भारतीय बागवानी उत्पाद निर्यातक संघ की तरफ से कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय को एक चिट्ठी लिखी गई है. इसमें कहा गया है कि इस साल देश में प्याज की आपूर्ति पर्याप्त बनी रहेगी और कीमतों में किसी बड़ी वृद्धि की संभावना नहीं है. संघ के उपाध्यक्ष विकास सिंह की तरफ से इस चिट्ठी में कहा गया है कि किसानों के पास अभी भी 2025 सीजन की रबी प्याज का करीब 35 से 40 फीसदी स्टॉक बचा हुआ है. इस स्टॉक को बाजार में कीमतें बढ़ने की उम्मीद में सुरक्षित रखा गया है. चिट्ठी के अनुसार आने वाले हफ्तों में इन स्टॉक की अच्छी आवक से बाजार में स्थिरता बनी रहने की उम्मीद है.
चिट्ठी के अनुसार मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे प्रमुख प्याज उत्पादक राज्यों में भी किसानों के पास बड़ी मात्रा में प्याज का स्टॉक मौजूद है. इससे आने वाले दिनों में बाजार में प्याज की सप्लाई मजबूत बनी रहने की संभावना है. चिट्ठी की मानें तो कर्नाटक के बेंगलुरु आसपास के इलाकों में खरीफ प्याज की कटाई शुरू हो चुकी है. यहां उपज की गुणवत्ता और मात्रा दोनों ही बेहतर हैं. वहीं, राजस्थान और गुजरात से भी खरीफ प्याज की सप्लाई शुरू होने की उम्मीद है, जिससे बाजार में प्याज की निरंतर उपलब्धता बनी रहेगी. रिपोर्ट्स के अनुसार, महाराष्ट्र में इस साल देर से बोई गई खरीफ प्याज की खेती सामान्य से अधिक क्षेत्र में की गई है.
लेट खरीफ प्याज की फसल नवंबर के तीसरे सप्ताह तक बाजार में आने की संभावना है, जबकि कर्नाटक से भी नवंबर के अंत तक आपूर्ति जारी रहेगी. पुराने रबी स्टॉक और नई खरीफ फसल की नियमित आवक से इस साल प्याज की कमी की कोई संभावना नहीं है. संघ ने बताया कि विदेशों से प्याज की मांग में कमी आई है. इससे निर्यात की मात्रा सीमित रह सकती है. इस वजह से घरेलू बाजार में प्याज की कीमतों में किसी बड़े उछाल की संभावना नहीं है.
विकास सिंह ने मंत्रालय से अनुरोध किया है कि प्याज के बीज के निर्यात पर लगी रोक जारी रखी जाए. उन्होंने बताया कि बांग्लादेश, श्रीलंका और बाकी पड़ोसी देश भारतीय मूल के बीजों से प्याज उत्पादन कर रहे हैं. इससे भारतीय किसानों को सीधी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है. चीन और पाकिस्तान जैसे देशों में भी भारतीय प्याज बीजों की मांग बढ़ रही है, जो लंबे समय में भारतीय किसानों के हितों के लिए चुनौती बन सकती है.
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