गजब है गोंडा के 'Model Village' की कहानी, एक साल में 6 हजार किसानों को मिल रहा ये लाभ, जानें कैसे?

गजब है गोंडा के 'Model Village' की कहानी, एक साल में 6 हजार किसानों को मिल रहा ये लाभ, जानें कैसे?

Gonda News: दीनदयाल शोध संस्थान के सचिव तिवारी ने बताया कि यहां लड़कियों को सिलाई कढ़ाई का प्रशिक्षण भी दिया जाता है. वहीं देश के अलग-अलग राज्यों से आकर किसान खेती और पशुपालन की तकनीक सिखते हैं. गांव में बने पार्क के तालाब में मछली पालन किया जाता है. 

बाहर से आकर किसान सीखते हैं खेती और पशुपालन की तकनीक (Photo Credit-Kisan Tak)बाहर से आकर किसान सीखते हैं खेती और पशुपालन की तकनीक (Photo Credit-Kisan Tak)
नवीन लाल सूरी
  • Lucknow,
  • Oct 21, 2024,
  • Updated Oct 21, 2024, 2:03 PM IST

उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में एक ऐसा गांव है, जहां किसानों को हर हाईटेक सुविधाएं मिल रही है. यहां घूमने के लिए 10 रुपये का टिकट भी लगता है. यह गांव जनपद में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में आत्मनिर्भर गांव के नाम से जाना जाता है. इंडिया टुडे के किसान तक से खास बातचीत में दीनदयाल शोध संस्थान के सचिव राम कृष्ण तिवारी ने बताया कि महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव में जन्मे नानाजी देशमुख ने गोंडा जिले को अपनी कर्मस्थली बनाकर यहां के एक छोटे से गांव जयप्रभा को 1978 में विकसित कर मॉडल गांव बना दिया. 50 एकड़ के इस मॉडल गांव में खेती से लेकर गोपालन, मुर्गी पालन, मत्स्य पालन, स्कूल से लेकर बैंक, पोस्ट ऑफिस और प्रशिक्षण संस्थान तक सब उपलब्ध है. वहीं किसानों को मछली पालन से लेकर खेती की तकनीक की जानकारी के लिए  प्रशिक्षण भी दिया जाता है. उन्होंने बताया कि एक साल में करीब 5-6 हजार किसानों को अलग-अलग सेक्टर में ट्रेनिंग देकर आत्मनिर्भर बनाया जाता है.

मैं अपने लिए नहीं अपनों के लिए हूं...

राम कृष्ण तिवारी बताते हैं कि इस गांव के लोगों को दैनिक उपयोग की सामग्री बाजार से नहीं खरीदनी पड़ती है. जयप्रभा ग्राम उदेश्य 'मैं अपने लिए नहीं अपनों के लिए हूं, अपने वह हैं जो पीड़ित और उपेक्षित हैं'. यहां गौशाला, रासशाला, भक्ति धाम मंदिर के साथ-साथ थारू जाति जनजाति के बच्चों को रहने और उनकी नि:शुल्क शिक्षा की व्यवस्था है. यहां झील के दर्शन के साथ नौका विहार भी होता है.

यूपी का एक ऐसा गांव जहां के किसान बन रहे आत्मनिर्भर

दीनदयाल शोध संस्थान के सचिव तिवारी ने बताया कि यहां लड़कियों को सिलाई कढ़ाई का प्रशिक्षण भी दिया जाता है. वहीं देश के अलग-अलग राज्यों से आकर किसान खेती और पशुपालन की तकनीक सिखते हैं. गांव में बने पार्क के तालाब में मछली पालन किया जाता है. 

किसान सीखते हैं खेती और पशुपालन की तकनीक 

राम कृष्ण तिवारी कहते हैं कि जयप्रभा ग्राम प्रकल्प में महिलाओं और पुरूषों को ट्रेनिंग देकर आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है. किसानों को आधुनिक खेती और जड़ी-बूटियों की खेती, मधुमक्खी पालन, मछली पालन सहित कई चीजों की ट्रेनिंग लेकर लोग आत्मनिर्भर बन रहे हैं. यहां से ट्रेनिंग प्राप्त कर वह अपने गांव और आसपास में रोजगार के लिए दुकान खोलकर अपने परिवार के लिए पैसे कमाकर जीवन यापन कर रहे हैं. 

जड़ी बूटियों से दीनदयाल शोध संस्थान में बनाई जाती हैं दवाइयां

इस गांव में विद्यालय, अस्पताल, डाकघर, प्रशिक्षण संस्थान, जल संरक्षण के लिए तालाब और तरह-तरह की जड़ी बूटियों की खेती होती है. इन जड़ी बूटियों से दीनदयाल शोध संस्थान में दवाइयां बनाई जाती हैं.

गांव के लोग पलायन नहीं करते

इस गांव के लोग पलायन नहीं करते हैं, बल्कि यहां से रोजगार प्राप्त कर अपने परिवार के बीच रहते हुए पैसे कमाकर जीवन यापन करते हैं. बता दें कि जयप्रभा ग्राम अब सिर्फ गोंडा और देवीपाटन मंडल में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में अपनी खुशबू बिखेर रहा है.

नानाजी देशमुख का बसाया जयप्रभा ग्राम

महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव में जन्मे नानाजी देशमुख ने गोंडा जिले को अपनी कर्मस्थली बनाकर यहां के एक छोटे से गांव जयप्रभा को विकसित किया था. पद्म भूषण सहित कई सम्मान पा चुके नाना जी का जीवन काफी सादगी भरा रहा. कठोर परिश्रम ने ही नाना जी को इस मुकाम तक पहुंचाया. 25 वर्षों की राजनीतिक सेवा के बाद 60 वर्ष की आयु में 8 अप्रैल 1978 को उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया था. 

 

MORE NEWS

Read more!