञों की एक टीम भेजी.  राज्य कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार, उस टीम ने यह भी निष्कर्ष निकाला था कि हाइब्रिड किस्मों में टूटे हुए दानों का प्रतिशत ज्‍यादा था. राइस मिलर्स ने फिर उस रिपोर्ट की एक कॉपी मांगी थी. किसानों, सरकार और चावल उद्योग के बीच करीब एक महीने तक टकराव की स्थिति थी. उसके बाद मिल मालिक हाइब्रिड धान की किस्मों की पिसाई करने के लिए राजी हुए थे.  हालांकि उन्होंने इन किस्मों की खेती करने वाले किसानों को दी जाने वाली कीमत में कटौती की थी. 

इस साल 32.49 लाख हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती की जा रही है, जिसमें से 6.81 लाख हेक्टेयर भूमि पर बासमती की खेती हुई है. कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुदियां ने कहा कि वह वर्तमान में हाई कोर्ट के फैसले पर कानूनी सलाह ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि असली समस्या धान की हाइब्रिड किस्मों की खरीद है. इसलिए केंद्र को हाइब्रिड किस्मों की खरीद सुनिश्चित करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसानों को फसल बेचने में कोई कठिनाई न हो. 

सीड इंडस्‍ट्री फैसले से खुश 

वहीं भारतीय बीज उद्योग महासंघ के अध्यक्ष और सवाना सीड्स के प्रबंध निदेशक और सीईओ अजय राणा ने कहा कि बीज उद्योग ने अदालती फैसले का स्वागत किया है. राणा ने कहा कि हाइब्रिड चावल प्रति एकड़ 5-6 क्विंटल ज्‍यादा उपज देता है, जल्दी पकता है, डीएसआर टेक्निक के जरिये से 30 फीसदी तक पानी की बचत करता है. इससे उत्सर्जन भी कम होता है. उनका कहना था कि सभी नोटिफाइड हाइब्रिड चावल आईसीएआर के कठोर परीक्षणों से गुजरे हैं. एफसीआई के 67 प्रतिशत उत्पादन अनुपात सहित राष्‍ट्रीय मिलिंग मानकों को पूरा करते हैं, जिससे किसानों का उनकी गुणवत्ता पर विश्वास बढ़ता है. 

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