Yellow Peas: पीली दाल के ड्यूटी-फ्री आयात पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, केंद्र सरकार से जवाब तलब

Yellow Peas: पीली दाल के ड्यूटी-फ्री आयात पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, केंद्र सरकार से जवाब तलब

किसान महापंचायत की याचिका पर सुनवाई. किसानों का आरोप—ड्यूटी फ्री आयात से मंडी दाम ध्वस्त, विदेशी देशों को फायदा और घरेलू उपज MSP से नीचे. सुप्रीम कोर्ट ने मांगा केंद्र से विस्तृत जवाब.

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क‍िसान तक
  • Nov 28, 2025,
  • Updated Nov 28, 2025, 6:16 PM IST

पीली दाल के ड्यूटी फ्री आयात मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को इस मुद्दे पर सुनवाई हुई जिसमें अदालत ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए कहा. 'किसान महापंचायत' की याचिका में कहा गया है कि "पीली मटर दाल का बिना रोक-टोक इंपोर्ट" "भारतीय किसानों की रोजी-रोटी पर बुरा असर डालकर उन्हें बहुत नुकसान पहुंचा रहा है."

याचिका में यह भी दावा किया गया है कि "भारत में पीली मटर के बहुत ज्यादा इंपोर्ट ने घरेलू कीमतों को MSP से बहुत नीचे कर दिया है और भारतीय किसानों को दाल उत्पादन से हतोत्साहित किया है." इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फिर केंद्र से जवाब दाखिल करने को कहा. शुरू में सितंबर में केंद्र को जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया गया था.

केंद्र को जवाब दाखिल करने का निर्देश

शुक्रवार को CJI की अगुवाई वाली बेंच के सामने केंद्र की ओर से कोई भी कोर्ट में पेश नहीं हुआ. कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया. CJI ने कहा, "यह एक जरूरी मुद्दा है. कृपया इस पर गौर करें." ASG से निर्देश लेने और मामले पर जवाब दाखिल करने को कहा. इस मुद्दे पर अब 6 हफ्ते बाद सुनवाई होगी.

दरअसल, नवंबर से पहले देश में पीली दाल का आयात ड्यूटी फ्री था जिससे किसानों को बहुत नुकसान हुआ. सरकार ने अपने पहले फैसले में दाल को 31 मार्च, 2026 तक ड्यूटी फ्री रखा था. इस फैसले का भारी विरोध हुआ जिसके बाद सरकार ने इसे वापस लेते हुए 1 नवंबर, 2025 से दाल का आयात 30 परसेंट ड्यूटी के साथ खोल दिया. ड्यूटी फ्री आयात के खिलाफ ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी.

किसान महापंचायत ने दी याचिक 

सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका किसान महापंचायत की ओर से दायर की गई थी जिस पर शुक्रवार को सुनवाई हुई. याचिका में वाणिज्य, उद्योग मंत्रालय और डीजीएफटी के आदेश को चुनौती दी गई थी जिसे 31 मई 2025 को जारी किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार से जवाब मांगा है.

याचिका में किसान महापंचायत ने लिखा, 31 मई 2025 के लेटेस्ट नोटिफिकेशन समेत ऐसे नोटिफिकेशन का कुल मिलाकर असर यह है कि पीली मटर उगाने वाले किसानों को बढ़ते इंपोर्ट की वजह से बहुत नुकसान हो रहा है. 31 मई का यह तुरंत का नोटिफिकेशन कनाडा और रूस जैसे देशों को पीली मटर का अपना सरप्लस प्रोडक्शन भारतीय बाजारों में बेचने की इजाजत दे रहा है, जिससे बाजार में सप्लाई बढ़ रही है.

दूसरे शब्दों में, भारतीय किसानों को आर्थिक नुकसान भी हो रहा है, जो भारतीय बाजार में अपनी पीली मटर की उपज अच्छे दामों पर नहीं बेच पा रहे हैं. इंपोर्ट बढ़ने की वजह से घरेलू उपलब्धता बढ़ गई है, और पिछले साल पीली मटर की कीमतें बहुत गिर गई हैं.  

किसानों को नहीं मिल रहा दाल का दाम

याचिका में कहा गया था कि किसानों को सही दाम दिलाना, दालों और खाने के तेलों में आत्मनिर्भरता पाने के जरूरी तरीकों में से एक है, और किसानों के हक में ट्रेड पॉलिसी सिस्टम किसानों को बेहतर दाम दिलाने में मदद करेगा. 

हालांकि, कम/जीरो इंपोर्ट ड्यूटी पर दालों और खाने के तेलों के बिना रोक-टोक और सस्ते इंपोर्ट की वजह से KMS2024-25 के दौरान सोयाबीन, मूंगफली, उड़द, मूंग और तुअर की घरेलू कीमतें MSP से नीचे आ गई हैं. इंपोर्ट ड्यूटी स्ट्रक्चर को MSP के साथ जोड़ने से किसानों को सही दाम मिलेंगे और वे तिलहन और दालों का एरिया और प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए बढ़ावा पाएंगे. कमीशन की सलाह है कि पीली मटर के इंपोर्ट पर रोक लगानी चाहिए और दूसरी दालों, खासकर तुअर/अरहर, मसूर और उड़द पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ानी चाहिए.

पीली मटर का आयात अधिक

पीली मटर का इस्तेमाल चना और तूर दाल की जगह किया जाता है, और इसकी कीमतें भी बहुत कम हैं. सरकार के पीली मटर के लगातार फ्री इंपोर्ट से ट्रेडर्स हैरान हैं, क्योंकि महाराष्ट्र और कर्नाटक में चने की मंडी कीमतें 2024-25 मार्केटिंग सीजन के लिए तय ‘मिनिमम सपोर्ट प्राइस’ (MSP) 5,650 रुपये प्रति क्विंटल से भी कम हैं.

ट्रेड डेटा के मुताबिक, भारत ने 2024 में 66 लाख टन दालें इंपोर्ट की हैं, जबकि 2023 में यह 33 लाख टन थी. इंपोर्ट का पिछला रिकॉर्ड, 62 लाख टन, 2017 में दर्ज किया गया था. पीली मटर, जिसका इंपोर्ट 2023 में ड्यूटी फ्री कर दिया गया था, दालों के इंपोर्ट बास्केट में सबसे बड़ी हिस्सेदारी थी, जो 29 लाख टन थी, या कुल का 45% थी. भारत ने पिछले साल पीली मटर इंपोर्ट नहीं की थी.

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