
शुगर, डायबिटीज या मधुमेह अब लोगों के लिए अनजाने शब्द नहीं रह गए हैं. कम ही परिवार ऐसे हैं, जहां इस बीमारी के मरीज न हों. डायबिटीज टाइप-1 और डायबिटीज टाइप-2 दोनों के मरीजों की संख्या हमारे देश में काफी तेजी से बढ़ती जा रही है. ऐसे में हमारा देश दुनियाभर के डायबिटीज रोगियों की राजधानी बनते जा रहा है. बता दें कि डायबिटीज एक खतरनाक बीमारी है जो दुनिया भर में काफी तेजी से बढ़ती जा रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक विश्व में 42.2 करोड़ से ज्यादा लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं. हर उम्र के लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं. ऐसे में आइए जानते वर्ल्ड डायबिटीज डे पर कि आखिर क्या है डायबिटीज, क्या हैं इसके होने के कारण? और कैसे करें इसके लक्षण का पहचान?
डायबिटीज एक ऐसी समस्या है, जिसमें ब्लड के अंदर ग्लूकोज का स्तर नियंत्रित नहीं हो पाता है. अब आपके मन में यह सवाल आएगा कि आखिर यह नियंत्रित क्यों नहीं हो पाता? तो आइए, इस सवाल का जवाब जानते हैं. दरअसल, हमारे शरीर के अंदर पैंक्रियाज नाम की एक ग्रंथि होती है. यह इंसुलिन नाम का हार्मोन बनाती है. यह हार्मोन हमारे खून में ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित रखने का काम करता है. लेकिन जब कुछ कमियों के चलते पैंक्रियाज इंसुलिन का उत्पादन कम कर देती है या बंद कर देती है तो खून में ग्लूकोज का स्तर लगातार बढ़ने लगता है और अंत में डायबिटीज का रूप ले लेता है.
अब हम बात करते हैं उन स्थितियों पर जो डायबिटीज के शुरुआती स्तर पर हमारे शरीर में बदलावों के रूप में दिखाई देते हैं. अगर समय रहते हम इन लक्षणों को पहचानकर अपनी दिनचर्या में बदलाव करें और जरूरी दवाओं का सेवन करें तो डायबिटीज को घातक स्तर पर जाने से रोक सकते हैं.
ब्लड प्रेशर हाई होने की समस्या: ऐसा आमतौर पर होता है कि जिन लोगों में रक्त के अंदर ग्लूकोज का स्तर सामान्य से अधिक बढ़ जाता है, उनमें हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होने लगती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ग्लूकोज बढ़ने के कारण ब्लड सामान्य से गाढ़ा हो जाता है और गाढ़े ब्लड को पंप करने और इसे पूरे शरीर में पहुंचाने के लिए हमारे हृदय को अधिक जोर लगाना पड़ता है. यही वजह है कि शुगर के मरीजों को को हार्ट संबंधी समस्याओं का खतरा सामान्य लोगों की तुलना में कहीं अधिक होता है.
त्वचा संबंधी बीमारियां: जब ब्लड में ग्लूकोज का स्तर बढ़ने लगता है और वाइट ब्लड सेल्स (WBC) की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है तो त्वचा पर इंफेक्शन, जलन, रैशेज होना, डार्क पैचेज बनना जैसी दिक्कतें बहुत जल्दी-जल्दी होने लगती हैं. साथ ही इन्हें ठीक होने में समय लगता है.
बहुत अधिक भूख लगना: शुगर और ग्लूकोज की मात्रा बहुत अधिक बढ़ जाने से इंसुलिन का उत्पादन कम हो जाता है. इस कारण ग्लूकोज और शुगर का सूखना शरीर में ठीक से नहीं हो पाता, जबकि रक्त में इनकी मात्रा लगातार बढ़ती रहती है. इससे शरीर में ऊर्जा की कमी महसूस होने लगती है. जैसे ही शरीर में ऊर्जा की कमी होने लगती है, हमें भूख का अहसास होने लगता है. इससे ओवर ईटिंग बढ़ने लगती है, जो हमारे शरीर को कहीं अधिक नुकसान पहुंचाती है.
हर समय थका हुआ महसूस करना: जैसा कि आप समझ चुके हैं कि शरीर को जरूरी मात्रा में ऊर्जा नहीं मिल पाती है, इस कारण भूख लगती है. भूख लगने पर होने वाले ओवर ईटिंग हमारे मेटाबॉलिज्म को स्लो कर देती है. इस कारण शरीर में आलस बढ़ता है. साथ ही बार-बार भूख लगने और शरीर को जरूरी ऊर्जा ना मिलने के कारण भी हर समय थकान और आलस बना रहता है.
बार-बार प्यास लगना और बार-बार पेशाब आना: ये डायबिटीज के सबसे आम लक्षण हैं. जब खून में शुगर का स्तर बढ़ जाता है, तो शरीर उसे पेशाब के जरिए बाहर निकालने की कोशिश करता है. इस प्रक्रिया में शरीर से पानी भी ज्यादा मात्रा में निकल जाता है, जिससे डिहाइड्रेशन होने लगता है और व्यक्ति को बार-बार प्यास लगती है. यह एक साइकिल बन जाता है- ज्यादा प्यास लगना, ज्यादा पानी पीना और फिर बार-बार वॉशरूम जाना.