भारत में काफी समय पहले से ही आयुर्वेद का बड़ा महत्व है, जिसमें जड़ी-बूटियों और औषधियों की खेती होती रही है. वहीं भारत के सबसे लोकप्रिय और आसानी से मिलने वाले औषधीय पौधे की बात करें, तो तुलसी का नाम ज़हन में आता है. अगर आप भी औषधीय पौधे की खेती कर कम पूंजी से अच्छी कमाई करना चाहते हैं तो आपको तुलसी की खेती करने पर ध्यान देना चाहिए. तुलसी की खेती शुरू करने के लिए आपको बहुत अधिक पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं होती है. वहीं हमारे देश में तुलसी का खास महत्व है.
आयुर्वेद में तुलसी का इस्तेमाल कई तरह की औषधि का निर्माण करने के लिए किया जाता है. ऐसे में किसानों के लिए तुलसी की खेती एक अच्छा और बेहतर कमाई का विकल्प हो सकता है. वहीं इसके तेल की भी खुब डिमांड हैं. आइए जानते हैं कैसे करें तुलसी की हाईटेक खेती और तुलसी के तेल की कीमत.
तुलसी का पौधा बहुत ही फायदेमंद होता है. भारत में तुलसी के पौधे का धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है. ज़्यादातर हिन्दू घरों में आपको इसका पौधा मिलेगा. वहीं इसकी सभी घरों में पूजा भी की जाती है. साथ की इसे चाय और कई अन्य उपयोग में लाया जाता है. लोग रोज़ इसमें जल देते हैं और आंगन में बड़े सम्मान से इसे पूजते हैं. वहीं तुलसी मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती है. हरी पत्ती वाली, काली पत्ती वाली और कुछ नीली बैंगनी रंग के पत्तियों वाली तुलसी पाई जाती है. इसके अलावा इसकी खास बात यह है कि इसे कम सिंचाई वाली परिस्थितियों में भी उगाई जा सकती है.
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बलुई दोमट मिट्टी तुलसी की खेती के लिए काफी अच्छी मिट्टी मानी जाती है. इसकी खेती आप जून-जुलाई माह में शुरू कर सकते हैं. जून-जुलाई में बीजों के माध्यम से नर्सरी की तैयारी की जाती है. जब तुलसी की नर्सरी तैयार हो जाती है तो इसकी रोपाई की जाती है. इसके लिए दो लाइन के बीच लगभग 60 सेंटीमीटर का गैप रखा जाता है. वहीं, पौधों की दूरी 30 सेंटीमीटर के करीब होती है. तुलसी 100 दिनों के अंदर में तैयार हो जाती है. इसके बाद कटाई की प्रक्रिया शुरू की जाती है.
खेत की तैयारी करते समय जमीन को करीब हैरो कल्टीवेटर से जुताई की जाती है. वहीं खरपतवार आदि निकालकर गोबर की खाद का इस्तेमाल किया जाता है. एक हेक्टेयर में करीब 20 टन गोबर की खाद का इस्तेमाल किया जाता है. उभरी हुई क्यारियों में 10 सेंटीमीटर की दूरी पर बीज या पौधों का रोपण किया जाता है. बीज का जमाव करीब 15 से 20 दिन में हो जाता है. इसके अलावा सूखे मौसम में खेत की सिंचाई दोपहर के बाद की जाती है और अगर बरसात सही तरीके से होती रहती है तो सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती.
तुलसी के खेत को साफ सुथरा रखने के लिए समय-समय पर निराई गुड़ाई करीब 3 से 4 हफ्ते में होती रहनी चाहिए. तुलसी का पौधा तैयार होने के बाद में आसवन विधि से तुलसी के पौधे और पत्तियों से तेल निकाल लिया जाता है. वहीं तुलसी के तेल की कीमत 500 रुपये प्रति लीटर तक जाती है. इसके अलावा तुलसी की औसत पैदावार 20 से 25 टन प्रति हेक्टेयर तक होती है. तुलसी की फसल करीब 90 दिनों में तैयार होती है जो असीमित मुनाफा देती है क्योंकि तुलसी के तेल की कीमत बाजार में लगातार बढ़ती जा रही है.
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