
मध्य प्रदेश की बिजली कंपनी ने कृषि फीडरों को लेकर बड़ा एक आदेश जारी किया है. इस आदेश में कहा गया है कि अंगर कृषि फीडरों पर 10 घंटे से ज्यादा बिजली दी गई तो अधिकारियों की सैलरी काटी जाएगी. यह आदेश ऐसे समय में आया है जब रबी फसलों की बुवाई चल रही है. यहां तक कि बेमौसम बारिश और खराब मौसम की वजह से बिजली में कटौती है. सरकार के इस आदेश से किसानों में बेचैनी है तो विपक्षी पार्टियों ने प्रदेश सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. विपक्षी पार्टी खासकर कांग्रेस ने इस फरमान को किसान विरोधी बताया है और कहा है कि मध्य प्रदेश सरकार का ऐसा ही दोहरा रवैया है. एक तरफ वह किसान हितैषी बताती है तो दूसरी ओर किसानों की बिजली पर सख्ती दिखाई जाती है.
दरअसल, मध्य प्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड ने कृषि फीडरों पर 10 घंटे से अधिक बिजली सप्लाई होने पर अधिकारियों के वेतन में कटौती के निर्देश जारी किए हैं. कंपनी के महाप्रबंधक (संस्था/संस्था) की ओर से 3 नवंबर 2025 को जारी परिपत्र (क्रमांक 676) के अनुसार, यदि किसी कृषि फीडर पर निर्धारित अवधि से अधिक यानी 10 घंटे से अधिक बिजली आपूर्ति की जाती है, तो संबंधित अधिकारी — सहायक अभियंता (AE/AEEM), उपमहाप्रबंधक (DGM) और महाप्रबंधक (GM) — के वेतन से एक दिन का वेतन काटा जाएगा.
यह निर्देश पूर्व के आदेश (31 अगस्त 2020) का संशोधित रूप है. इस आदेश में यह भी बताया गया है कि राज्य सरकार की ओर से निर्धारित समय सीमा का पालन न करने वाले अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.
आदेश में कहा गया है कि कृषि फीडरों पर लगे मीटरों से समय निर्धारण के अनुसार अधिकतम 15 मिनट की तकनीकी त्रुटि की छूट दी जाएगी. यानी, यदि किसी फीडर पर 10 घंटे और 1 मिनट से अधिक आपूर्ति दर्ज होती है, तो इसे उल्लंघन माना जाएगा. महाप्रबंधक स्तर पर मॉनिटरिंग और रिपोर्टिंग की व्यवस्था भी तय की गई है, ताकि किसी भी प्रकार की अतिरिक्त बिजली आपूर्ति का सही रिकॉर्ड रखा जा सके.
बिजली कंपनी के इस आदेश से किसानों में बेचैनी है क्योंकि एक दिन पहले ही खुद मुख्यमंत्री मोहन यादव ने ऊर्जा विभाग की समाधान योजना की शुरुआत करते हुए ऐलान किया था कि घरेलू, गैर-घरेलू, कृषि और औद्योगिक श्रेणी (सरकारी कनेक्शन को छोड़कर) उपभोक्ताओं को तीन महीने या उससे अधिक के बकाया बिल पर सरचार्ज में छूट दी जाएगी. जिस दिन मुख्यमंत्री ने इसकी घोषणा की उसके अगले दिन बिजली कंपनी के आदेश से किसानों में परेशानी बढ़ गई है.
जिन जिलों में इस आदेश की कॉपी भेजी गई है, वहां खेती का काम बड़े स्तर पर होता है. इसमें भोपाल, ग्वालियर, सीहोर, राजगढ़, नर्मदापुरम, रायसेन, हरदा, विदिशा, अशोकनगर, गुना, भिंड, मुरैना, श्योपुर, शिवपुरी और दतिया जिले शामिल हैं.
बिजली कंपनी के इस आदेश पर कांग्रेस ने सरकार को घेरते हुए हमला बोला है. कांग्रेस ने कहा है कि मध्य प्रदेश सरकार का ऐसा ही दोहरा रवैया है जो एक तरफ किसान हितैषी होने का दावा करती है जबकि दूसरी ओर बिजली पर भी पाबंदी लगाती है.