करनाल में पराली जलाने पर लगाम: किसानों ने अपनाया फसल अवशेष प्रबंधन, एक्टिव फायर केस शून्य

करनाल में पराली जलाने पर लगाम: किसानों ने अपनाया फसल अवशेष प्रबंधन, एक्टिव फायर केस शून्य

करनाल में इस बार पराली जलाने की घटनाएं न के बराबर, 450 टीमें और 750 अधिकारी कर रहे फील्ड में निगरानी. किसानों को मिल रही सब्सिडी और प्रोत्साहन राशि का लाभ.

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कमलदीप
  • Karnal,
  • Oct 13, 2025,
  • Updated Oct 13, 2025, 6:28 PM IST

हरियाणा के करनाल जिले से पराली जलाने को लेकर इस बार राहत भरी खबर सामने आई है. जिले में अब तक कृषि विभाग को एक भी एक्टिव फायर लोकेशन नहीं मिली है. पिछले साल इस समय तक 40 घटनाएं दर्ज हुई थीं, जबकि इस बार किसानों ने बड़ी संख्या में फसल अवशेष प्रबंधन को अपनाया है.

कृषि विभाग के अनुसार, इस बार लगभग 40% किसान इन सीटू और एक्स सीटू विधियों से फसल अवशेष प्रबंधन कर रहे हैं. धान की कटाई का सीजन अपने पीक पर है और करीब 50% फसल की कटाई हो चुकी है. इसके बावजूद पराली जलाने के सिर्फ 5 मामले सामने आए हैं, जिन पर 30,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है.

पराली जलाने से रोकने के लिए 450 टीमें गठित

कृषि उप निदेशक डॉ. वजीर सिंह ने बताया कि किसानों को जागरूक करने और पराली जलाने से रोकने के लिए 450 टीमें गठित की गई हैं, जिनमें 750 से अधिक अधिकारी और कर्मचारी फील्ड में तैनात हैं. ये टीमें खेतों में जाकर निगरानी कर रही हैं और किसानों को पराली न जलाने के लिए प्रेरित कर रही हैं.

उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन के लिए किसानों को भारी सब्सिडी पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जा रहे हैं. जिले में करीब 9,000 मशीनें उपलब्ध हैं, जिनसे किसान इन सीटू और एक्स सीटू दोनों तरीकों से अवशेष प्रबंधन कर सकते हैं.

इसके अलावा फसल अवशेष प्रबंधन करने वाले किसानों को 1,200 रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है. जो किसान अनुदान पर कृषि यंत्र लेना चाहते हैं, वे आवेदन कर सकते हैं.

पराली प्रबंधन के लिए किसानों से अपील

डॉ. सिंह ने स्पष्ट किया कि जो किसान पराली जलाएंगे, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. साथ ही, किसानों से अपील की गई है कि वे पराली की गांठ बनवाएं या खेत में ही प्रबंधन करें, ताकि प्रदूषण रोका जा सके और खेत की उर्वरता बनी रहे.

डॉ. वजीर सिंह, उप निदेशक, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, करनाल (हरियाणा) ने कहा, "हमारा लक्ष्य करनाल को पराली मुक्त बनाना है. किसानों का सहयोग सराहनीय है और सरकार की योजनाओं से उन्हें लाभ भी मिल रहा है."

हरियाणा ने पराली जलाने के विकल्प के रूप में किसानों को नई तकनीक और मशीनरी उपलब्ध कराने में भी बड़ी प्रगति की है. फसल अवशेष प्रबंधन (CRM) मशीनरी की पहचान का 90 फीसदी काम पूरा हो चुका है और 51,526 मशीनें संचालन में हैं. नई मशीनों की खरीद भी तेजी से चल रही है, जिसका 94.74 फीसदी काम पूरा हो गया है. 

चयनित 14,088 मशीनों में से 8,213 के परमिट डाउनलोड हो चुके हैं और 7,781 के बिल अपलोड किए जा चुके हैं.  फरीदाबाद, झज्जर और रोहतक जैसे जिलों ने 98 फीसदी से अधिक काम पूरा कर रिकॉर्ड बनाया है.

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