भारत की तरफ से किसानों के लिए नीतियों से जहां किसान समुदाय को फायदा हो रहा है तो वहीं कृषि अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिली है. दूसरी ओर अब भारत के पड़ोसियों की तारीफें इन नीतियों के लिए आने लगी हैं. वियतनाम टाइम्स में आई एक रिपोर्ट से तो कुछ ऐसा ही लगता है. वियतनाम टाइम्स के एक आर्टिकल में लिखा है कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार में झटकों के बीच भारत ने नीति समर्थन और बाजार सुरक्षा के माध्यम से किसानों का समर्थन किया है.
अखबार के अनुसार पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान, भारत ने 'ग्रामीण आय को स्थिर करने, बुआई के निर्णयों को बनाए रखने और दीर्घकालिक कृषि लचीलापन सुनिश्चित करने' की कोशिशें कीं. वहीं फसल बीमा योजनाओं के माध्यम से देश ने किसानों को मौसम, कीट और मूल्य झटकों से सुरक्षित किया. सरकार की 'प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) और संबंधित वेदर इंडेक्स पर आधारित स्कीम्स' जो 2025–26 तक जारी रहेंगी, ने तुरंत दावा निपटान और बड़े पैमाने पर कवरेज सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त बजट के नियम बनाए रखे.
रिपोर्ट में कहा गया है कि ये योजनाएं 'उन नकारात्मक जोखिमों को कम करती हैं जो किसानों को मजबूरी में बिक्री या कम निवेश करने पर मजबूर कर सकते हैं. साथ ही किसानों को बेहतर बीज और जलवायु-स्मार्ट तकनीकों को अपनाने के लिए सशक्त बनाती हैं. नीतियों के साथ ही व्यावहारिक सुधार भी किए गए, जैसे कि भुगतान में तेजी लाना और डिजिटल ट्रांसफर के जरिये ये लाभार्थियों तक जल्दी पहुंचाना जो किसानों के लिए फायदेमंद साबित हुआ.
रिपोर्ट की मानें तो केंद्र और राज्य के बीच खरीद और भुगतान में समन्वय, अभी भी, दक्षता सुनिश्चित करता है. साथ ही किसानों को बीमा और समर्थन वितरण की पूरी कीमतें भी मिलती हैं. इसके अलावा, गारंटीकृत मूल्य और खरीद कार्यक्रमों ने किसानों की आय को बढ़ाया. अखबार के मुताबिक जैसे-जैसे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में उतार-चढ़ाव आया, वार्षिक तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी ) और खरीद प्रणाली ने कृषि क्षेत्र को स्थिर रखा.
इसके साथ ही, क्षेत्र-विशेष झटकों के लिए सरकार ने राज्य स्तर पर राहत उपायों को लागू किया. आर्टिकल में लिखा है, 'सिंचाई सब्सिडी, जल शुल्क पर माफी और प्रमुख फसलों के लिए विस्तारित खरीद केंद्रों' जैसे उपायों ने सीधे किसानों की लागत को कम किया और शुद्ध लाभ बढ़ाया. स्थानीय हस्तक्षेपों के साथ राष्ट्रीय बीमा और मूल्य समर्थन ने तत्काल वित्तीय दबाव कम किया और किसानों को उत्पादक निवेश बनाए रखने में सक्षम बनाया.
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