Arya.ag ने नाइजीरिया संग वेयरहाउस और सीड फाइनेंस टेक साझेदारी पर की चर्चा, निवेश से इनकार

Arya.ag ने नाइजीरिया संग वेयरहाउस और सीड फाइनेंस टेक साझेदारी पर की चर्चा, निवेश से इनकार

भारत में 21 राज्यों में सक्रिय Arya.ag के Co-Founder और CEO Anand Chandra ने कहा कि नाइजीरिया के साथ हुआ यह जुड़ाव सिर्फ कंसल्टेंसी आधार पर होगा. प्लेटफॉर्म के पास अफ्रीका में निवेश करने की क्षमता नहीं है और जियोपॉलिटिकल जोखिम का हवाला देते हुए किसी सब्सिडियरी या इक्विटी इंटरेस्ट से साफ इनकार किया.

paddy seedpaddy seed
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Nov 05, 2025,
  • Updated Nov 05, 2025, 11:13 AM IST

भारत के सबसे बड़े इंटीग्रेटेड ग्रेन कमर्शियल प्लेटफॉर्म में से एक, Arya.ag, नाइजीरिया के साथ एग्रीकल्चर प्रोडक्ट्स के लिए वेयरहाउस और सीड फाइनेंस सिस्टम बनाने के लिए नॉलेज और टेक्नोलॉजी शेयर करने पर बातचीत कर रहा है. इसके को-फाउंडर और CEO आनंद चंद्र ने कहा.

उन्होंने 'बिजनेसलाइन' के साथ एक ऑनलाइन बातचीत में बताया कि यह जुड़ाव कंसल्टेंसी बेसिस पर होगा, जैसा कि कंपनी ने इथियोपिया में किया था. हालांकि, Arya.ag का अफ्रीका में कोई निवेश करने का प्लान नहीं है, जबकि वह भारत में जिन 21 राज्यों में काम करता है, वहां और गहराई से काम करने का प्लान बना रहा है.

चंद्र ने कहा, “हम अफ्रीका के साथ बातचीत कर रहे हैं, लेकिन हम बहुत साफ हैं कि हम इन्वेस्टमेंट नहीं करेंगे. उन्हें सपोर्ट करने के मामले में, हमने वर्ल्ड बैंक की मदद से इथियोपियाई सरकार के साथ काम किया है. हमारा एक्सपोजर सिर्फ नॉलेज और टेक्नोलॉजी शेयरिंग तक ही सीमित रहेगा, और कुछ नहीं.”

कंपनी का मानना ​​है कि अफ्रीका में इन्वेस्टमेंट करने के लिए कई ऐसी क्षमताओं की जरूरत है जो उसके पास नहीं हैं, साथ ही जियोपॉलिटिकल रिस्क भी हैं. उन्होंने कहा, “हमने देखा है कि जो लोग अफ्रीका गए हैं, उनमें से ज्यादातर ने अपनी पूंजी गंवा दी है. इसलिए, कोई इन्वेस्टमेंट नहीं, कोई सब्सिडियरी नहीं.”

कमोडिटीज के बदले लोन देता है Arya.ag

Arya.ag कमोडिटीज के बदले लोन देता है और 6.5-7 लाख किसानों के साथ काम करता है. इस कंपनी ने पिछले फाइनेंशियल ईयर में 4,000 वेयरहाउस में 45 लाख टन (mt) से ज्यादा अलग-अलग कमोडिटीज को हैंडल किया है. इसने 31 फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस में कुल 12,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का लोन दिलाया. उन्होंने कहा, “अपनी खुद की बुकिंग से, हमने पिछले फाइनेंशियल ईयर में 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का काम किया.”

कंपनी उन 21 राज्यों में और गहराई से काम करना जारी रखेगी जहां वह ऑपरेट कर रही है. चंद्र ने कहा, “हमारा लक्ष्य 60 लाख टन का थ्रेशहोल्ड हासिल करना है. इसलिए हम अपने वेयरहाउसिंग और फाइनेंस बिजनेस लक्ष्यों के मामले में और ज्यादा बारीकी से काम करेंगे.”

Arya.ag भारत के लिए एक “ग्रीन ऑपरेटिंग सिस्टम” बनना चाहता है, जिसमें जो भी एग्री कमोडिटी पैदा होती है और कंज्यूमर तक जाती है, वह कहीं न कहीं कंपनी के प्लेटफॉर्म से जुड़ती है. उन्होंने कहा, “यह फाइनेंस या वेयरहाउसिंग या कॉमर्स प्लेटफॉर्म के जरिए हो सकता है.”

कंपनी दो मुख्य दो मुद्दों पर ध्यान देती है. पहला, यह उन जगहों पर कमोडिटीज के बदले लोन देती है जहां लोगों को बैंक आदि तक पहुंच नहीं है. इसके कम से कम 50 परसेंट कस्टमर पहली बार क्रेडिट का फायदा उठाते हैं.

आर्याधन के जरिए कम समय में लोन

आर्या.एजी अपनी नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी आर्याधन के जरिए कम समय में लोन देती है. लोन मुख्य रूप से किसान के पास मौजूद खेती की चीजों के बदले दिया जाता है और उनकी सिक्योरिटी का मैनेजमेंट इसकी दूसरी ग्रुप फर्म आर्या कोलैटरल करती है. उन्होंने कहा कि इसका मुख्य मुकाबला लोकल साहूकारों से है.

"हम किसानों को सलाह देते हैं. हम किसानों की दो बेसिक समस्याओं को हल करने में मदद करते हैं. एक है कब बेचना है, और दूसरा है कहां बेचना है," चंद्रा ने कहा. यह ऑर्गनाइजेशन छोटे वेयरहाउस के साथ काम करता है जो साइज के हिसाब से नहीं होते. इससे अपने नॉन-बैंकिंग फाइनेंसिंग, स्टोरेज और फाइनेंस सर्विस के साथ प्रोडक्शन सेंटर तक पहुंचने में मदद मिलती है.

यह कॉमर्स प्लेटफॉर्म, जिसने 5,500 करोड़ रुपये का टर्नओवर रजिस्टर किया है, तब अपना काम शुरू करता है जब किसान बेचने का फैसला करते हैं. तब उन्हें कई खरीदारों तक पहुंच मिलती है जिससे बेहतर रिटर्न मिलता है.

कंपनी खेती की चीजों के बदले 2.5 करोड़ रुपये तक का लोन मंजूर कर सकती है, जिसमें चीजों को किसानों के अकाउंट में डिजिटल बैलेंस के तौर पर रजिस्टर किया जाता है. कंपनी के को-फाउंडर और CEO ने कहा, "एक किसान के हमारे वेयरहाउस में आने और जाने का लगभग टाइम 30 मिनट से भी कम है."

कंपनी को 40 करोड़ का मुनाफा

एक बार जब किसान अपनी फसल बेच देता है, तो आर्या.एजी, जो खरीदार से पैसे लेने का ध्यान रखती है, लोन अकाउंट बंद कर देती है और बचा हुआ पैसा वापस दे देती है.

कंपनी उन किसानों की पहचान करने के लिए किसान-उत्पादक संगठन के साथ काम करती है जिन्हें फंडिंग की जरूरत होती है. चंद्रा ने कहा, "हम जाकर उन्हें समझाते हैं कि अगर वे हमारे पास चीजें स्टोर करते हैं तो उन्हें क्या फायदे होंगे," उन्होंने आगे कहा कि किसानों को जिन दो बड़ी चुनौतियों - फसल बिक्री का टाइम और लोन - का सामना करना पड़ रहा था, उन्हें इससे निपटा गया है.

आर्या.एजी ने पिछले फाइनेंशियल ईयर में टैक्स से पहले 40 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया. यह कमाई सभी खर्चों और सभी प्रोविजन को ध्यान में रखने के बाद हुई.

MORE NEWS

Read more!