देश के कई राज्यों में किसान नीलगाय से काफी परेशान दिख रहे हैं. वहीं किसानों की अक्सर शिकायत रहती है कि उनकी फसलें नीलगाय और खराब कर देती हैं. ऐसे में किसान नीलगाय के आतंक से परेशान रहते हैं. इससे उनका आर्थिक तौर पर बेहद नुकसान हो जाता है. इसे लेकर वो काफी चिंतित रहते हैं. ऐसे में क्या आप जानते हैं कि नीलगाय का सबसे अधिक आतंक किस राज्य में है. आइए इसके बारे में जानते हैं. सबसे बड़े एशियाई मृग को नीलगाय के नाम से भी जाना जाता है.
इसका आतंक सबसे अधिक गुजरात के किसानों में देखा जा रहा है. साथ ही इस राज्य में एक साल में दोगुने से भी ज्यादा नीलगाय की तादाद बढ़ी है, जो यहां के किसानों के लिए चिंता का विषय है क्योंकि नीलगाय खेतों में खड़ी फसलों को काफी नुकसान पहुंचाती हैं.
गुजरात में नीलगाय की आबादी पिछले 10 वर्षों में 117.27 फीसदी बढ़ी है जो किसानों के साथ ही कृषि विभाग और राज्य सरकार के लिए भी चिंताजनक है. गिर फाउंडेशन द्वारा किए गए नए सर्वेक्षण में 2011 में 1,19,546 के मुकाबले 2,51,378 नीलगाय की संख्या दर्ज की गई है. दरअसल 2011 के बाद से अब तक ऐसे तीन सर्वेक्षण किए जा चुके हैं. नीलगाय की आबादी में पिछले पांच वर्षों में 34.6 फीसदी की वृद्धि हुई है.
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अनुमानित आंकड़ों के अनुसार, अहमदाबाद जिले में 9,816 नीलगाय हैं. जबकि निकटवर्ती गांधीनगर जिले में 3010 हैं. वहीं बात करें सबसे अधिक नीलगाय जनसंख्या वाले जिले की तो इसमें बनासकांठा में 32021 की संख्या है. इसके बाद पाटन में 18584 और अमरेली में 16295 नीलगाय हैं.
राज्य वन विभाग के एक अधिकारी ने 'टाइम्स ऑफ इंडिया' से बात करते हुए कहा कि नीलगाय एक संरक्षित प्रजाति है, लेकिन ये जानवर किसानों के लिए खतरा बनते जा रहे हैं. वहीं उन्होंने कहा कि नीलगाय को कानूनी संरक्षण भी प्राप्त है क्योंकि इन्हें वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की अनुसूची-3 में शामिल किया गया है. इसके अलावा जानवर का शिकार करने पर तीन महीने की जेल या आर्थिक जुर्माना या दोनों का प्रावधान है.
अधिकारी ने कहा कि किसान नीलगाय को कीड़ा मानते हैं क्योंकि यह अक्सर फसलों की बर्बादी का कारण होती है. वहीं इसका निवास स्थान जंगलों के अलावा शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में फैला हुआ है. ऐसे में नीलगाय से अपनी फसलों को बचाने के लिए कई किसान अपने खेतों में चारों ओर बिजली की बाड़ लगा रहे हैं, जो अवैध है. इससे न केवल नीलगायों की मृत्यु होती है, बल्कि कई बार खासकर सौराष्ट्र में तेंदुए और शेर जैसे अन्य सुरक्षित जानवरों की भी मौत हो जाती है. इसके अलावा अधिकारी ने ये भी कहा कि उनकी आबादी में सालाना और दशकीय वृद्धि बहुत तेजी से हो रही है.