Soybean Meal Export: भारत के सोयामील निर्यात में आ सकती है भारी गिरावट, SOPA ने बताया आखिर क्यों आई ये नौबत?

Soybean Meal Export: भारत के सोयामील निर्यात में आ सकती है भारी गिरावट, SOPA ने बताया आखिर क्यों आई ये नौबत?

2025-26 में भारत के सोयामील निर्यात में भारी गिरावट होने की आशंका है. अनुमानित निर्यात 8 लाख टन रहेगा, जबकि पिछले वर्ष यह 20.23 लाख टन था. EU के नए EUDR नियमों (वन-विनाश विनियमन) का पालन करना मुश्किल हो रहा है. हाल ही में हुए एक अरब डॉलर के अमेरिकी-बांग्लादेश सौदे से पड़ोसी खरीदार की ओर से भारतीय भोजन की मांग भी प्रभावित होगी.

India Soymeal ExportIndia Soymeal Export
क‍िसान तक
  • नोएडा,
  • Nov 15, 2025,
  • Updated Nov 15, 2025, 1:28 PM IST

चालू तेल वर्ष 2025-26 में भारत के सोयामील निर्यात में भारी गिरावट आने की संभावना है. ऐसा प्रस्तावित यूरोपीय संघ वन विनाश विनियमन (EUDR) मानदंडों के अनुपालन को लेकर चिंताओं और ऊंची कीमतों के कारण हो रहा है. व्यापार निकाय सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) ने अपने नवीनतम आपूर्ति और मांग अनुमानों के अनुसार, निर्यात 8 लाख टन (lt) आंका है, जो पिछले साल के 20.23 lt से काफी कम है. तेल वर्ष 2024-25 के दौरान यूरोप भारतीय सोयामील का एक प्रमुख खरीदार था, और EUDR मानदंडों के लागू होने से पहले जर्मनी, फ्रांस और नीदरलैंड जैसे देश प्रमुख खरीदार के रूप में उभरे.

'निर्यात पिछले साल के स्तर पर नहीं होगा'

सोपा के कार्यकारी निदेशक डी एन पाठक ने कहा कि EUDR अभी भी हमारे सिर पर मंडरा रहा है और पिछले साल मुख्य निर्यात यूरोप को हुआ था. ऐसा लग रहा है कि निर्यात पिछले साल के स्तर पर नहीं होगा. मांग तो है, लेकिन सवाल मांग का नहीं है. सवाल यह है कि क्या हम इसकी आपूर्ति कर पाएंगे. क्या हम ईयूडीआर मानदंडों का पालन कर पाएंगे. यही सवाल है. हम कोशिश कर रहे हैं. प्रसंस्करणकर्ताओं और निर्यातकों द्वारा EUDR मानदंडों का पालन करने की प्रक्रिया काफी सुस्त रही है. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार ईयूडीआर नियमों का पालन करने के लिए उद्योग का समर्थन कर रही है.

सोपा के कार्यकारी निदेशक ने अंग्रेजी अखबार 'बिजनेसलाइन' की एक रिपोर्ट में बताया कि अन्य देशों की तुलना में भारत में सोयामील की कीमतें ज़्यादा हैं. उन्होंने कहा कि अब हमारा एफओबी मूल्य लगभग 430-425 डॉलर प्रति टन होगा, जबकि ब्राज़ील और अर्जेंटीना जैसे अन्य देशों में यह 320 डॉलर के आसपास है.

अमेरिकी-बांग्लादेश डील का असर

बता दें कि हाल ही में हुए एक अरब डॉलर के अमेरिकी-बांग्लादेश सौदे से पड़ोसी खरीदार की ओर से भारतीय भोजन की मांग भी प्रभावित होगी. भारतीय सोयामील वैश्विक बाजार में सबसे महंगे उत्पादों में से एक बना हुआ है, जिसका मुख्य कारण इसकी गैर-आनुवंशिक रूप से संशोधित (गैर-जीएम) प्रकृति है. परंपरागत रूप से, भारतीय गैर-जीएम सोयामील की कीमत अन्य जीएम-मूल उत्पादों की तुलना में लगभग 100 डॉलर प्रति टन अधिक रही है, जिससे मूल्य-संवेदनशील बाज़ारों में यह कम प्रतिस्पर्धी हो गया है. सितंबर में समाप्त होने वाले तेल वर्ष 2024-25 के दौरान, भारत का सोयामील निर्यात लगभग 5 प्रतिशत घटकर 20.23 लाख टन रह गया, जबकि पिछले वर्ष यह 21.28 लाख टन था. यह गिरावट मुख्यतः ईरान और बांग्लादेश से खरीद में कमी के कारण हुई, जो ऐतिहासिक रूप से भारतीय सोयामील के महत्वपूर्ण खरीदार रहे हैं.

जर्मनी को निर्यात एक साल पहले के 1.04 टन से चार गुना बढ़कर 4.10 टन से ज़्यादा हो गया. फ्रांस को निर्यात तीन गुना बढ़कर 2.23 टन हो गया, जबकि पिछले साल यह 68,332 टन था. नीदरलैंड को निर्यात दोगुने से भी ज़्यादा बढ़कर 1.11 टन हो गया, जो पहले 50,856 टन था.

खबर का निचोड़ ये रहा

  • EU के नए EUDR नियमों (वन-विनाश विनियमन) का पालन करना मुश्किल हो रहा है.
  • भारत में सोयामील की कीमतें अधिक हैं, करीब $425–430/टन, जबकि ब्राज़ील और अर्जेंटीना ~ $320/टन पर बेच रहे हैं.
  • अमेरिका–बांग्लादेश की बड़ी डील के कारण भारतीय सोयामील की मांग और कम होगी.
  • उच्च कीमतें और गैर-GM प्रकृति इसे मूल्य-संवेदनशील बाज़ारों में कम प्रतिस्पर्धी बनाती हैं
  • तेल वर्ष 2025-26 में निर्यात गिरने का अनुमान है. 2024-25 में भी निर्यात 5% घट चुका है.
  • EUDR अनुपालन की प्रक्रिया धीमी है; प्रसंस्करणकर्ता और निर्यातक अभी पूरी तरह तैयार नहीं.
  • यूरोप (जर्मनी, फ्रांस, नीदरलैंड) 2024-25 में बड़े खरीदार थे.
  • 2025-26 में इन देशों को निर्यात घटने की आशंका है.
  • ईरान और बांग्लादेश से खरीद भी पहले ही कम हो चुकी है.

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