US Tariff: अमेरिकी टैरिफ की मार झेल रहे मसाला उद्योग ने लगाई पीएम मोदी से मदद की गुहार 

US Tariff: अमेरिकी टैरिफ की मार झेल रहे मसाला उद्योग ने लगाई पीएम मोदी से मदद की गुहार 

विश्व मसाला संगठन (डब्ल्यूएसओ) ने केंद्र सरकार से अपील की है कि उसकी नई योजना में मसालों को भी शामिल किया जाए. संगठन की मानें तो ऐसा करके अमेरिकी टैरिफ से प्रभावित मसाला क्षेत्रों को भी मदद मिल सकेगी. पिछले साल मसाला क्षेत्र ने करीब 39,000 करोड़ रुपये का योगदान दिया था.

क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Nov 14, 2025,
  • Updated Nov 14, 2025, 12:45 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को 25,060 करोड़ रुपये के एक्‍सपोर्ट प्रमोश मिशन (ईपीएम) को मंजूरी दी है. यह कदम उन करोड़ों ट्रेडर्स को सपोर्ट करने के मकसद से उठाया गया है जो अमेरिकी टैरिफ की मार झेलने को मजबूर हैं. इसके अलावा कैबिनेट ने एक्‍सपोर्ट्स के लिए गारंटी योजना के विस्तार को भी मंजूरी दे दी है. आपको बता दें कि इस साल अगस्‍त से भारत पर अमेरिका का 50 फीसदी टैरिफ लागू हो चुका है. इस बडे़ फैसले के बाद अब देश के मसाला व्‍यापारियों ने भी केंद्र सरकार से एक खास अपील कर डाली है. मसाला व्‍यापारियों ने केंद्र से गुहार लगाई है कि इस मिशन में मसालों को भी शामिल किया जाए. 

निर्यातक संकट में 

विश्व मसाला संगठन (डब्ल्यूएसओ) ने केंद्र सरकार से अपील की है कि उसकी नई योजना में मसालों को भी शामिल किया जाए. संगठन की मानें तो ऐसा करके अमेरिकी टैरिफ से प्रभावित मसाला क्षेत्रों को भी मदद मिल सकेगी. पिछले साल मसाला क्षेत्र ने करीब 39,000 करोड़ रुपये का योगदान दिया था. डब्ल्यूएसओ के अध्यक्ष रामकुमार मेनन के हवाले से बिजनेसलाइन ने लिखा है, 'अमेरिका को मसाला निर्यातक बुरी तरह प्रभावित हुए हैं क्योंकि उत्तरी अमेरिकी देश हमारे मसाला निर्यात का करीब 116 फीसदी हिस्सा हैं. ऐसे में निर्यातकों को इस संकट से निपटने के लिए मदद की जरूरत है.' 

इन देशों में बाजार तलाशे भारत 

डब्ल्यूएसओ की तरफ से 14 नवंबर से गुंटूर में दो दिनों तक चलने वाले एक राष्‍ट्रीय सम्‍मलेन का आयोजन भी हो रहा है. इसमें मसाला उद्योग में गुणवत्ता, स्थिरता और बाजार संबंधों में प्रगति पर चर्चा की जाएगी.  मेनन चाहते हैं कि सरकार दक्षिण-पूर्व एशिया, अफ्रीका और पूर्वी यूरोप में मौजूद विशाल अवसरों का फायदा उठाने में उद्योग की मदद करे. उन्‍होंने कहा, ' मसाला बाजार दक्षिण पूर्व एशिया और अफ्रीका में एक बड़ा मौका है. 14.2 अरब डॉलर के इस बाजार पर मुख्य तौर पर अमेरिका और चीन का दबदबा है. इन दोनों देशों की कुल हिस्सेदारी 30 प्रतिशत से ज्‍यादा है, जबकि भारत की स्थिति बहुत खराब है. सिर्फ 0.6 अरब डॉलर की ही मौजूदगी है. ऐसे में यहां पर भारत के लिए अपार संभावनाएं हैं.' 

टैरिफ के बाद भी निर्यात ज्‍यादा 

उनका मनना है कि ये दोनों ही उपाय देश को अमेरिकी टैरिफ से हुए नुकसान की भरपाई करने में मदद करेंगे.  उनका मानना है कि अमेरिकी प्रतिबंधों के मद्देनजर, स्टॉक बढ़ने से कीमतों पर कोई असर नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा कि घरेलू बाजार काफी बड़ा है. 1-1.2 लाख करोड़ रुपये के साथ, घरेलू मसाला बाजार देश के निर्यात से तीन गुना बड़ा है. यह भंडार को पूरी तरह से खपा सकाता है. टैरिफ का निर्यात पर काफी असर पड़ा है और इसने काफी हद तक इस उद्योग को प्रभावित किया है. लेकिन टैरिफ के प्रभाव के बावजूद, अगस्त तक पहली दो तिमाहियों में सभी देशों का निर्यात पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में अधिक था. 

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