व्यापार जगत के सूत्रों ने पर्याप्त कैरी-फॉरवर्ड स्टॉक (अगले सीजन के लिए बचा हुआ) और मजबूत फसल संभावनाओं का हवाला देते हुए ये कहा कि चालू वित्त वर्ष में भारत का दाल आयात वित्त वर्ष 2026 में 39% घटकर लगभग 45 लाख टन रह जाने की संभावना है, जो 2024-25 में रिकॉर्ड 73.4 लाख टन था. अस्थायी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-अगस्त 2025-26 के दौरान दालों का आयात वित्त वर्ष 2025 की इसी अवधि के 22.7 लाख टन के आयात से 47% घटकर 12.1 लाख टन रह गया है.
भारतीय दलहन एवं अनाज एसोसिएशन के सचिव सतीश उपाध्याय ने एक अंग्रेजी अखबार 'फाइनेंशियल एक्सप्रेस' को बताया कि हम पिछले साल की तुलना में चालू वित्त वर्ष में 50 लाख टन से कम आयात का अनुमान लगा रहे हैं, क्योंकि हमने लगभग 40 लाख टन, पीली मटर (25 लाख टन) और बंगाल चना या छोले (15 लाख टन) का आयात किया था, जिसका उपयोग चना या चने के विकल्प के रूप में किया जाता है, जो एक प्रमुख दलहन किस्म है. पिछले वित्त वर्ष में पीली मटर और बंगाल चना के आयात में वृद्धि के अलावा, वर्तमान में लगभग 9 लाख टन दालें बंदरगाहों पर हैं, जबकि सरकार के पास बफर के रूप में लगभग 20 लाख टन दालों का स्टॉक है जो आने वाले महीनों में घरेलू आपूर्ति को पूरा करने के लिए पर्याप्त होगा.
आगामी रबी या शीत ऋतु में दलहन उत्पादन में वृद्धि की संभावना है क्योंकि इस मौसम में हुई अत्यधिक वर्षा के कारण मिट्टी में पर्याप्त नमी बनी हुई है. इससे चना, मसूर और मूंग के उत्पादन में वृद्धि होने की संभावना है. व्यापारियों का कहना है कि देश के कुल उत्पादन में लगभग 30% योगदान देने वाली खरीफ दलहन उत्पादन पर अतिरिक्त मानसूनी वर्षा का असर पड़ा है. सूत्रों ने बताया कि वर्तमान में व्यापारियों के पास 20 लाख टन दलहन मौजूद है क्योंकि खरीफ फसलों - अरहर, उड़द और मूंग - की कटाई शुरू होने वाली है.
चना उत्पादन में गिरावट के बाद, भारत ने दिसंबर 2023 से पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दी थी. देश के दलहन उत्पादन में चना का लगभग 50% हिस्सा है. 2018-19 और 2022-23 के बीच लगभग 27 लाख टन का औसत आयात, 2023-24 में तेजी से बढ़कर 48 लाख टन हो गया और वित्त वर्ष 2025 में 73 लाख टन के नए रिकॉर्ड को छू गया. 29.5% की हिस्सेदारी के साथ, 2024-25 में कुल दलहन आयात में पीली मटर की हिस्सेदारी सबसे ज़्यादा है, इसके बाद चना (22%), तुअर (16.7%), मसूर (16.6%) और उड़द (11.2%) का स्थान है. वर्तमान में पीली मटर, अरहर और उड़द के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति 31 मार्च, 2026 तक दी गई है, वहीं बंगाल चना और मसूर पर 10% का आयात शुल्क वित्त वर्ष 26 के अंत तक लगा है.
गौरतलब है कि भारत अपनी दालों की खपत के लिए मुख्य रूप से तुअर, उड़द और मसूर दालों का आयात मोजाम्बिक, तंजानिया, म्यांमार, कनाडा, रूस, ऑस्ट्रेलिया और ब्राजील से करता है. कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने रबी फसल के लिए मूल्य नीति पर अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा है कि 2020-21 और 2024-25 के बीच दालों पर आयात निर्भरता 9% से बढ़कर 23.1% हो गई है.
फसल वर्ष 2024-25 (जुलाई-जून) में दलहन उत्पादन 252.3 लाख टन होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 4% अधिक है. सरकार का लक्ष्य 2025-26 फसल वर्ष - रबी (165.9 लाख टन), खरीफ (80.5 लाख टन) और ग्रीष्मकालीन (23.9 लाख टन) - में दलहन उत्पादन को बढ़ाकर 270 लाख टन करना है. 11,440 करोड़ रुपये के 'दलहन आत्मनिर्भरता मिशन' के तहत, सरकार ने फसल वर्ष 2030-31 तक दलहन उत्पादन को 350 लाख टन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है.
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