
World Diabetes Day: डायबिटीज आज दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली बीमारियों में से एक है. भारत को अक्सर 'वर्ल्ड डायबिटीज कैपिटल' कहा जाता है. दुनिया भर के कुल डायबिटीज मरीजों में से आज भारत 17 फीसदी का घर है. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की साल 2023 की एक स्टडी के अनुसार एक अनुमान के अनुसार भारत में 10.1 करोड़ लोग इस बीमारी का शिकार हैं. इसका मतलब है कि देश की करीब 11.4 फीसदी आबादी डायबिटीज से प्रभावित है. वहीं 13.6 करोड़ लोग प्री-डायबिटीज से पीड़ित हैं. यह एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें ब्लड शुगर का स्तर सामान्य से ज्यादा तो होता है लेकिन इतना नहीं होता है उसे डायबिटीज कहा जा सके. आज जब दुनिया 14 नवंबर को वर्ल्ड डायबिटीज डे मना रही है तो कई सवालों का जवाब जानना जरूरी हो जाता है. इनमें से ही एक अहम सवाल है कि क्या इस बीमारी को रिवर्स किया जा सकता है यानी इससे पूरी तरह से छुटकारा पाया जा सकता है. तो जानिए इस पर हुई कई रिसर्च में क्या नतीजा निकल कर आया है.
डायबिटीज दो प्रकार की होती है– टाइप 1 और टाइप 2. टाइप 1 डायबिटीज में शरीर इंसुलिन बनाना ही बंद कर देता है, इसलिए इसे रिवर्स करना संभव नहीं है. लेकिन टाइप 2 डायबिटीज, जो कि ज्यादातर लोगों को होती है, कई मामलों में रिवर्स की जा सकती है. इसका मतलब यह नहीं कि बीमारी हमेशा के लिए खत्म हो जाती है, बल्कि ब्लड शुगर को बिना दवाओं के सामान्य स्तर पर लाया जा सकता है. इसे मेडिकल भाषा में ‘रीमिशन’ कहा जाता है, यानी डायबिटीज के लक्षण और ब्लड शुगर का बढ़ना एक लंबे समय तक बंद हो जाना.
कई रिसर्च बताती हैं कि अगर शुरुआत के कुछ सालों में ही व्यक्ति लाइफस्टाइल बदल ले, वजन कम करे और सही डाइट ले, तो टाइप 2 डायबिटीज को रिवर्स करना संभव है. कई स्टडीज ने यह साबित किया है कि 10 से 15 किलो वजन घटाने पर शरीर में फैट कम होता है और पैंक्रियाज फिर से बेहतर तरीके से काम करने लगता है. इससे इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ती है और शुगर लेवल नॉर्मल हो सकता है. यूके की एक मशहूर DIRECT Trial रिसर्च में पाया गया कि जिन लोगों ने लो-कैलोरी डाइट ली, उनमें से आधे से ज्यादा मरीजों ने डायबिटीज को रिवर्स कर दिया और एक साल तक बिना दवा के शुगर कंट्रोल में रखा.
हर किसी के लिए डायबिटीज रिवर्स होना आसान नहीं है. लेकिन इन लोगों में सफलता की संभावना ज्यादा होती है.
वेट लॉस या वजन कम करना डायबिटीज रिवर्स का सबसे बड़ा हथियार है. शरीर में जमा अतिरिक्त फैट पैंक्रियाज पर दबाव डालता है. फैट कम होते ही इंसुलिन का काम बेहतर होने लगता है.
साइंस कहती है कि 800 से 1200 कैलोरी वाली डाइट (डॉक्टर की सलाह से) कई लोगों में डायबिटीज रिवर्स कर सकती है. साथ ही कम कार्ब, हाई प्रोटीन और हाई फाइबर डाइट भी बेहद असरदार होती है.
30 से 45 मिनट की वॉक, योग, या हल्का एक्सरसाइज शरीर में इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ाता है. जो लोग हफ्ते में 150 मिनट एक्टिव रहते हैं, उनमें डायबिटीज रिवर्स की संभावना अधिक होती है.
तनाव और नींद की कमी हार्मोनल असंतुलन पैदा करती है, जिससे शुगर बढ़ती है. इसलिए रोज 7 से 8 घंटे की नींद जरूरी है.
जरूरी नहीं कि दवाएं हमेशा के लिए बंद कर दी जाएं. कुछ लोगों में वर्षों तक ब्लड शुगर नॉर्मल रहता है, लेकिन अगर लाइफस्टाइल बिगड़ी तो शुगर फिर बढ़ सकती है. यानी डायबिटीज रिवर्स एक तरह से लाइफस्टाइल मैनेजमेंट है. इसका सार यही निकलता है कि साइंस में तो टाइप 2 डायबिटीज रिवर्सल की बात है लेकिन इसके लिए वजन कम करना, सही डाइट और रेगुलर एक्सरसाइज बेहद जरूरी है. यह इलाज से ज्यादा एक लंबी प्रक्रिया है, जिसे सही तरीके से फॉलो करने पर बेहतर नतीजे मिल सकते हैं.
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